नई दिल्ली : नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने जाति जनगणना कराने का फैसला किया है। देशभर में शुरू होने वाली जनगणना के साथ ही यह डेटा भी जुटाया जाएगा। इसके तहत जनगणना फॉर्म में ही जाति का कॉलम होगा। इसके आधार पर यह जानकारी जुटाई जाएगी कि देश में किस जाति के कितने लोग हैं।
राहुल गांधी, अखिलेश यादव जैसे नेता लगातार जाति जनगणना कराने की मांग करते रहे हैं ताकि संसाधनों, आरक्षण और लाभों के वितरण के लिए नीतियां बनाने में मदद मिल सके। राहुल गांधी कई बार कहते रहे हैं कि अगर हम सत्ता में आए तो जाति जनगणना कराएंगे और आरक्षण की 50 फीसदी की सीमा को तोड़ देंगे। इस लिहाज से सरकार ने विपक्ष के हाथ से जाति जनगणना का कार्ड छीन लिया है।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को कैबिनेट बैठक के फैसलों की जानकारी देते हुए इस बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा जाति जनगणना का विरोध किया है। दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 2010 में संसद में कहा था कि इस पर विचार किया जाएगा, लेकिन इस पर अमल नहीं हुआ, बल्कि सिर्फ सर्वेक्षण कराया गया।
इसके बाद भी इंडी एलायंस के नेताओं ने जाति जनगणना के विषय का अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया है। उन्होंने कहा कि कई राज्यों ने जातियों की गणना की है, लेकिन यह केंद्रीय सूची का विषय है। कई राज्यों ने यह काम अच्छे से किया है, लेकिन कई प्रांतों में यह काम अप्रमाणिक तरीके से हुआ है। दरअसल, उनका इशारा कर्नाटक में हुई जाति जनगणना की ओर था, जिसे लेकर वहां विवाद हो गया है।