Loksabha Election : इस बार के लोकसभा चुनावों के छठे चरण के लिए 25 मई को वोटिंग हो चुकी है। छटवां चरण इसलिए भी खास माना जा रहा है, क्योंकि इस चरण में देश की राजधानी दिल्ली की की जनता ने 7 लोकसभा सीटों के लिए मतदान किया है। देश की राजधानी और केंद्र शासित प्रदेश होने के साथ-साथ दिल्ली से ही केंद्र की सरकार देश पर हुकूमत करती है। दिल्ली के चुनाव इसलिए भी खास हैं, क्योंकि यहां पर लोकसभा में भाजपा की पिछले 10 सालों से तूती बोल रही है।
जबकि विधानसभा में भाजपा को धूल चाटनी पड़ रही है। जाहिर है कि तीसरी बार सत्ता में वापसी की कोशिशों में लगे भाजपा नेता, खास तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके खासमखास देश के गृह मंत्री अमित शाह हर हाल में दिल्ली की सातों सीटें जीतना चाहते हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस और आम आदमी पार्टी गठबंधन करके चुनावी मैदान में हैं। सर्वे बता रहे हैं कि सातों सीटें कांग्रेस-आप गठबंधन के लिए तय हैं। लेकिन भाजपा की रणनीति भी किसी से कमजोर नहीं है और वो इन सीटों पर जीतने का रिकॉर्ड पिछले चुनावों की तरह कायम रखना चाहेगी यानि सभी सातों सीटें जीतना चाह रही है। दिल्ली में भी सबसे अहम सीट जो मानी जा रही है, वो है नई दिल्ली की संसदीय सीट। Loksabha Election
दरअसल, इस सीट से न सिर्फ पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई, बल्कि लालकृष्ण आडवाणी भी जीत दर्ज कर चुके हैं। इसके अलावा उत्तर प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी, भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जगमोहन तीन बार से यहां से सांसद रहे हैं। वहीं इस सीट से फिल्मी हीरो राजेश खन्ना और कांग्रेस नेता अजय माकन भी नुमाइंदगी कर चुके हैं। वोटर्स के लिहाज से ये सबसे छोटी सीट है, क्योंकि यहां महज 14.81 लाख मतदाता हैं। लेकिन इस लोकसभा क्षेत्र के मतदाता बेहद खास हैं। जिनमें देश की पहली नागरिक यानि देश की राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, पूर्व उपराष्ट्रपति डॉ. हामिद अंसारी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी और दर्जनों कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और भाजपा के नेता यहां से वोटर हैं। Loksabha Election
पंजाब के पूर्व सीएम ने दिया विवादित ब्यान, बोले- केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनी तो खोल देंगे भारत-पकिस्तान बॉर्डर
इसके अलावा इस सीट के अंतर्गत एक तरफ नई दिल्ली एरिया, दिल्ली कैंट, कस्तूरबा नगर और आरके पुरम जैसे पॉश इलाके आते हैं, तो दूसरी तरफ इस सीट के अंतर्गत ग्रेटर कैलाश, मोती नगर, राजेंद्र नगर, पटेल नगर और मालवीय नगर आते हैं और इन सभी इलकों व्यापारियों की संख्या ज्यादा है। वहीं इस सीट के अंतर्गत चिराग दिल्ली, नारायणा, टोडापुर, पिलंजी शाहपुर जट और जमरुदपुर जैसे गांव भी आते हैं, जहां जाट और गुर्जरों की संख्या ज्यादा है। इस प्रकार से इस सीट पर जीतने के लिए हर वर्ग के लोगों को साधा गया और जहां बड़े-बड़े पॉश इलाकों के लोगों ने मतदान किया है। तो वहीं पुराने गांवों के रहने वाले लोग भी इसी सीट के प्रत्याशियों की किस्मत EVM में कैद का चुके हैं। Loksabha Election
ये भी देखिए …
बहरहाल, अब तक के देश के लोकतंत्र के कुल 16 लोकसभा चुनावों में जहां कांग्रेस ने इस सीट पर महज 7 बार जीत दर्ज की है, तो भाजपा ने इस रिकॉर्ड को तोड़ते हुए 9 बार इस सीट कब्जा किया है। अब भाजपा ने इस सीट पर पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज को प्रत्याशी बनाकर उतारा हुआ है। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस-आप गठबंधन की तरफ से आम आदमी पार्टी के नेता सोमनाथ भारती इस सीट से किस्मत आज़मा रही हैं। Loksabha Election
