Darul Uloom Deoband : दारुल उलूम के मामले में NCPCR ने डीएम को को किया तलब, मांगा स्पष्टीकरण
Published By Roshan Lal Saini
Darul Uloom Deoband : फतवों की नगरी एवं विश्वविख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम से गजवा-ए-हिंद को लेकर जारी किये फतवे का मामला थमने का अनाम नहीं ले रहा है। गजवा-ए-हिंद के मामहिमा मंडन के बाद जहां जिला प्रशासन ने मामले की जांच की है वहीँ एनसीपीसीआर यानि केंद्रीय बाल संरक्षण आयोग ने सहारनपुर जिलाधिकारी को तलब किया है। एनसीपीसीआर अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने जांच रिपोर्ट के साथ स्पष्टीकरण मांगा है। जिसके बाद दारुल उलूम प्रबंधन में हड़कंप की स्तिथि बनी हुई है।
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आपको बता दें कि पूरा मामला साल 2015 का है। दारुल उलूम देवबंद से किसी व्यक्ति ने गजवा-ए-हिंद को लेकर फतवा मांगा था। जिस पर दारुल उलूम के फतवा विभाग ने जवाब में पुस्तक सुन्नत-अल-नसाई का हवाला दिया था। कहा गया था कि गजवा-ए-हिंद को लेकर इसमें पूरा एक अध्याय है। जिसमे गजवा-ए-हिंद को इस्लाम के नजरिए से जायज करार दिया गया है। दारुल उलूम देवबंद के फतवा विभाग ने गजवा ए हिंद को लेकर वेबसाइट पर फतवा डाला है। फतवे में इस्लामिक संगठन वैध करार दिया है। जबकि बाल संरक्षण आयोग ने गजवा ए हिन्द को देश विरोधी बताया है। Darul Uloom Deoband
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NPCR ने इस विवादित फतवे का संज्ञान लिया और दारुल उलूम के इस फतवे के खिलाफ NPCR (केंद्रीय बाल संरक्षण आयोग) द्वारा सहारनपुर डीएम और एसएसपी को पत्र भेजकर कार्रवाई के निर्देश दिए थे। जिस पर डीएम दिनेश चंद्र ने बताया था कि केंद्रीय बाल संरक्षण आयोग के पत्र के आधार पर नियम अनुसार कार्रवाई की जाएगी। डीएम दिनेश चंद्र ने बताया पत्र के संबंध में उच्च अधिकारियों को दारुल उलूम देवबंद में भी भेजा गया है। डीएम ने बताया कि शाम तक पूरे मामले में कार्रवाई कर बाल संरक्षण आयोग को रिपोर्ट भेजी दी जाएगी। Darul Uloom Deoband
दारुल उलूम ने गजवा ए हिन्द को वैधता का किया फतवा जारी, एनपीसीआर के निर्देश पर होगी कार्रवाई
दरअसल, गजवा-ए-हिंद का मतलब भारत पर आक्रमण है। इस इस्लामिक संगठन को लेकर हदीस के हवाले से दिए गए जवाब पर इस्लामी शिक्षण संस्था दारुल उलूम देवबंद करीब 10 साल बाद सवालों के घेरे में आ गया है। राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने वेबसाइट के माध्यम से दिए गए फतवे को आधार बनाकर इसको राष्ट्र विरोधी बताते हुए डीएम सहारनपुर और एसएसपी को जांच करने के निर्देश दिए हैं। जिसके चलते गुरुवार को देवबंद एसडीएम अंकुर वर्मा और सीओ अशोक सिसोदिया ने फतवों की नगरी दारुल उलूम देवबंद के प्रबंधन से इस संबंध में पूछताछ की है। जिसकी रिपोर्ट मिलने के बाद उच्चाधिकारियों की ओर से मामले में कार्रवाई तय मानी जा रही है। Darul Uloom Deoband
केंद्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने सहारनपुर डीएम और एसएसपी को पत्र भेज कर दारुल उलूम के खिलाफ कार्यवाई के निर्देश दिए थे। आयोग के निर्देशानुसार एसडीएम अंकुर वर्मा और सीओ अशोक सिसोदिया उच्चाधिकारियों के निर्देश पर दारुल उलूम पहुंचे। यहां उन्होंने संस्था के मोहतमिम मौलाना अबुल कासिम नौमानी और नायब मोहतमिम मौलाना अब्दुल खालिक मद्रासी से मुलाकात की। संस्था के दोनों जिम्मेदारों ने अधिकारियों के सामने अपना पक्ष रखा। लेकिन जिला प्रशासन ने आयोग को कोई रिपोर्ट नहीं भेजी। Darul Uloom Deoband
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दारुल उलूम के पाठ्यक्रम के आधार पर एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो का कहना है कि यूपी के जनपद सहारनपुर में कस्बा देवबंद है। जहां विश्वविख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम के नाम से बड़ा मदरसा है। यह मदरसा दक्षिण एशिया में मदरसा शिक्षा प्रणाली को नियंत्रित करता है। मदरसा दारुल उलूम से न सिर्फ फतवे जारी किये जाते हैं बल्कि फतवे के जरिये गजवा-ए-हिंद का महिमामंडन किया था। Darul Uloom Deoband
NCPCR अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने आगे कहा कि “हमने यूपी सरकार को उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए नोटिस दिया था। यूपी सरकार ने जवाब में कहा कि यह फतवा 2008 में जारी किया गया था। फतवे में कहा गया कि जो भी गजवा-ए-हिंद के दौरान मारा जाएगा वह शहीद माना जाएगा। यह फतवा 26/11 हमले के ठीक बाद 1 दिसंबर 2008 को जारी किया गया था। इस सिलसिले में हमने कलेक्टर और एसपी सहारनपुर को दिल्ली बुलाया है और एक रिपोर्ट और स्पष्टीकरण मांगा है।” Darul Uloom Deoband