Saharanpur News : पैतृक गांव पहुंचा 1968 में शहीद हुए मलखान का शव, पोते गौतम ने मुखाग्नि देकर किया अंतिम संस्कार 

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सहारनपुर : भारतीय सेना को हिमाचल प्रदेश के रोहतांग दर्रे पर मंगलवार को 4 भारतीय जवानों के शव मिले हैं। हैरत की बात ये है कि ये शव उन शहीदों के हैं जो 1968 में हुए विमान हादसे में मारे गए थे। बर्फीले पहाड़ो से 56 साल बाद निकले शवों में एक शव सहारनपुर के जवान मलखान सिंह का भी था। बर्फ में दबे रहने से शवों को किसी तरह का कोई नुक्सान नहीं पहुंचा।

बुधवार को सैन्य अधिकारी मलखान सिंह के पार्थिव शरीर को लेकर पैतृक गांव फतेहपुर पहुंचे जहां देर शाम राष्ट्रिय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। जैसे ही मलखान सिंह का पार्थिव शरीर गांव पहुंचा तो पूरा इलाका देश भक्ति गीतों गूंज उठा। मलखान सिंह अमर रहे के नारे लगते हुए शव को शमशान घाट ले जाया गया। जहां बड़े पोते गौतम ने नम आँखों से शहीद दादा की चिता को मुखाग्नि दी।

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आपको बता दें कि शहीद मलखान सिंह सहारनपुर के थाना नानौता इलाके के गांव फतेहपुर के रहने वाले थे। 56 साल पहले 7 फरवरी 1968 वायुसेना के विमान हादसे के बाद मलखान सिंह लापता हो गए थे। उनके माता-पिता, पत्नी और बेटे की मौत हो चुकी है। अब परिवार में सिर्फ पोते-पोतियां हैं। मलखान सिंह के दो छोटे भाइयो का भी निधन हो चुका है। हालाँकि उनके सबसे छोटे भाई इसमपाल और छोटी बहन अभी ज़िंदा है।

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वायुसेना के जवान बुधवार को मलखान सिंह का पार्थिव शरीर लेकर आए। आसपास के कई गांवों से हजारों की संख्या लोग उन्हें अंतिम विदाई देने पहुंचे। इस दौरान मलखान सिंह अमर रहे… भारत माता की जय के नारे लगे। देशभक्ति के गीतों से माहौल गमगीन हो गया। शाम साढ़े पांच बजे मलखान सिंह के पोते गौतम ने मुखग्नि देकर उनका अंतिम संस्कार किया। इस दौरान जनपद के सामाजिक और राजनितिक लोगों ने भी नम आँखों से शहीद मलखान सिंह को अंतिम विदाई दी। हर कोई इसी बात को लेकर चर्चा कर रहा था कि उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि 56 साल पहले विमान हादसे में शिकार हुए मलखान सिंह का पार्थिव शरीर उनके गांव शही सलामत आ जाएगा। Saharanpur News

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हिमाचल प्रदेश के रोहतांग दर्रे पर 56 साल बाद 30 सितंबर को 4 भारतीय जवानों के शव मिले थे। भारतीय सेना के डोगरा स्काउट्स और तिरंगा माउंटेन रेस्क्यू की संयुक्त टीम ने शवों को बरामद किया। दरअसल, 1968 में भारतीय वायुसेना का एएन-12 विमान इसी इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। 102 सैनिकों को लेकर 7 फरवरी, 1968 को चंडीगढ़ से लेह जाते समय दो इंजन वाला यह एएन-12 टर्बोप्रॉप परिवहन विमान लापता हो गया था। विमान खराब मौसम में फंस गया और हिमाचल प्रदेश के रोहतांग दर्रे के ऊपर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। Saharanpur News

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गौरतलब है कि 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में पर्वतारोहण संस्थान के पर्वतारोहियों ने मलबे की खोज की, जिसके बाद भारतीय सेना, खासकर डोगरा स्काउट्स ने सालों तक कई खोज अभियान चलाए। डोगरा स्काउट्स ने 2005, 2006, 2013 और 2019 में शवों की तलाश जारी रखी। अधिकारियों ने कहा कि दुर्घटनास्थल की कठोर परिस्थितियों और चुनौतीपूर्ण इलाके के कारण 2019 तक केवल 5 शव बरामद किए गए थे।

मलखान सिंह को शहीद हुए 56 साल हो चुके हैं। उनके माता-पिता और पत्नी की मौत हो चुकी है। उनका एक बेटा था, उसकी भी 2010 में मौत हो गई। अब मलखान के परिवार में एक बहू, दो पोते और 3 पोतियां हैं। 56 साल बाद परिवार खुश तो है, लेकिन गम भी है। उनका कहना है कि शव वापस लाए जाने का दुख तो है, अगर वो जिंदा लौट आते तो इससे बड़ी खुशी कोई नहीं होती। Saharanpur News

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