सहारनपुर : सुप्रीम कोर्ट ने “बुलडोज़र न्याय” को लेकर बड़ा फैसला लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने देश में कहीं भी बुलडोजर कार्यवाई रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से जहां बीजेपी सरकार की मुश्किलें बढ़ने लगी हैं वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने स्वागत किया है। मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि “हम अदालत के अंतरिम फैसले का स्वागत करते हैं। हमें पूरी उम्मीद है कि 1 अक्तूबर के बाद सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर जो फैसला देगी, उससे उन ताक़तों को गंभीर झटका लगेगा जो बुलडोज़र कार्रवाई को अपना क़ानूनी अधिकार समझने लगी थीं।”
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आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश समेत बीजेपी शासित प्रदेशों में अपराधियों के खिलाफ क़ानूनी कार्यवाई के साथ उनकी सम्पत्तियों पर बुलडोजर कार्यवाई की जा रही रही थी। जिसके चलते बेगुनाह परिजनों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। शायद यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्यवाई के खिलाफ फैसला लेना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के अनुरोध पर दो सप्ताह की मोहलत दी है। अदालत का यह फैसला सराहनीय है। इस अवधि के दौरान अदालत की अनुमति के बिना कोई घर नहीं गिराया जाएगा। मौलाना मदनी ने कहा कि अदालत की यह कड़ी टिप्पणी इस बात का इशारा है कि इसका जो मार्गदर्शक या अंतिम फैसला आएगा वो न केवल पीड़ितों के हित में होगा बल्कि उससे न्यायपालिका पर विश्वास बढ़ेगा। Bulldozer Action
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जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने अफसोस जताते हुए कहा कि “यह बात किसी विडंबना से कम नहीं कि सांप्रदायिक मानसिकता ताक़त के नशे में खुद को न्यायपालिका और कानून से ऊपर समझने लगी है। इस प्रकार की सोच इन अर्थों में घातक है कि देश का लोकतांत्रिक ढांचा जिन स्तंभ पर खड़ा है। उनमें सबसे मज़बूत स्तंभ न्यायपालिका है। जहां बेसहारा हो जाने वाले लोगों को अपना लोकतांत्रिक अधिकार मिलता है। न्यायपालिका की सर्वोच्चता को कमज़ोर करने का प्रयास वास्तव में लोकतंत्र को कमज़ोर करने का प्रयास है।” Bulldozer Action
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मौलाना मदनी ने आगे कहा कि “देश का कोई कानून इस बात की अनुमति नहीं देता कि केवल संदेह या आरोप के आधार पर क़ानूनी कार्रवाई के बिना किसी के घर को ध्वस्त कर दिया जाए। यह सत्ता का दुरुपयोग है। उन्होंने अंत में कहा कि आशाजनक बात यह है कि अदालत ने इस मामले की संवेदनशीलता और महत्व को समझा। जो टिप्पणी की उससे देश के सभी न्यायप्रिय लोगों के इस पक्ष को समर्थन मिल गया। बुलडोज़र कार्रवाई से न्याय नहीं बल्कि लोगों का खून किया जाता है।” Bulldozer Action
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