लखनऊ : अयोध्या जिले की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जीत हासिल की है। इस सीट पर समाजवादी पार्टी (सपा) ने फैजाबाद के सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को मैदान में उतारा था, जबकि भाजपा ने चंद्रभान पासवान को टिकट दिया था। यह मुकाबला न सिर्फ इन दोनों प्रत्याशियों के लिए बल्कि सीएम योगी आदित्यनाथ और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की प्रतिष्ठा के लिए भी अहम हो गया था। मिल्कीपुर सीट पर लंबे समय से सपा का दबदबा रहा है।

2012 में परिसीमन के बाद यह सीट आरक्षित हो गई, जिसके बाद 2012 और 2022 में सपा नेता अवधेश प्रसाद ने जीत दर्ज की। हालांकि 2017 के चुनाव में भाजपा ने इस सीट पर कब्जा कर लिया। 2024 के लोकसभा चुनाव में अवधेश प्रसाद फैजाबाद लोकसभा सीट से सांसद चुने गए, जिसके कारण यह सीट खाली हो गई और उपचुनाव हुआ। उम्मीद थी कि अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद इस सीट पर कब्जा जमा लेंगे, लेकिन उपचुनाव में भाजपा ने बाजी पलट दी और चंद्रभान पासवान ने जीत दर्ज कर सपा से यह सीट छीन ली।
अखिलेश यादव का चुनाव आयोग पर हमला:
मिल्कीपुर उपचुनाव में हार के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि 500 से ज्यादा शिकायतें दर्ज कराई गईं, लेकिन आयोग ने उन्हें गंभीरता से नहीं लिया। चुनाव आयोग मर चुका है, अब उसे सफेद कपड़ा पहनाने की जरूरत है। सपा ने यह भी आरोप लगाया कि मतदान में धांधली हुई, मरे हुए लोगों के नाम पर वोट डाले गए और अफसरों की मनमानी तैनाती की गई। प्रेस कॉन्फ्रेंस में सपा ने भाजपा सरकार पर लोकतंत्र की हत्या करने का आरोप लगाया।
अखिलेश ने एक्स पर लिखा कि “भाजपा वोटों के आधार पर पीडीए की बढ़ती ताकत का सामना नहीं कर सकती, इसीलिए वह चुनावी प्रणाली का दुरुपयोग करके जीतने की कोशिश करती है। इस तरह की चुनावी धांधली करने के लिए जिस स्तर के अधिकारियों की जरूरत होती है, वह 1 विधानसभा में तो किसी तरह संभव हो सकता है, लेकिन 403 विधानसभाओं में यह ‘चार सौ बीसी’ नहीं चलेगी। यह बात भाजपा वाले भी जानते हैं, इसीलिए भाजपा वालों ने मिल्कीपुर का उपचुनाव स्थगित कर दिया। पीडीए यानी 90% जनता ने इस धांधली को अपनी आंखों से देखा है।
यह एक झूठी जीत है, जिसका जश्न भाजपा वाले कभी आईने में देखकर नहीं मना पाएंगे। भविष्य में उनकी हार का डर और अपराध बोध उनकी नींद उड़ा देगा। चुनावी धांधली का अपराध करने वाले अधिकारियों को उनके लोकतांत्रिक अपराध की सजा आज नहीं तो कल जरूर मिलेगी। एक-एक करके सबकी सच्चाई सामने आएगी। न प्रकृति उन्हें बख्शेगी, न कानून। भाजपा वाले उनका इस्तेमाल करेंगे और फिर छोड़ देंगे, उनकी ढाल नहीं बनेंगे। जब उनकी नौकरी और पेंशन चली जाएगी, तो वह अकेले ही आजीवन कारावास की सजा भुगतेंगे। अपने बच्चों, परिवार और समाज के बीच अपमान सहना पड़ रहा है।
उपचुनाव परिणाम का असर 2027 के विधानसभा चुनाव में नहीं दिखेगा:
राजनीतिक विश्लेषक योगेश मिश्रा का कहना है कि उपचुनाव का असर 2027 के विधानसभा चुनाव पर नहीं पड़ेगा। एक चुनाव दूसरे चुनाव पर असर नहीं डालता, परिस्थितियां और मुद्दे बदलते रहते हैं। मुलायम सिंह यादव कहते थे कि उपचुनाव डीएम का चुनाव है।
मिल्कीपुर में सपा ने नहीं की मेहनत:
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक मनमोहन अग्रवाल का मानना है कि सपा ने इस सीट पर उतनी मेहनत नहीं की, जितनी भाजपा ने की। भाजपा ने सत्ता में होने का फायदा उठाया, बड़े नेताओं के दौरे कराए और स्थानीय स्तर पर मजबूत सांगठनिक पकड़ बनाई। जनता में संदेश जाता है कि सत्ताधारी दल का विधायक चुना जाता है, तो विकास कार्य में तेजी आती है।
भाई-भतीजावाद से घिरी सपा:
मनमोहन अग्रवाल ने यह भी कहा कि समाजवादी पार्टी भाई-भतीजावाद से घिरी हुई है। मिल्कीपुर में भी भाई-भतीजावाद भारी साबित हुआ। अवधेश प्रसाद के बेटे मैदान में थे, जिन पर भाजपा ने भाई-भतीजावाद का आरोप लगाया। इसी तरह अंबेडकर नगर की कटेहरी विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भी भाई-भतीजावाद के आरोप लगे थे। इससे भी मतदाताओं में नाराजगी है।
क्या 2027 में दिखेगा असर:
उन्होंने यह भी कहा कि हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि मिल्कीपुर की यह हार सपा की भविष्य की राजनीति को किस तरह प्रभावित करेगी। अखिलेश यादव लगातार ‘पीडीए फार्मूले’ को लेकर मुखर रहे हैं, लेकिन उपचुनाव में यह कारगर नहीं दिखा। विश्लेषकों का मानना है कि 2027 के विधानसभा चुनाव तक मुद्दे और समीकरण बदल सकते हैं, जिसके चलते सपा को नई रणनीति बनानी होगी।
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