सहारनपुर : सहारनपुर के सर्राफा कारोबारी सौरभ बब्बर ने हरिद्वार की गंग नहर में पत्नी के साथ कूद कर आत्महत्या कर ली। सोमवार की शाम सौरभ का शव मिला था। जबकि पत्नी मोना बब्बर के शव की तलाश की जा रही है। मंगलवार की शाम कारोबारी का शव सहारनपुर लाया गया और श्मशान में अंतिम संस्कार कर दिया। करोड़ों के कर्ज से दबे सर्राफ दंपत्ति के खुदकुशी किये जाने पर जहां परिजनों में कोहराम मचा हुआ है वहीं पूरा शहर गमगीन है।
श्मशान पहुंचे शव को दिव्यांग बेटे ने मुखाग्नि दी। दोनों बच्चों का माता-पिता के लिए रो-रो-कर बुरा हाल है। बड़ी संख्या में शहर के लोग श्मशान घाट पहुंचे थे। जिनके मन में कई सवाल उमड़ रहे थे। आखिर बब्बर दंपती ने क्या सिर्फ कर्ज की वजह से खुदकुशी की? कमेटी की रकम बढ़ कर 10-15 करोड़ कैसे हो गई? कहीं सर्राफ कारोबारी के साथ कोई साजिश तो नही हो गई ? कमेटी के लिए इकट्ठा हुआ पैसा गया तो कहां गया ? Saharanpur Sucide
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इन सवालों के जवाब के लिए ETV भारत ने मृतक सर्राफा कारोबारी के परिजनों, रिश्तेदारों, दोस्तों और कारोबारी साझेदारों के बीच पहुंच कर हकीकत जाने की कोशिश की। लोगों ने बताया कि सौरभ बब्बर सर्राफा कारोबार के साथ सोना लेने-देने की कमेटी भी चलाता था। सहारनपुर के हजारों लोगों के साथ लेन-देन होता था। जिसके चलते एक हजार से ज्यादा लोगों एवं कारोबारियों का सोना और करोड़ों रुपये सौरभ के पास जमा थी। साथी कारोबारियों के मुताबिक सौरभ करोड़ो रूपये की 5 कमेटी का लेन-देन भी कर चुके थे। यानि लोगों को उनका सोना और जमा पैसा वापस भी कर चुके थे। बावजूद इसके सौरभ धोखा, जिल्लत और कर्ज के दलदल में ऐसे फंसे कि उबरने की गुंजाइश खत्म हो गई। जिसके चलते वह मानसिक तनाव में आ गया था। लोगों के तगादे और मोहलत उसकी टेंशन बढ़ा रहे थे। Saharanpur Sucide
परिजनों के मुताबिक करोड़ों की कमेटी के खेल में एक बड़ा सर्राफा कारोबारी सौरभ की मदद करता था। जितना भरोसा सहारनपुर का नामचीन सर्राफा कारोबारी सौरभ पर करता था उतना ही सौरभ उस कारोबारी पर करता था। यही वजह है कि पिछले कई महीनों से सौरभ ने कारोबारी को करीब 7 करोड़ रुपये देकर सोना बुक कराया था। ताकि गोल्ड कमेटी में शामिल करीब 100 लोगों को सोना दे सके। कारोबारी के पास सौरभ कमेटी में शामिल लोगों का पैसा जमा कर रहा था। लेकिन कारोबारी का बेटा करीब 20 दिन पहले उसके 7 करोड़ रुपए लेकर दुबई चला गया। सौरभ ने गोल्ड और डिपॉजिट पैसा वापस मांगा तो कारोबारी ने वापस करने से मना कर दिया। जिससे सौरभ को बड़ा धक्का लगा और वह टेंशन में आ गया। लोगों का सोना और पैसा वापस करने की तारीख नजदीक आती देख घुट-घुट कर जी रहा था। सौरभ मानसिक तनाव में आ गया था। Saharanpur Sucide
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उसके साझेदार बताते हैं कि सौरभ ने लोगों से 11 अगस्त की मोहलत मांगी थी। लेकिन 12 को लाश उसका शव हर की पैड़ी हरिद्वार गंगा नदी में तैरता मिला। उससे सोना और पैसा मांग रहे थे। बड़े सर्राफा कारोबारी से धोखा मिलने के बाद सौरभ इस कदर बेहद दबाव में आ गया। सौरभ चाहते हुए भी लोगों का सोना और पैसे वापस नही दे पा रहा था। कमेटी डालने वालों के मुताबिक सौरभ ने कहा था कि वह सबका सोना और पाई-पाई वापस कर देगा।इसके लिए सौरभ ने बहुत कोशिश की लेकिन पैसों का इंतजाम नहीं कर पाया।
11 अगस्त को सौरभ पत्नी मोना को साथ लेकर बाइक से हरिद्वार चला गया। वहां जाने से पहले 12 साल की बेटी श्रद्धा और 8 साल के दिव्यांग बेटे संयम को नाना-नानी के घर छोड़ दिया। बच्चों को नाना-नानी के घर छोड़ने से पहले उसने और मोना ने बच्चों को बहुत प्यार किया। उनका माथा चूमा। फिर ये कहकर निकल गए वो एक-दो दिन में वापस आ जाएंगे।
सौरभ की ससुरालियों ने बताया कि जाने से पहले सौरभ ने बेटी श्रदा को कहा कि भाई का ख्याल रखना। वहीं सास-ससुर से कहा कि उनके बच्चों को किसी चीज की कमी न हो। खूब अच्छे से पढ़ाना। लेकिन, ससुराल के लोग ये बात समझ नहीं सके कि वो उनकी आखिरी विदाई थी। अब बेटा संयम अपने मां-पिता को याद करके मायूस है। वह एक पैर से दिव्यांग है। मुखाग्नि देने के लिए उसको श्मशान लाया गया। उस बच्चे को देखकर हर किसी की आंखें नम थीं। Saharanpur Sucide
सौरभ की दुकान पर काम करने वाले नौकर गोलू ने बताया कि उसको सौरभ के साथ हुई हर घटना की पूरी जानकारी थी।लेकिन उसको यह नही पता था कि सौरभ खुदकुशी कर लेंगे। गोलू ने बताया कि मुझे पता था कि भैया-भाभी परेशान हैं। उन पर काफी कर्ज है। यही कारण था कि मैं उनसे अपनी सैलरी भी नहीं मांगता था। सौरभ भैया यह कहकर वेतन देते कि ये जिंदगी के उतार-चढ़ाव हैं। सब ठीक हो जाएगा। तुझे अपना घर चलाना है। कर्ज तो एक दिन उतर जाएगा। लेकिन उसके लिए जिंदा भी रहना पड़ेगा। Saharanpur Sucide
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