सहारनपुर : बुधवार को वक्फ संशोधन बिल संसद के लोकसभा सदन में पेश कर दिया गया है। लोकसभा सदन में आठ घंटे के लिए बहस चल रही है। वहीं इस बिल को लेकर इस्लामिक जगत में आक्रोश देख जा रहा है। देवबंदी उलेमाओं और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड संशोधित बिल को लेकर गुस्से में हैं हालांकि कुछ मुस्लिम धर्म इस बिल का स्वागत भी कर रहा है। देवबंदी उलेमा कारी इशहाक गोरा का कहना है कि इन बिल को लाने से मुसलमानों के अधिकारों का हनन हो रहा है। मुसलमानों की संपत्ति पर सरकार का कब्जा हो जायेगा। इसलिए यह बिल मुसलमानों को किसी भी सूरत में मंजूर नहीं है।

आपको बता दें कि बुधवार को संसद के लोकसभा सदन में वक्फ संपत्ति को लेकर बनाए गए वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक को पेश किया गया है। पक्ष विपक्ष के बीच बहस चल रही है। ईटीवी भारत से बातचीत में देवबंदी उलेमा एवं प्रसिद्द इस्लामिक धर्म गुरु कारी इशहाक गोरा ने कहा कि मुसलमान पहले भी यह बात कहते आए हैं और आज भी वे अपनी बात पर कायम हैं। मुसलमान वक्फ संशोधन विधेयक को स्वीकार नहीं करते, नहीं, नहीं। जो वक्फ संशोधन विधेयक लाया जा रहा है, वह मुसलमानों के संवैधानिक अधिकारों को छीनने जैसा है।
इस विधेयक में कई खामियां हैं जो मुसलमानों के खिलाफ हैं और अगर इस विधेयक की खामियों को गिनाया जाए तो यह एक लंबी सूची है और इसमें सुबह से शाम हो जाएगी। अगर यह विधेयक हमारे पक्ष में होता तो हमें इस विधेयक को स्वीकार करने में कोई आपत्ति नहीं होती, लेकिन जब यह हमारे हाथ में नहीं है तो मुसलमान इसे कतई स्वीकार नहीं करेंगे। इस विधेयक की खामियां और दोष मुसलमानों के अधिकारों को छीनने जैसा है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पहले ही इस विधेयक की कमियां गिना चुका है और लगातार उन्हें गिना रहा है, जिसके बावजूद इस विधेयक को लागू करने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि हम इस विधेयक को संवैधानिक और लोकतांत्रिक तरीके से हटाने के लिए हर तरह की लड़ाई लड़ेंगे। एक जेपीसी कमेटी बनाई गई, हमने उनसे और विपक्ष से भी बात की लेकिन सरकार ने उनकी एक भी बात नहीं सुनी। इस बिल में सरकार ने हर बात को अपने तरीके से पेश किया है। कुछ संशोधन किए गए हैं लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ। बात को घुमाकर फिर से उसी बिंदु पर ला दिया गया है। वक्फ की संपत्ति मुसलमानों की संपत्ति है और वक्फ की संपत्ति अल्लाह की संपत्ति है।
यह बिल मुसलमानों के हक में बिल्कुल नहीं है और अगर बीजेपी कह रही है कि यह बिल मुसलमानों के हक में है तो हम इतने भोले नहीं हैं, सरकार बस हमें बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रही है और हम भी समझते हैं कि हमारे हक में क्या बुरा है। अगर यह बिल बीजेपी के अलावा कोई और पार्टी या कोई मुस्लिम पार्टी लाती तो भी मुसलमान इसका इसी तरह विरोध करते।
अगर यह बिल संसद के दोनों सदनों में पास हो जाता है तो आपको ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए जो चीन की तरह संवैधानिक अधिकारों का हनन करता हो या जातिवाद जैसा हो क्योंकि यह संपत्ति मुसलमानों की है और मुसलमानों के पास ही रहेगी और इसमें ऐसी कोई शर्त नहीं लगाई जानी चाहिए जिससे मुसलमानों के लिए जिम्मेदार लोगों में बेचैनी पैदा हो। क्योंकि वक्फ से जुड़ी बहुत सी चीजें हैं, दरगाहें हैं, मस्जिदें हैं, मम बारा हैं, मस्जिदें हैं और ये सभी चीजें धार्मिक मुद्दों से भी जुड़ी हैं।जो लोग इस बिल के पक्ष में बोल रहे हैं, वे या तो खरीदे हुए हैं या फिर वे मुसलमान ही नहीं हैं। ऐसे लोग बिल्कुल भोले हैं, उन्हें वक्फ के बारे में कोई जानकारी नहीं है और न ही उन्होंने कभी वक्फ के बारे में पढ़ा है। और इस बिल को पूरी तरह से वापस लिया जाना चाहिए और मुसलमानों को उनके अधिकार नहीं मिलने चाहिए, मुसलमानों के साथ कोई अन्याय नहीं होना चाहिए। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जो भी फैसला लेगा, हम उस पर काम करेंगे। Waqf Board Bill
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