Saharanpur News : 33 साल बाद भी नहीं नहीं मिले सहारनपुर के जवान चंद्रबोस, पत्नी और बेटी कर रही बेसब्री से इन्तजार 

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सहारनपुर : 1968 में वायुसेना के विमान हादसे के बाद लापता हुए मलखान सिंह का पार्थिव शरीर 56 साल बाद मिलने के बाद जहां परिवार में ख़ुशी और गम दोनों माहौल देखने को मिल रहे हैं। मलखान सिंह का अंतिम संस्कार परिजनों के हाथो होने के बाद जहां परिजनों ने ख़ुशी जाहिर की वहीं सहारनपुर में एक ऐसा परिवार भी है जो 33 साल से सेना में भर्ती हुए जवान का बेसब्री से इन्तजार कर रहा है। एक पत्नी अपने पति और बेटी अपने पिता के लौटने राह देख रहे हैं।शहीद मलखान सिंह के पार्थिव शरीर के मिलने बाद अब इस परिवार को 33 साल से लापता के घर आने की उम्मीद जगी है। उन्हें उम्मीद है कि एक दिन उनके पिता चंद्रबोस उनके बीच जरूर आएंगे।

आपको बता दें कि सहारनपुर के कस्बा गंगोह निवासी चंद्रबोस 7 नवंबर 1983 को सेना में भर्ती हुए थे। 3 मई 1991 को वे सेना के साथ सिक्किम से पहाड़ियों की ओर गए थे। उस समय उनकी बटालियन पहाड़ो के बीच में कैंप लगाकर रुक गई थी। उसी रात वहां अचानक पानी आ गया और 40 जवान बह गए थे। भारतीय सेना ने सभी जवानों को काफी तलाश किया तब जाकर कुछ जवानों के शव मिल पाए। जबकि आधे से ज्यादा जवानों का कोई सुराग नहीं लगा। जिनमें एक सहारनपुर चंद्रबोस भी शामिल हैं। Saharanpur News

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1991 से लापता चंद्रबोस का का परिवार अपनी तस्सली के लिए उनकी तलाश में खुद ही मौके पर जा चुका है। सेना के अधिकारी भी बीच बीच में तलाशी अभियान चलाते रहते हैं। लेकिन आज तक उनका कोई सुराग नहीं लग सका। परिवार को चंद्रबोस के जल्द घर लौटने का इंतजार है। हालांकि भारतीय सेना ने आठ साल बीत जाने के बाद नियमानुसार चंद्रबोस को मृत घोषित कर दिया था, क्योंकि उनके बारे में कोई जानकारी नहीं थी। उनकी पत्नी को वेतन और पेंशन मिलनी शुरू हो गई थी। लेकिन परिवार आज भी उनके लौटने का इंतजार कर रहा है। यही वजह है कि परिवार ने आज तक उनका कोई भी मरणोपरांत संस्कार भी नहीं किया है। Saharanpur News

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सैनिक के परिवार में उनकी पत्नी राजेश देवी और बेटी हैं। जिस समय सैनिक लापता हुए थे, उस समय उनकी बेटी महज छह महीने की थी। लेकिन अब बेटी बड़ी हो गई है। उनकी पत्नी और बेटी को उम्मीद है कि परिवार के मुखिया चंद्रबोस एक दिन जरूर लौटेंगे। चंद्रबोस की बेटी का कहना है कि सेना में सेवा करते हुए उनके पिता चंद्रबोस को छोटी उम्र में ही सैन्य सेवा पदक से सम्मानित किया गया था। उनका मानना है कि अगर उनके पिता गायब नहीं हुए होते तो अब तक उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका होता। उन्हें उम्मीद है एक दिन उसके पिता उनके बीच जरूर आएंगे। Saharanpur News

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