UP Political News : अपने दादा चौ.चरण सिंह से राजनीति सीखें जयंत चौधरी, रालोद का होगा बेड़ापार
Published By Roshan Lal Saini
UP Political News : हिंदुस्तान में सियासत और राजनीति का एक ही अर्थ है कि सत्ता प्राप्त कर अपने और अपने वर्ग के हित में काम करना। और लगातार सत्ता में बने रहना। इसमें कोई दो राय नहीं है कि लोकदल किसानों की पार्टी है, परंतु केंद्र में करीब 10 सालों से सत्ता से कोसों दूर है और यही हाल यूपी में भी है लगभग 20 सालों से प्रदेश सत्ता से दूर है।
पार्टी और उसके कार्यकर्ता परेशान और हैरान है क्योंकि ऐसे में ना तो किसानों के हक में कोई नीति बना सकी, ना ही अपने कार्यकर्ताओं के कोई काम हो पा रहे और ना ही पार्टी के नेताओं को किसी सदन में पहुंचने का कोई बहुत विश्वास है। तो क्या ऐसी स्थिति में कोई भी सियासी पार्टी लंबे समय तक जिंदा नहीं रह सकती है? प्रदेश में खत्म होने वाले दो सबसे बड़े सियासी दल कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं। UP Political News
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दरअसल रालोद प्रमुख जयंत चौधरी को अपने दादा चौधरी चरण सिंह से सीखना चाहिए कि कैसे राजनीति होती है। सियासत की गला काट प्रतियोगिता में बने रहने के लिए तमाम साम, दाम, दंड, भेद और सियासी पैंतरेबाजी करनी पड़ती है। जाहिर है सियासत में कोई किसी का स्थायी दोस्त और दुश्मन नहीं होता इसका ताजा उदाहरण नीतीश कुमार है। UP Political News
बड़े चौधरी साहब लगभग सारा राजनीतिक जीवन सत्ता में रहे, और अपने किसान, कामगार और मजदूर वर्गों के हित में नीतियां बनाई। चौधरी साहब ने लगातार इंदिरा गांधी के खिलाफ राजनीति की और इंदिरा गांधी के समर्थन से ही प्रधानमंत्री बने। ईमानदारी से दिल पर हाथ रखकर कहें तो ये कहा जा सकता है कि यदि चौधरी चरण सिंह प्रधानमंत्री नहीं बनते तो कौन उन्हें किसानों का सबसे बड़ा नेता मानता? UP Political News
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बहरहाल जयंत चौधरी ने अभी तक क़रीब दो दशक लंबा राजनीतिक जीवन विपक्ष में ही बिताया और सियासत में कुछ ख़ास हासिल नहीं किया, ना अपने लिए, ना अपने कार्यकर्ताओं के लिए और न ही अपने वोटर किसान और कामगार वर्ग के लिए, दो दो बार दोनों पिता पुत्र चुनाव हार गए। तो ऐसे में कितने दिनों तक वोटर, कार्यकर्ता और नेता उनका साथ देंगे? ज़ाहिर है कि आज तक के इतिहास में लोकदल ने सबसे ज्यादा सीटें भाजपा के गठबंधन में ही जीतीं हैं। UP Political News
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खुद जयंत 2009 के बाद लोकसभा का मुंह नहीं देख पाए। मुझे यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि यदि अपने अंदर शक्ति ना हो तो सत्ता के जहाज में बैठकर अपने वर्गों, कार्यकर्ताओं और नेताओं के काम करने चाहिए, वरना राजनीति करने का कोई अर्थ नहीं है। मेरे सूत्रों और रालोद नेताओं और ईमानदार कार्यकर्ताओं के भी यही विचार हैं। इसलिए राजनीति दिमाग से करनी चाहिए। UP Political News