Darul Ulum Deoband : गजवा-ए-हिन्द मामले में जिला प्रशासन ने NCPCR को सौंपी जांच रिपोर्ट, जांच जारी रखने के दिए आदेश
Published By Roshan Lal Saini
Darul Ulum Deoband : गजवा-ए-हिंद के मामले को लेकर सुर्खियों में आए फतवों की नगरी दारुल उलूम देवबंद की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। पुलिस-प्रशासन की ओर से बुधवार को राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (NCPCR) को रिपोर्ट भेजी गई है। एडीएम प्रशासन डॉ. अर्चना द्विवेदी और एसपी देहात सागर जैन राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के समक्ष पेश हुए। जहां उन्होंने NCPCR के समक्ष दोबारा की गई जांच की रिपोर्ट सौंपी।
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आपको बता दें कि राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने गजवा-ए-हिन्द को लेकर जारी किये फतवे पर की गई पहली जांच रिपोर्ट पर आपत्ति जताई थी। जिसके बाद पुलिस-प्रशासन की संयुक्त कमेटी ने दोबारा दारुल उलूम देवबंद में जाकर फतवे संबधी जांच की थी। सूत्रों की मानें तो दोबारा जो जांच रिपोर्ट आयोग को दी गई है उसमें भी एफआइआर का कोई जिक्र नहीं है। जांच रिपोर्ट में फिर से बताया गया है कि यह मामला करीब नौ साल पुराना है और मौजूदा समय में इसका कोई मुद्दा नहीं है। Darul Ulum Deoband
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गौरतलब है कि 2015 में दारुल उलूम देवबंद से किसी व्यक्ति ने गजवा-ए-हिंद को लेकर फतवा मांगा था। जिस पर दारुल उलूम ने अपने जवाब में पुस्तक सुन्नत-अल-नसाई का हवाला दिया था। जिसमें कहा गया था कि गजवा-ए-हिंद को लेकर इसमें पूरा एक अध्याय है। जिसमे गजवा-ए-हिंद को इस्लाम के नजरिए से जायज करार दिया गया है। दारुल उलूम देवबंद के फतवा विभाग ने गजवा ए हिंद को लेकर वेबसाइट पर फतवा डाला है। फतवे में इस्लामिक संगठन वैध करार दिया है। जबकि बाल संरक्षण आयोग ने गजवा ए हिन्द को देश विरोधी बताया है।
NPCR ने इस विवादित फतवे का संज्ञान लिया था। दारुल उलूम के इस फतवे के खिलाफ NPCR (केंद्रीय बाल संरक्षण आयोग) द्वारा सहारनपुर डीएम और एसएसपी को पत्र भेजकर कार्रवाई के निर्देश दिए थे। Darul Ulum Deoband
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दरअसल, गजवा-ए-हिंद का मतलब भारत पर आक्रमण है। इस इस्लामिक संगठन को लेकर हदीस के हवाले से दिए गए जवाब पर इस्लामी शिक्षण संस्था दारुल उलूम देवबंद करीब 10 साल बाद सवालों के घेरे में आ गया है। राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने वेबसाइट के माध्यम से दिए गए फतवे को आधार बनाकर इसको राष्ट्र विरोधी बताते हुए डीएम सहारनपुर और एसएसपी को जांच करने के निर्देश दिए थे। जिसके चलते देवबंद एसडीएम अंकुर वर्मा और सीओ अशोक सिसोदिया ने फतवों की नगरी दारुल उलूम देवबंद के प्रबंधन से इस संबंध में पूछताछ की थी। Darul Ulum Deoband
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मौलाना अबुल कासिम नौमानी के मुताबिक़ प्रशासन को भेजे गए जवाब में बताया गया है कि “दारुल उलूम ने 2015 में वेबसाइट पर एक व्यक्ति द्वारा पूछे गए सवाल पर जो जवाब दिया था वो उनकी निजी राय नहीं थी बल्कि जो कुछ भी हदीस में लिखा हुआ है उसकी नकल की गई थी। उससे वर्तमान से दूर-दूर तक का कोई वास्ता नहीं है।” मोहतमिम मौलाना अबुल कासिम नोमानी ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि अगर जवाब देने बाद भी शासन प्रशासन कोई कार्यवाई करता है तो वे इस मामले को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे। Darul Ulum Deoband
बताया जा रहा है कि दोनों अधिकारियों ने जो रिपोर्ट आयोग को सौंपी है वह रिसीव कर ली गई है, लेकिन आयोग की तरफ से कहा गया है कि जांच रिपोर्ट देखकर बाद में बताया जाएगा कि यह सही है या फिर गलत। तब तक अपनी जांच जारी रखें। एसपी देहात सागर जैन ने बताया कि रिपोर्ट आयोग को सौंप दी गई है। Darul Ulum Deoband