काठमांडू : नेपाल में जेन-जेड आंदोलन के कारण मची राजनीतिक उथल-पुथल के बीच अंतरिम सरकार के गठन की तैयारियाँ शुरू हो गई हैं। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, आज नेपाली सेना, नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल और जेन-जेड युवाओं के प्रतिनिधियों के बीच बातचीत होने वाली है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, जेन-जेड प्रदर्शनकारियों ने अब अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने के लिए कुलमन घीसिंग के नाम का समर्थन किया है।
नेपाली मीडिया समूह कांतिपुर टीवी के अनुसार, नेपाल के ‘जेन-जेड’ समूहों ने नेपाल विद्युत प्राधिकरण (एनईए) के पूर्व प्रबंध निदेशक कुलमन घीसिंग को देश की अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने के लिए प्रस्तावित किया है। वहीं, द हिमालयन पोस्ट ने सूत्रों के हवाले से बताया था कि जेन-जेड नेताओं ने सर्वसम्मति से नेपाल की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री पद के लिए अपना उम्मीदवार चुना है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि आज की चर्चा में इस फैसले का औपचारिक रूप से समर्थन किए जाने की संभावना है। सुशीला कार्की की टीम और नेपाली सेना प्रमुख अशोक राज सिगडेल सहित सैन्य नेतृत्व के बीच बातचीत शुरू होगी। इसके बाद, स्थिति के अनुसार राष्ट्रपति कार्यालय को सूचित किया जा सकता है।
काठमांडू मेट्रोपॉलिटन सिटी के मेयर बालेंद्र शाह ‘बालेन’ ने भी कार्की को अपना समर्थन देने की घोषणा की है, जिससे उनकी उम्मीदवारी और मज़बूत हो गई है। बुधवार को एक फेसबुक पोस्ट में, शाह ने युवा पीढ़ी और नेपाली जनता को संबोधित करते हुए कहा कि देश अपने इतिहास के एक अभूतपूर्व दौर में प्रवेश कर रहा है। उन्होंने नागरिकों से परिपक्वता और ज़िम्मेदारी से काम लेने का भी आग्रह किया। शाह ने लिखा, “मैं पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की द्वारा इस अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने के आपके प्रस्ताव का पूर्ण समर्थन करता हूँ। मैं आपकी समझ, बुद्धिमत्ता और एकता का ईमानदारी से सम्मान करना चाहता हूँ। यह दर्शाता है कि आप कितनी परिपक्व हैं।” उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि देश एक अंतरिम सरकार के गठन की ओर बढ़ रहा है जो नए चुनाव कराने और राजनीतिक स्थिरता बहाल करने के लिए ज़िम्मेदार होगी। शाह ने लोगों से घबराने के बजाय प्रक्रिया पर भरोसा करने का आग्रह किया।
सुशीला कार्की जुलाई 2016 से जून 2017 तक नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रहीं। 7 जून, 1952 को विराटनगर में जन्मी सुशीला कार्की ने विराटनगर में ही अपनी कानून की शिक्षा पूरी करने के बाद 1979 में वकालत शुरू की। 2007 में वे वरिष्ठ अधिवक्ता बनीं। जनवरी 2009 में, कार्की को नेपाली सर्वोच्च न्यायालय का तदर्थ न्यायाधीश नियुक्त किया गया और 2010 में वे स्थायी न्यायाधीश बनीं।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, नेपाल की राजधानी काठमांडू और अन्य शहरों में युवाओं के हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने 9 सितंबर को इस्तीफा दे दिया। ओली सरकार के पतन के बाद, युवाओं द्वारा किए जा रहे हिंसक विरोध प्रदर्शन धीरे-धीरे कम हो रहे हैं और देश में स्थिति सामान्य हो रही है। काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, देश भर में युवाओं के हिंसक प्रदर्शनों के दौरान सुरक्षा बलों के साथ झड़पों में 31 लोग मारे गए हैं और 1000 से ज़्यादा घायल हुए हैं।
8 सितंबर को भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के विरोध में काठमांडू, पोखरा, बुटवल और बीरगंज समेत कई बड़े शहरों में बड़ी संख्या में युवा सड़कों पर उतर आए और हिंसा की। युवाओं के इस तथाकथित विरोध प्रदर्शन को जेन-जेड नाम दिया गया। हालात बिगड़ने पर काठमांडू समेत कई शहरों में कर्फ्यू लगा दिया गया। नेपाली सेना ने एक बयान में कहा कि स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कर्फ्यू शुक्रवार सुबह तक जारी रहेगा। Nepal News