पेरिस ओलंपिक 2024 : हिंदुस्तान की मिट्टी में अजीब खासियत है कि जिस प्रकार से यहां की मिट्टी से हीरे, जवाहरात और सोना निकलते हैं, उसी प्रकार से यहां के लोग परेशानियों और मुसीबतों से निकलकर दुनिया भर में अपना, अपने मां-बाप का और अपने देश का नाम रोशन करने वाले हीरे निकलते हैं। लेकिन दुर्भाग्य से हम उनकी कद्र नहीं करते और कई बार तो उनके साथ अत्याचार की भी हदें पार होती हैं। देश की पहलवान बेटी विनेश फोगाट इसका सबसे ताजा उदाहरण हैं, जिनके साथ पिछले ही साल इस देश की केंद्र सरकार ने न्याय न करके ये साबित कर दिया था कि यहां जो केंद्र सरकार में मंत्री या सांसद है, वो कितना भी गलत क्यों न हो, उसके खिलाफ उठने वाली हर आवाज दबा दी जाएगी, भले ही वो देश का सिर फख्र से ऊंचा करने वाली देश की इज्जत बेटियां ही क्यों न हों।
मुझे याद आता है कि 28 मई 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन करने जा रहे थे और उसी दौरान रात को जिस प्रकार से दुनिया भर में देश का नाम रोशन करने वाली देश की पहलवान बेटी विनेश फोगाट, उनकी साथी साक्षी मलिक और दूसरी पहलवान बेटियों की आवाज को कुछ अत्याचारियों द्वारा जूतों तले रौंदा गया था, वो लोकतंत्र की हत्या से कम नहीं था। इन पहलवान बेटियो का कसूर सिर्फ इतना था कि इन्होंने अपने खिलाफ हुए यौन शोषण की बात पूरे देश को बताकर सिर्फ आरोपी तत्कालीन भाजपा सांसद और कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह के खिलाफ आवाज उठाकर न्याय की गुहार केंद्र की मोदी सरकार से की थी। न्याय के बदले इस बेटी और दूसरी पहलवान बेटियों को सिर्फ और सिर्फ बदनामी और अत्याचार के अलावा मोदी सरकार और कुछ नहीं दे सकी। लेकिन दूसरी तरफ देखिए, आज उसी बेटी ने पूरी दुनिया में देश का नाम गौरव से ऊंचा और रोशन किया है।
विनेश फोगाट अनफिट घोषित, ओलंपिक से बाहर होने और वेट-इन नियमों पर विस्तृत विश्लेषण
बहरहाल, सवाल ये है कि क्या ये देश कभी इस बेटी का कर्ज चुका पाएगा, जिसने सारे अत्याचारों को सहने के बावजूद देश के लिए मान-सम्मान और मैडल दिया है? क्या इतिहास कभी मोदी सरकार में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलने वाली इस पहलवान बेटी पर हुए अत्याचारों को भूल पाएगा? क्या मोदी सरकार को अपनी गलती का एहसास होगा कि उसने एक देशभक्त बेटी के साथ न्याय नहीं किया? क्या मोदी सरकार अब भी बृजभूषण सिंह के खिलाफ कार्रवाही करेगी? क्या इतिहास भूल पाएगा कि दुनिया जीतने वाली एक देश की बेटी अपने ही देश में न्याय मांगने पर जुतों से कुचली गई थी? सवाल ये भी है कि विनेश तो जीत गईं, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी उन्हें किस मुंह से बधाई देंगे? मेरे लिए बेहद ही भावुकता का पल है जिसने विनेश फोगाट को पुलिस के बूटों से कुचलते और तिरंगे के साथ घसीटते देखा था, लेकिन उस व्यक्ति के लिए डूब मरने का पल है, जिसने कहा था कि मेडल तो 15 रुपए में मिल जाते हैं। दूसरा उन सफेदपोश तथाकथित नेताओं के लिए भी डूब मरने का दिन है, जो इन बेटियों के साथ इस दुर्व्यवहार पर मुंह न खोलकर अपने पदों को बचाने के लिए मुंह छुपाते फिर रहे थे।
नन्हे चैम्पियन ने भरी उड़ान, 10 साल छात्र ने स्टेट चैंपियनशिप में जीता गोल्ड, नेशनल टीम में हुआ चयन