सहारनपुर की अदालत में पेश हुए BKU अध्यक्ष नरेश टिकैत, 14 साल पुराने मामले में मिली जमानत
भाजपा के टिकट पर मैदान में उतरी बांसुरी स्वराज का ये पहला चुनाव है, जबकि सोमनाथ भारती एक पुराने नेता हैं और मालवीय नगर से पहला विधानसभा चुनाव साल 2013 में जीत कर दिल्ली सचिवालय पहुंचे थे। वो दिल्ली में कानून, पर्यटन, प्रशासनिक सुधार, कला और संस्कृति मंत्री भी रह चुके हैं। लेकिन बांसुरी स्वराज और सोमनाथ भारती में एक बात जो कॉमन है, वो है दोनों का वकील होना। लेकिन सोमनाथ भारती बांसुरी स्वराज से वकालत और राजनीति, दोनों ही मामलों में सीनियर हैं। हालांकि उन्हें राजनीति घुट्टी में यानि परिवारवाद की तर्ज पर विरासत में नहीं मिली है, लेकिन बांसुरी स्वराज को राजनीति विरासत में ही मिली है। Loksabha Election
बहरहाल, ये परिवारवाद का मुद्दा अलग है। यहां हम नई दिल्ली संसदीय सीट पर दोनों नेताओं की चुनौतियों और दोनों नेताओं के फायदे में क्या है, इस पर बात कर रहे हैं। इस सीट पर इस बार अलग बात ये है कि पिछले दो लोकसभा चुनावों में इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला हुआ था। यानि पिछले दोनों लोकसभा चुनावों के मैदान में भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार थे और दोनों ही बार ये सीट भाजपा के खाते में गई थी। लेकिन इस बार मुकाबला सिर्फ दो उम्मीदवारों के बीच ही है और इस प्रकार भाजपा का वोट काडर उसके हिस्से में जाएगा। Loksabha Election
ये भी देखिए …
बिहार की धरती पर गरजे पीएम मोदी, बोले- इंडी गठबंधन वाले वोट बैंक की गुलामी के साथ मुजरा करे तो करें, मैं SC-ST आरक्षण के साथ डटकर खड़ा रहूंगा
वोटिंग करने का अधिकार और उसकी गोपनीयता रखने का अधिकार हर वोटर को होता है और इसमें कोई दोराय नहीं कि पिछली बार जो वोटर किसी एक पार्टी के लिए वोटिंग कर चुके हों, वो अब दूसरी पार्टी भी वोटिंग कर सकते हैं। ये उनकी अपनी मर्जी है। लेकिन इस बार इस सीट पर कांटे की टक्कर बताई जा रही है। देश की दूसरी लोकसभा सीटों की ही तरह इस सीट पर भी भाजपा जहां मुद्दों से हटकर आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति करती दिखाई दी है। तो वहीं कांग्रेस-आप के संयुक्त प्रचार में आरोप-प्रत्यारोप के अलावा मुद्दों पर थोड़ी-बहुत चर्चा की गई है। लेकिन अगर दोनों ओर से कुछ कॉमन है, तो वो है वादों की झड़ी, जो आजकल हर पार्टी हर जगह जाकर वोटरों से की गई है। Loksabha Election
अगर इस लोकसभा सीट की समस्याओं की बात करें, तो इस मामले पर लोग चार हिस्सों में बंटे हुए नजर आते हैं। एक प्रकार के वोटर वो हैं, जो दिल्ली की आम आदमी पार्टी के काम से काफी संतुष्ट हैं और पानी, बिजली, स्वास्थ्य, स्कूल और दूसरे कई कामों की तारीफ करते नजर आ रहे हैं। दूसरे वो हैं, जो साफ-सफाई, सड़कों और दूसरी सुविधाओं में कमी की शिकायत करते नजर आ रहे हैं। तीसरी प्रकार के वोटर वो हैं, जो दोनों तरफ की कमियां गिना रहे हैं और उनकी शिकायतें जितनी आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार से हैं, उससे कहीं ज्यादा भाजपा की केंद्र सरकार से हैं। और चौथे प्रकार के वोटर वो हैं, जो खामोश हैं और कह रहे हैं कि वोटिंग वाले दिन वो अपना जवाब ईवीएम का बटन दबाकर देकर आएंगे कि कौन उनकी नजर में सही है और कौन गलत है। Loksabha Election
बहरहाल, नई दिल्ली की इस खास लोकसभा सीट पर अभी दोनों तरफ से जमकर प्रचार हुआ और एक तरफ भाजपा, तो दूसरी तरफ कांग्रेस-आप अपनी-अपनी तरफ वोटर्स को मनाने में लगी रही। लेकिन इस सीट पर जीत किसकी होगी, ये तो 4 जून को चुनाव परिणाम सामने आने पर ही पता चलेगा। Loksabha Election