सहारनपुर : ” कौन कहता है आसमान में सुराग यही होता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों” ऐसा ही कुछ कर दिखाया है सहारनपुर के एक गरीब किसान की बेटी शिल्की सैनी ने। बिना ट्यूशन और कोचिंग के मां शाकम्भरी विश्वविद्यालय को टॉप कर शिल्की ने न सिर्फ अपने माता-पिता का नाम रोशन किया है बल्कि अपने कॉलेज और जिले का नाम भी रोशन किया है। शिल्की ने मां शाकुंभरी विश्वविद्यालय को एमएससी बॉयो में टॉप कर अन्य लड़कियों के लिए मिशाल बनी है। यही वजह है कि गुरूवार को विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल द्वारा मैडल देकर सम्मानित किया जाएगा। बेटी की इस उपलब्धि से जहां परिजनों में जश्न का माहौल है वहीं उनके घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है।
आपको बता दें कि सहारनपुर के थाना बड़गांव इलाके के गांव मियानगी निवासी सोमपाल सैनी पेशे से किसान हैं। उसके दो बेटे और एक बेटी हैं। बेटी शिल्की सैनी सबसे छोटी है। शिल्की ने देवबंद इलाके के भायला पीजी कॉलेज से बॉयो विषय से एमएससी पास किया है। पांच दिन पहले परीक्षा परिणाम आने के बाद कॉलेज प्रबंधन ने फोन करके उसका फोटो मंगवाया और प्रिंसिपल ने विश्वविद्यालय टॉपर बनने की बधाई दी। शिल्की बताती हैं कि उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह विश्वविद्यालय टॉपर बन जायेगी। यूँ तो भायला कॉलेज की छह छात्राओं ने सत्र 2023-24 की परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए मां शाकुंभरी विश्वविद्यालय की श्रेष्ठता सूची में स्थान प्राप्त किया है। लेकिन शिल्की सैनी ने विश्वविद्यालय में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया है। Saharanpur
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विश्वविद्यालय टॉप करने वाली छात्रा शिल्की सैनी को 5 सितंबर को आयोजित दीक्षांत समारोह में राज्यपाल द्वारा सम्मानित किया जाएगा। राज्यपाल से सम्मानित होने की जानकारी मिली तो शिल्की की ख़ुशी दोगुनी हो गई। परिवार में जश्न जैसा माहौल बना हुआ है मिठाइयां बांट कर ख़ुशी का इजहार किया जा रहा है। गांव और आसपास के ग्रामीण बधाई देने के लिए पहुंच रहे हैं। ख़ास बात ये है कि शिल्की मियानगी की रहने वाली ऐसी पहली छात्रा है जिसने न सिर्फ अपना कॉलेज टॉप किया है बल्कि विश्वविद्यालय भी टॉप किया है। शिल्की ने कक्षा एक से एमएससी तक की पढ़ाई में कहीं कोई ट्यूशन या कोशिंग नहीं किया। Saharanpur
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शिल्की ने बताया कि उसकी माँ सुमन सैनी बीमार रहती हैं। बावजूद उसके वह सुबह सवेरे उठकर सबसे पहले घर के सारे काम निपटाती हैं उसके बाद वह करीब 15 किलोमीटर दूर भायला कॉलेज में टेम्पो से जाती है। छुट्टी के बाद घर आकर फिर से घर के सारे काम काज करती है। घर के कामों की साड़ी जिम्मेदारी होने के बाद वह रात में जाग कर अपनी पढ़ाई करती हैं। ख़ास बात ये भी है कि आधुनिकता और रील बनाने के इस दौर में शिल्की महज एक घंटा मोबाइल चलाती हैं। इस एक घंटे में वह केवल मोबाइल से ऑनलाइन स्टडी करती हैं। शिल्की अपनी इस उपलब्धि के लिए सारा श्रेय अपने माता-पिता और अध्यापकों को देती है। शिल्की पीएचडी करके एक अच्छी अध्यापक बनना चाहती है। Saharanpur
होनहार बेटी के पिता सोमपाल सैनी ने बताया कि शिल्की बच्चपन से ही पढ़ने लिखने में होशियार रही है। पेशे से किसान होने के चलते वे अपने बच्चों को अच्छी पढ़ाई के लिए दिन रात खेतों में काम करते रहते हैं। बेटी पढ़ने में जितनी होशियार है घर और अपने काम को लेकर उतनी ही जिम्मेदार भी है। उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि बिना ट्यूशन-कोचिंग के उसकी बेटी टॉपर बन जायेगी। बेटी की इस उपलब्धि से माता-पिता की ख़ुशी का ठिकाना नहीं है। वे बार बार अध्यापकों और भगवान् को धन्यवाद दे रहे हैं। उनका यह भी कहना है कि बेटियों को कभी बोझ नहीं समझना चाहिए। बेटियां भी बेटों की तरह माता-पिता का नाम रोशन कर जाती हैं। जैसा उनकी बेटी शिल्की ने किया है। Saharanpur
वहीं ग्राम प्रधान पवन सिंह ने बताया कि उन्हें अखबार में पढ़ कर पता चला कि उनके गाँव की एक बेटी ने गांव का नाम रोशन किया है। शिल्की को घर में प्यार से शालू बुलाते हैं जिसके चलते एक बार को सब कन्फ्यूज हो गए। शिल्की मियानगी गांव की पहली छात्रा है जिसने विश्वविद्यालय टॉप करके गांव का नाम रोशन किया है। महामहिम राज्यपाल द्वारा गांव की छात्रा को सम्मानित किया जाएगा। यह उनके और पुरे गांव के लिए गौरव की बात है। Saharanpur
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