37वें सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला-2024 का भव्य आगाज

चंडीगढ़, 2 फरवरी। हरियाणा के सूरजकुंड में आज 37वें सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला-2024 का भव्य आगाज हुआ, जो 18 फरवरी तक चलेगा। भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 37वें सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला का उद्घाटन किया गया।

इस अवसर पर हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय और मुख्यमंत्री मनोहर लाल सहित कई गणमान्य अतिथि मौजूद रहे।राष्ट्रपति ने मेला परिसर में हरियाणा की अपना घर पवेलियन का दौरा किया और हरियाणवी संस्कृति की झलक बिखेर रहे यंत्रों की बारीकी से जानकारी भी ली। उन्होंने मेला के थीम स्टेट गुजरात राज्य के स्टॉल का अवलोकन करते हुए शिल्पकारों से भी संवाद किया। साथ ही मेले के सहभागी देशों व प्रदेशों की सांस्कृतिक विधा को भी देखते हुए उन्हें प्रोत्साहित किया। परिसर की मुख्य चौपाल के मंच से राष्ट्रपति ने दीप प्रज्ज्वलन के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

        इस मौके पर उन्होंने कहा कि वर्ष 1987 से हर वर्ष आयोजित किए जा रहे इस मेले के सफल आयोजन के लिए सभी टीमें बधाई की पात्र हैं। उन्होंने इस वर्ष के मेले के आयोजन के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल व उनकी टीम की प्रशंसा की।

        द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि तंजानिया इस वर्ष के मेले का भागीदार देश है। पिछले साल अक्टूबर में तंजानिया की राष्ट्रपति सामिया सुलुहू हसन से चर्चा के दौरान दोनों देशों की सांस्कृतिक आदान-प्रदान को और अधिक विस्तारित करने के महत्व पर सहमति बनी थी। इस मेले में आने वाले आगंतुकों को लकड़ी की नक्काशी, मिट्टी के बर्तन और बुनाई सहित जीवंत और रंगीन तंजानिया कला और शिल्प का अनुभव करने का मौका मिलेगा। यह तंजानियाई नृत्य, संगीत और व्यंजनों को प्रदर्शित करने का एक अद्भुत मंच है, जिसमें हम भारत और पूर्वी अफ्रीकी तट के बीच सदियों से लोगों के बीच संपर्क के कारण कुछ भारतीय प्रभाव की झलक भी देख सकते हैं। इस मेले में भागीदार राष्ट्र के रूप में तंजानिया की भागीदारी अफ्रीकी संघ के साथ भारत की मजबूत भागीदारी को उजागर करती है।

        राष्ट्रपति ने कहा कि इस वर्ष के मेले के साझेदार राज्य गुजरात की कला, परंपरा देखते ही बनती है। गुजरात के विभिन्न क्षेत्रों से आए शिल्पकारों व कलाकारों के माध्यम से राज्य की जीवंत कला देखने को मिलेगी। उन्होंने कहा कि उत्तर पूर्वी हस्तशिल्प एवं हथकरघा विकास निगम लिमिटेड इस वर्ष के मेले के सांस्कृतिक भागीदार हैं। हमारे शिल्पकारों ने देश की कला विरासत को संजो कर रखा है। इसके लिए सभी शिल्पकार सराहना के पात्र हैं।

        उन्होंने कहा कि यह मेला हमारी सांस्कृतिक विविधता का उत्सव है। यह मेला हमारी परंपरा का उत्सव भी है और नवीनता का भी। यह मेला हमारे शिल्पकारों को कला प्रेमियों से जोड़ने का प्रभावी मंच है। यह मेला कला प्रदर्शनी भी है और व्यापार केंद्र भी है। उन्होंने कहा कि इस मेले के दौरान 20 करोड़ रुपये से ज्यादा का व्यापार होने की उम्मीद है, जो शिल्पकारों व हथकरघा व्यापारियों के लिए आर्थिक दृष्टि से एक बहुत बड़ा मंच है।

मेले ने वैश्विक पर्यटक कैलेंडर में अलग जगह बनाई – राज्यपाल

        इस अवसर पर राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने उम्मीद जताई कि है इस प्रकार के आयोजनों से हमारे द्विपक्षीय संबंध और मज़बूत होंगे। 

        राज्यपाल ने कहा की सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय मेला ने अंतरराष्ट्रीय पर्यटक कैलेंडर में अपनी अलग पहचान बना ली है। अब यह हर साल एक बहुप्रतीक्षित कार्यक्रम है जो निरंतर सफलता की ओर अग्रसर है। गत वर्ष देश विदेश से लगभग 14 लाख पर्यटकों का मेले में आगमन हुआ था।

        बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि इस वर्ष हमारे आठ उत्तर पूर्वी राज्य- अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम व त्रिपुरा- हमारी अष्टलक्ष्मी सांस्कृतिक भागीदार के रूप में भाग ले रहे हैं। यह सभी आठ राज्य मेले में आगंतुकों व कला प्रेमियों के लिए कला, शिल्प, व्यंजन और प्रदर्शन कला की पहले कभी न देखी गई माला प्रस्तुत करने के लिए एक छतरी के नीचे एकत्रित होकर अपनी प्रतिभाओं का प्रदर्शन करके मेले को आकर्षक बनाएगें।

विकसित भारत की परिकल्पना को साकार कर रहा है हरियाणा- मुख्यमंत्री

इस अवसर पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि अरावली की पहाड़ियों की तलहटी में तोमर वंश के राजा सूरजपाल द्वारा बनवाया गया ऐतिहासिक सूरजकुंड रोमन शैली में बना है और उगते सूरज की आकृति का है। उगता सूरज प्रगति का प्रतीक माना जाता है। इस धरा पर पिछले 36 सालों से लगाये जा रहे अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेले का इस बार विशेष महत्व है, इसका उद्घाटन राष्ट्रपति के कर कमलों से हुआ है। आज सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला हरियाणा की पहचान बन चुका है।

        मुख्यमंत्री ने विशेष रूप से मेले में भागीदार देश संयुक्त गणराज्य तंजानिया के कारीगरों और शिल्पकारों का स्वागत करते हुए कहा कि पूर्वी अफ्रीकी देश तंजानिया की कला और शिल्प निश्चित रूप से इस मेले में आकर्षण का केंद्र होगा। उन्होंने कहा कि इस बार मेले का सहभागी राज्य गुजरात है। उन्होंने कहा कि हरियाणा प्रदेश आत्मनिर्भरता के साथ विकसित भारत की परिकल्पना को साकार करने में अपना दायित्व निभा रहा है।

        उन्होंने कहा कि पहली बार इस वर्ष इस मेले में 40 से अधिक देश भाग ले रहे हैं, जो एक रिकॉर्ड है। यहां देश-विदेश के कलाकारों व शिल्पकारों की कल्पनाओं से सराबोर कलाकृतियों से सुसज्जित इस हस्तशिल्प मेले की छटा देखते ही बनती है। उन्होंने कहा कि इस मेले में लगभग 1000 से अधिक स्टॉल शिल्पकारों व हस्तशिल्पियों को उपलब्ध करवाए जाते हैं। मेले में हरियाणा की चौपाल, अपना घर के माध्यम से यहां की संस्कृति भी देखने को मिलेगी। उन्होंने कहा कि 16 दिनों तक चलने वाले इस मेले में 15 लाख से अधिक लोगों के आने की उम्मीद है।

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