UP Loksabha Election : मुलायम सिंह के बिना परिवार के साथ सांसद पहुँच पाएंगे अखिलेश यादव !
Published By Special Desk News14Today..
UP Loksabha Election : सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव लोकसभा चुनाव में जहां सभी वर्गों के नेताओं को प्रत्याशी बनाया है वहीं पत्नी डिंपल यादव सहित परिवार के दर्जनों सदस्यों को चुनावी दंगल में उतारा हुआ है। जिसके चलते अखिलेश यादव के कंधो पर डबल जिम्मेदारी आ गई है। कांग्रेस के साथ हुए गठबंधन के तहत 63 सीटों पर सपा के प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं।
मुलायम के बाद जहां परिवार की जिम्मेदारी अखिलेश यादव पर है वहीं समजवादी पार्टी का दारोमदार भी उन्ही के भरोसे है। राजनितिक ओहदे के हिसाब से चुनाव लड़ रहे परिवार के सदस्यों में अखिलेश यादव ही सबसे सीनियर माने जाते हैं।
आपको बता दें कि सपा संस्थापक मुलायम सिंह के निधन के बाद यह पहला लोकसभा चुनाव है। लोकसभा चुनाव सियासी दंगल में उतरे यादव परिवार में अखिलेश सबसे सीनियर हैं। ऐसे में पार्टी के साथ ही चुनाव लड़ रहे यादव परिवार के लोगों को जिताने की जिम्मेदारी अखिलेश के कंधे पर टिकी है। जिन्हे जिताने के लिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव हर सभंव प्रयास कर रहे हैं। पूर्व से लेकर पश्चिम तक चुनावी सभाएं कर कर रहे हैं। ऐसे में देखना यह दिलचस्प होगा कि सपा प्रमुख परिवार के कितने सदस्यों के साथ संसद पहुंचते हैं। UP Loksabha Election
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सियासत में सैफई के यादव परिवार के पांच सदस्य इस बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। जिनमें से अखिलेश यादव सबसे ज्यादा अनुभवी और सीनियर नेता हैं। अखिलेश यादव के पास ढाई दशक का राजीनीतिक अनुभव तो है ही साथ ही उनके पास सांसद, विधायक, विधान परिषद सदस्य रहने का अनुभव भी है। पूर्व के चुनाव में जब-जब अखिलेश यादव ने कन्नौज से चुनाव लड़ा है तो स्वंम मुलायम सिंह ने उनके समर्थन में चुनाव प्रचार किया है। 2000 के उपचुनाव में तो उन्होंने बोर्डिंग हाउस में हुई जनसभा के दौरान अखिलेश का हाथ उठाकर कहा था कि बेटा छोड़कर जा रहा हूं, इसे सांसद बना देना। 2019 में स्वास्थ्य खराब होने के चलते मुलायम सिंह यादव ने डिंपल यादव के लिए सभा को संबोधित किया था। इस बार पूरा दारोमदार अखिलेश पर ही टिका है। हालांकि उनके चाचा शिवपाल यादव और प्रो. रामगोपाल यादव उनकी मदद के लिए मैदान में हैं। UP Loksabha Election
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दरअसल, 2017 में समाजवादी पार्टी में अंदरूनी लड़ाई जीतने वाले अखिलेश यादव हर सियासी समर में हमेशा विजेता बनकर उभरे हैं। इस बार अपने परिवार के सदस्यों में लोकसभा चुनाव लड़ने वालों में वही सबसे ज्यादा अनुभवी हैं। कन्नौज से तीन बार और आजमगढ़ से एक बार सांसद रहे अखिलेश यादव इन दिनों मैनपुरी की करहल सीट से विधायक भी हैं। वर्ष 2000 से अब तक लड़े हर चुनाव में उन्हें कामयाबी मिलती रही है। इस बार फिर से कन्नौज के सियासी समर में हैं। पार्टी के साथ ही उन पर आम लोगों की भी निगाहें लगी हैं। UP Loksabha Election
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अखिलेश यादव के बाद परिवार में सबसे ज्यादा बार संसद तक पहुंचने का रिकॉर्ड उनकी पत्नी डिंपल यादव के पास है। उन्होंने अब तक पांच बार किस्मत आजामई है, इसमें तीन बार कामयाबी मिली है। पहला चुनाव 2009 के उपुचनाव में फिरोजाबाद से लड़ा था, जिसमें नाकामी मिली। उसके बाद वर्ष 2012 के उपचुनाव में कन्नौज से निर्विरोध निर्वाचित हुईं। 2014 के मोदी लहर में भी अपनी सीट बचाई। 2019 के नजदीकी मुकाबले में भाजपा से हारीं। 2022 में ससुर मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद हुए उपचुनाव में मैनपुरी में जीतकर फिर से संसद पहुंचीं। छठी बार लोकसभा का चुनाव लड़ रही हैं। UP Loksabha Election
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सपा की परंपरागत और मजबूत सीट मानी जाने वाली बदायूं से इस बार सपा ने शिवपाल यादव के पुत्र आदित्य यादव को मैदान में उतारा है। लोकसभा चुनाव के ऐलान के बाद बदले हुए सियासी समीकरण को ध्यान में रखकर पार्टी ने धर्मेंद्र यादव को आजमगढ़ शिफ्ट कर पहले तो शिवपाल यादव को यहां से उतारा। बाद में शिवपाल यादव ने खुद के बजाए आदित्य यादव को उतारने की बात कही। पार्टी ने समय लेकर उनके नाम का ऐलान भी कर दिया। शिवपाल यादव अपने पुत्र का सियासी कैरियर बेहतर बनाने के लिए बदायूं में डेरा डाले हैं। UP Loksabha Election
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सपा राष्ट्रीय महासचिव प्रो. रामगोल यादव के पुत्र अक्षय यादव दो चुनाव लड़ चुके हैं। पहली बार जीते थे, दूसरी बार शिकस्त मिली थी। तीसरी बार फिर फिरोजाबाद से ही मैदान में हैं। 2014 के अपने पहले चुनाव में उन्होंने इस सीट को जीत कर अपने सियासी कॅरियर का आगाज किया था। 2019 में वह इस को भाजपा से गंवा बैठे। शिकस्त की वजह परिवार की फूट बनी थी। शिवपाल यादव ने भी ताल ठोका था। वोटों के बंटवारे में सपा ने को इस सीट से हाथ धोना पड़ा था। अब अक्षय तीसरी बार मैदान में हैं। सीट को हासिल करने की चुनौती है। UP Loksabha Election
बदायूं से वर्ष 2009 और 2014 में लगातार दो बार सांसद रहे धर्मेंद्र यादव चार चुनाव लड़़ चुके हैं। दो बार नाकाम रहे हैं। 2019 में भाजपा से हारे थे। इस बार पार्टी ने उन्हें पूर्वांचल को सहेजने के लिए आजमगढ़ के दंगल में उतारा है। वर्ष 2019 में इस सीट से सपा मुखिया अखिलेश यादव जीते थे। 2022 के विधानसभा चुनाव में करहल से विधायक बनने के बाद उन्होंने इस सीट से इस्तीफा दे दिया था। उपचुनाव में धर्मेंद्र यादव को मैदान में उतारा। नजदीकी मुकाबले में 8679 वोट से हार गए थे। अब पांचवीं बार मैदान में हैं। UP Loksabha Election