Shameful Arbitrariness of Doctors : सहारनपुर मेडिकल कॉलेज की सच्चाई, मंत्री के रिश्तेदार को नहीं मिला इलाज, मौत के बाद शव को गोद में लिये घूमता रहा बेटा
Published By Roshan Lal Saini
Shameful Arbitrariness of Doctors : एक ओर जहां मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के दावे कर रहे हैं वहीं अस्पतालों में तैनात डॉक्टर और स्टाफ न सिर्फ सीएम योगी के दावों की हवा निकालने में लगे हैं बल्कि मरीजों के साथ अभद्रता भी कर रहे हैं। आलम यह है कि सीनियर सिटीजन तक को इलाज नहीं मिल पा रहा है। ऐसी ही एक बानगी सहारनपुर के राजकीय मेडिकल कॉलेज में देखने मिली। जहां यूपी सरकार में पीडब्ल्यूडी मंत्री कुंवर बृजेश सिंह के रिश्तेदार को इलाज तो दूर स्ट्रेचर और बैड भी नहीं मिला। जिससे बुजर्ग मौसा की मेडिकल कॉलेज में तड़प तेदेपा कर मौत हो गई। हैरत की बात तो ये है बुजुर्ग की मौत के बाद भी मेडिकल स्टाफ ने मंत्री जी के रिश्तेदारों को धक्का देकर बाहर निकाल दिया। बेबश लाचार बेटा मृतक पिता के शव को गोद में लिये भटकता रहा लेकिन मंन्त्री जी के फोन के बाद भी उन्हें शव रखने के लिए भी स्ट्रेचर उपलब्ध नहीं कराई। जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी के साथ वायरल हो रहा है।
आपको बता दें कि थाना बड़गांव के महेशपुर गांव में भाजपा सरकार में पीडब्ल्यूडी राज्य मंत्री बृजेश सिंह के 82 वर्षीय मौसा घनश्याम सिंह की तबीयत बिगड़ गई। मंगलवार की सुबह परिजन उनको लेकर पहले देवबंद के अस्पताल पहुंचे लेकिन वहां बेड नहीं मिलने की वजह से उन्हें सहारनपुर के एक निजी अस्पताल में लेकर आ गए। हैरत की बात तो ये रही कि उन्हें वहां भी बैड देने से इंकार कर दिया। जिसके चलते वे बुजुर्ग को लेकर पिलखनी में राजकीय मेडिकल कॉलेज ले गए। जहां जाने से पहले मंत्री जी से भी फोन करा दिया गया। बावजूद इसके यहां भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी। आरोप है कि मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में पहुंचकर स्ट्रेचर मांगा तो स्टाफ ने स्ट्रेचर नहीं दिया। जैसे तैसे किसी तरह बेटे कुलदीप ने पिता को गोद में उठाकर एक बेंच पर लिटा दिया। लेकिन मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर मरीज को भर्ती करने के लिए तैयार नहीं थे। करीब डेढ़ घंटे तक मरीज को भर्ती करने की जद्दोजहद करते रहे। लेकिन किसी ने कोई सुनवाई नहीं की और अभद्रता करते हुए इमरजेंसी से बाहर निकाल दिया। Shameful Arbitrariness of Doctors
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बुजुर्ग के बेटे कुलदीप ने बताया कि उन्होंने मौसेरे भाई मंत्री बृजेश सिंह को फोन किया। उन्होंने मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य को फोन कर अपने मौसा को भर्ती करने को कहा। लेकिन घंटो तक भी किसी ने उनकी कोई सुध नहीं ली। पिता को तड़पता देख कुलदीप ने मंत्री को दोबारा फोन कर आपबीती बताई तो मंत्री जी ने मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य डॉ संगीता अनेजा को दोबारा फोन कर जमकर क्लास लगाईं और मौसा को भर्ती करने को कहा। मंत्री के हड़काने के बाद स्टाफ तो आ गया लेकिन इलाज शुरू नहीं किया। जिससे बुजुर्ग घनश्याम ने तड़प तड़प कर दम तोड़ दिया। मंत्री के मौसा को मेडिकल कॉलेज में इलाज नहीं मिलने मौत हो गई। Shameful Arbitrariness of Doctors
मृतक घनश्याम के बेटे कुलदीप का आरोप है कि ”सहारनपुर के राजकीय मेडिकल कॉलेज में इलाज के लिए किसी प्रकार की सुविधा नहीं है। यहां जब मंत्री के रिश्तेदार को ही कोई तवज्जों नहीं दी गई तो आमजन का क्या होता होगा ? कुलदीप का कहना है कि उनके पिता की मौत के बाद उन्होंने डॉक्टरों से स्ट्रेचर और एबुलेंस मांगी तो डॉक्टरों ने न सिर्फ स्ट्रेचर और एबुलेंस देने से मना कर दिया बल्कि उनके साथ अभद्रता शुरू कर इमरजेंसी से बाहर निकला दिया। इसके बाद उनका छोटा भाई करण सिंह ने डॉ.सुशील के पास जाकर एबुलेंस के लिए कहा उन्होंने भी गाली गलौच करते हुए अभद्रता करनी शुरू कर दी। मेडिकल कॉलेज के इस तरह के रवैये से तंग आकर बेबश लाचार बेटे गोद ही अपने पिता के शव को लेकर चल दिए। Shameful Arbitrariness of Doctors
ऐसे में यहां सवाल यह उठना लाज़मी है कि नौकरशाहों की मनमानी से जहां योगी सरकार के दावों को पलीता लगाया जा रहा है वहीं जिस मेडिकल कॉलेज में मंत्री के फोन के बाद भी उनके रिश्तेदार को इलाज नहीं मिला वहां आमजन को कैसा इलाज मिल रहा है सोचने वाली बात है ? Shameful Arbitrariness of Doctors
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