विनेश ने बड़ी लड़ाई जीती है। लेकिन आज मुझे फिर इस बात का दुख हुआ है कि 100 ग्राम ज्यादा वेट दिखाकर गोल्ड मेडल लाने के पक्के इरादे रखने वाली ये बेटी आज दुनिया की सबसे बड़ी ओलंपियन बनने से रह गई। 100 ग्राम वजन तो एक मुट्ठी मूंगफली खाने भर से भी बढ़ सकता है, लेकिन यहां ओलंपिक खेल के प्रबंधकों का ये खेल यानि साजिश ने एक होनहार दुनिया की बेहतरीन खिलाड़ी का शिकार कर दिया, जिसके चलते विनेश फोगाट को इतना गहरा सदमा लगा कि उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। उन नेताओं को शर्मिंदगी होनी चाहिए, जो न तो विनेश के सेमीफाइनल जीतने पर बधाई दे सके और न ही विनेश के ओलंपिक के फाइनल से बाहर होने पर दो शब्द इस साजिश के खिलाफ बोल पा रहे हैं। आज ओलंपिक से विनेश फोगाट बाहर नहीं हुई हैं, बल्कि पूरा देश बाहर हुआ है और ओलंपिक को अपनी बपौती समझकर अपने हिसाब से चलाने वालों ने ये साबित कर दिया है कि वो हिंदुस्तान के खिलाड़ियों को अपनी मेहरबानी पर ही एक स्तर तक खेलने दे सकते हैं।
एक ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय बनी मनु भाकर, मिश्रित टीम स्पर्धा में जीता कांस्य पदक
दरअसल, ये हमारे देश का दुर्भाग्य ही है कि हमारे बहुत से अपनों ने ही हमें हमेशा लूटा है और वो देश के हार जाने का जश्न देश के जात जाने से ज्यादा मनाते हैं और दिखाते ये हैं कि वो ही सबसे बड़े देशभक्त हैं। हिंदुस्तान की सबसे बेहतरीन पहलवानों में से एक विनेश फोगाट महिला कुश्ती की एक मजबूत कड़ी हैं, जिनकी जीत कई लोगों को तबसे हजम नहीं हो रही है, जबसे उन्होंने एक यौन शोषण के आरोपी नेता के खिलाफ आवाज उठाई है।
बहरहाल, पारिवारिक विरासत में मिली पहलवानी से हौसला लेकर दुनिया जीतने निकली ओलंपियन विनेश फोगाट ने अब तक कॉमनवेल्थ गेम्स में तीन गोल्ड मैडल, विश्व चैंपियनशिप में दो ब्रांज मैडल, एशियाई खेलों में एक गोल्ड मैडल, जीता। साल 2021 में एशियाई चैंपियन का खिताब भी विनेश ने अपने नाम किया। अब 2024 में उन्होंने पेरिस ओलंपिक में विनेश ने इतिहास रचते हुए 50 किलोग्राम महिलाओं की फ्री-स्टाइल के सेमीफाइनल में क्यूबा की युस्नीलिस गुजमैन लोपेज को 5-0 से हराने के बाद प्री-क्वार्टर फाइनल में कई सालों से ओलंपिक चैंपियन रहीं जापान की रहने वाली विश्च चैंपियन खिलाड़ी युई सुसाकी को हराकर फाइलन में पहुंचीं, लेकिन वो 100 ग्राम वजन ज्यादा होने के चलते बाहर कर दी गईं। कुछ लोग इसे साजिश बता रहे हैं।
लेकिन मैं यही कहूंगा कि विनेश हौसला रखो, जिस प्रकार से आपने अपने आरोपियों को करारा जवाब देकर मात दी है, उसी प्रकार से आप या हिंदुस्तान की कोई दूसरी बेटी पेरिस ओलंपिक खेलों के आयोजकों को इसका जवाब देगी। आपके जज्बे को मैं सलाम करता हूं और देश की बेटियों को ये कहना चाहता हूं कि किसी भी परिस्थिति में हराने की साजिशों के बावजूद जीतने का जूनुन पालो और दुनिया को दिखा दो कि विनेश फोगाट की तरह ही तुम भी किसी भी हालात में किसी से भी नहीं हारोगी, चाहे कोई अत्याचारी कितना भी बड़ा ताकतवर क्यों न हो। साथ ही मैं देश की बेटी विनेश फोगाट से कहना चाहूंगा कि तुम्हारे हौंसले की आज के बाद मिसालें दी जाएंगी और तुम हारी तो हो नहीं, तुम्हें जीतता देख कुछ लोगों ने साजिश के तहत तुम्हें डिस्क्लाईफाई किया है, इसलिए जिस प्रकार से तुमने जंतर-मंतर पर न्याय मांगने के दौरान खुद के साथ अत्याचार होने के बावजूद देश के लिए एक बार फिर खेलकर देश का नाम दुनिया भर में रोशन किया, उसी प्रकार से अपना ये हौंसला ऐसे ही बनाए रखना, जिससे देश की बाकी सभी बेटियां भी तुमसे सीख लेकर अपने हौंसले कभी न हारें। इस एक साजिश से तुम्हें कुछ लोगों ने पेरिस ओलंपिक फाइलन से बाहर तो कर दिया, लेकिन वो तुम्हारी उपलब्धियां तुमसे कभी नहीं छीन सकते। एक साजिश तुम्हारे फौलाद जैसे हौंसले नहीं तोड़ सकती विनेश।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)