संभल : जामा मस्जिद कमेटी ने प्राचीन कुएं को सार्वजनिक करने के प्रयास के खिलाफ सिविल कोर्ट के माध्यम से प्रदेश सरकार और नगर पालिका को नोटिस भेजा है। कमेटी का कहना है कि यह कुआं जमा मस्जिद की पुरानी संपत्ति है। इसका इस्तेमाल केवल मुस्लिम समुदाय द्वारा इबादत के लिए होता रहा है। यह नोटिस सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 80 और नगर पालिका अधिनियम 1916 की धारा 326 के तहत है।
आपको बता दें कि प्राचीन काल से ही मुस्लिम समुदाय के लोग इसके पानी से नमाज और वुजू कर इबादत करते हैं। जिसमें मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए लंबे समय से पानी लेने के लिए मोटर लगाई गई है। इस कुएं पर किसी भी गैर मुस्लिम समुदाय का कोई भी अनुष्ठान नहीं किया जाता है। जमा मस्जिद के सदर ने बताया कि नगर पालिका इस कुएं का स्वरूप बदलना चाहती है। वहीं मस्जिद पक्ष के एडवोकेट शकील अहमद वारसी ने नोटिस जारी किया है। जामा मस्जिद सदर जफर अली एडवोकेट ने बताया कि शाही जामा मस्जिद की पूर्वी दीवार के नीचे एक प्राचीन कुआं है। जो मस्जिद की संपत्ति है और मस्जिद परिसर का हिस्सा है।
जमा मस्जिद के सदर ने बताया कि नगर पालिका इस कुएं का स्वरूप बदलना चाहती है। वहीं मस्जिद पक्ष के एडवोकेट शकील अहमद वारसी ने नोटिस जारी किया है। जामा मस्जिद सदर जफर अली एडवोकेट ने बताया कि शाही जामा मस्जिद की पूर्वी दीवार के नीचे एक प्राचीन कुआं है। जो मस्जिद की संपत्ति है और मस्जिद परिसर का हिस्सा है।
दरअसल सोमवार को शहर के अलग-अलग इलाकों में चार और प्राचीन कुएं मिले। लोगों ने अतिक्रमण कर कुओं को भर दिया था। जानकारी के मुताबिक़ कुओं में देवी-देवताओं की खंडित हुई मूर्तियां भी मिली हैं। नगर पालिका ने अतिक्रमण हटवाकर कुओं के सुंदरीकरण का काम शुरू कर दिया है। फिलहाल खुदाई का काम चल रहा है। ताकि कुओं को उनके पुराने स्वरूप में लौटाया जा सके।
ईओ का कहना है कि जिन कुओं को अतिक्रमण से मुक्त कराया जा रहा है, वे सभी नगर पालिका की संपत्ति हैं। इन कुओं की सफाई कराई जाएगी। खुदाई भी कराई जा रही है। ईओ ने बताया कि कुओं को ढकवाया जाएगा। जाल लगाए जाएंगे। गेट भी लगाए जाएंगे। उन्हें उनके मूल स्वरूप में लाया जाएगा। इसी क्रम में कार्य कराया जा रहा है। Sambhal