UP Politics News : जयंत की पीएम मोदी और सीएम योगी की रैलियों से दूरी क्यों ?
Published By Roshan Lal Saini
UP Politics News : जाटलैंड और खासकर मुजफ्फरनगर में चर्चाओं का बाजार गर्म है कि जयंत चौधरी और भारतीय जनता पार्टी के बीच तल्खी बढ़ने लगी है। माना जा रहा है कि गठबंधन के विरोधियों ने इस तरह की चर्चा फैलाई है कि जयंत ने अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को संजीव बालियान से चौधरी अजीत सिंह की 2019 की हार का बदला लेने के लिए इशारा कर दिया है।
ये भी पढ़िए … दो लड़कों की फ्लॉफ़ फिल्म रिलीज कर रहा विपक्ष, पीएम यदि ने राहुल-अखिलेश की जोड़ी पर कसा तंज
चर्चा है कि जब इस प्रकार की ख़बर भाजपा के नेताओं तक पहुंची तो पार्टी शीर्ष नेतृत्व को तत्काल सूचित किया गया। बताते हैं कि शीर्ष नेतृत्व ने सीधा संदेश देते हुए पीएम और सीएम की रैलियां से जयंत चौधरी को दूर रखने के निर्देश दिए। उसी के तहत जयंत को सूचित कर दिया गया और उनको सहारनपुर पीएम की रैली और बिजनौर में सीम योगी की रैली में आने से मना किया। जब इस बारे में रालोद नेताओं से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने अनभिज्ञता जताते हुए कोई टिप्पणी करने से मना कर दिया। UP Politics News
ये भी देखिये …
ये भी देखिये … RAJPUT शेरनियों की दहाड़, मोदी-अमित शाह को सोचना होगा इस बार
दरअसल यूपी के राष्ट्रीय लोक दल के कार्यकर्ताओं चौधरी चरण सिंह और चौधरी अजीत सिंह के दो प्रकार के विचारों वाले लोग हैं एक जो चाहते थे कि जयंत हर कीमत पर विपक्ष में ही रहे। दूसरा धड़ा चाहता था कि जयंत रणनीतिक फैसला लेते हुए सत्ताधारी दल भाजपा के साथ जाकर किसानों की मांगे और मुद्दो को सरकार के सामने रखें और चुनावी माहौल में दबाव बनाते हुए किसानों की मांगे पूरी कराए। क्योंकि कार्यकर्ता पिछले 10 सालों से सत्ता से लड़ रहा है। अब वह समाधान चाहता है। UP Politics News
ये भी पढ़िए … उलेमाओं ने INDIA गठबंधन के खिलाफ लगाए मुर्दाबाद के नारे, सपा-कांग्रेस को वोट नही देने की कर रहे अपील
बहरहाल जयंत भाजपा के साथ तो गए लेकिन वह भाजपा के सामने अपनी मांगे मजबूती से रखने में नाकाम रहे। ऐसा लगने लगा है कि भारतीय जनता पार्टी ने उनका चुनावी हथियार के रूप में प्रयोग करना चाहा है। रालोद कार्यकर्ताओं का मानना है कि भाजपा के संजीव बालियान जाटों के एक छत्र नेता बनना चाहते हैं।
क्योंकि 10 साल सत्ता में रहने से उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा उन पर हावी है। आज़ रालोद नेताओं और कार्यकर्ताओं में उनके कार्यकर्ताओं में जयंत रैलियों से दूर रहने वाले फैसले के प्रति रोष और भाजपा के इस रवैया से कहीं ना कहीं कार्यकर्ता खिन है। अब इस बात का इस चुनाव पर क्या प्रभाव पड़ेगा? यह तो आने वाला समय ही बताएगा। UP Politics News