सहारनपुर : सहारनपुर के स्वास्थ्य विभाग में कार्यदायी संस्था “मैमर्स पदमलता निम” कांट्रेक्टर द्वारा किये गए निर्माण कार्यों पर सवाल खड़े हो रहे हैं। हाईकोर्ट के आदेश के बाद जहां फर्म का भुगतान रोका गया वहीं मामले की जांच चल रही है। बावजूद इसके कार्यदायी फर्म ने जांच होने से पहले ही दीवारों की रंगाई-पुताई कर निर्माण कार्यों में लीपापोती शुरू कर दी है। जांच के दायरे में आये कार्यों को निपटाया जा रहा है।
हैरत की बात ये है कि पिछले साल के कार्यदेश निपटने के बाद दोबारा पुताई शुरू की है। जबकि प्रमुख अधीक्षक ने प्रमुख सचिव स्वास्थ्य और डीजी से पत्राचार कर निर्माण कार्य में हो रही लीपापोती को लेकर दिशा-निर्देश मांगे हैं। क्योंकि कार्यदायी फर्म बीजेपी विधायक की मां के नाम से चल रही है और विधायक जी निर्देश पर बिना कार्य किये ही बिल पास कराये गए हैं। Saharanpur News
आपको बता दें कि जिला अस्पताल में मरम्मत एवं निर्माण कार्यों के साथ दीवारों पर रंग रोगन के लिए ठेका छोड़ा गया था। लेकिन ठेका लेने वाली फर्म ने महज खानापूर्ति कर न सिर्फ फर्जी हस्ताक्षर कर बिल पास करा लिए बल्कि करोड़ो रूपये का भुगतान भी करा लिया। ठेके में अनियमितता और कार्य के नाम पर खानापूर्ति के मामले में हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया हुआ है। हाईकोर्ट ने निर्माण कार्य कराने वाली फर्म “मैमर्स पदमलता निम” कांट्रेक्टर्स के भुगतान पर रोक लगाईं हुई है। Saharanpur News
हाईकोर्ट ने फर्म द्वारा कराये गए सभी कार्यों की जांच के भी आदेश दिए हैं। जिसकी जांच रिपोर्ट 4 नवंबर तक देने का आदेश दिया है। स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव की देखरेख में मामले की जांच होनी है। लेकिन लखनऊ से जांच टीम आने से पहले ही फर्म ने पुराने कार्यादेश पर कराए गए कार्यों पर दुरुस्त करना शुरू कर दिया। जिससे जांच करने आई टीम को आसानी से गुमराह किया जा सके और मौके पर कोई साक्ष्य न मिले। वहीं जिला अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक ने महानिदेशक स्वास्थ्य को ईमेल के माध्यम से आवश्यक दिशा-निर्देश की मांग की हैं। Saharanpur News
हाईकोर्ट ने बीजेपी विधायक की फर्म के बिलों पर लगाई रोक, स्वास्थ्य विभाग के निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार करने का आरोप
“मैमर्स पदमलता निम” कांट्रेक्टर द्वारा स्वास्थ्य विभाग में निर्माण कार्यों में करोड़ों के फर्जीवाड़े का आरोप लगा था। सहारनपुर के अशोक पुंडीर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जनहित याचिका को हाईकोर्ट इलाहाबाद ने मामले को गंभीरता इ लेते हुए संबंधित फर्म के भुगतान पर 11 सितंबर को रोक लगा दी थी। बीजेपी विधायक देवेंद्र निम की मां के नाम पर बनाई गई फर्म पर चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक के फर्जी हस्ताक्षर करने का भी आरोप लगा है। हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई के लिए चार नवंबर की तारीख लगी है। हाईकोर्ट ने 11 सितंबर को इस मामले की सुनवाई शुरू करते हुए मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली ने प्रमुख सचिव को मैसर्स पदमलता निम कांट्रेक्टर द्वारा कराए गए निर्माण कार्यों का भुगतान रोकने के आदेश दिए। Saharanpur News
50 की रिश्वत लेते चकबंदी अधिकारी गिरफ्तार, विजिलेंस टीम की कार्यवाई से मचा हड़कंप
मुख्य न्यायाधीश ने आदेश में कहा कि फर्म को ई-टेंडरिंग प्रक्रिया अपनाए बगैर ही बिना अनुबंध के टेंडर दिया गया है। कोर्ट ने प्रदेश के प्रमुख सचिव, सहारनपुर डीएम, निदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाएं, सीएमओ और एसबीडी अस्पताल के सीएमएस को फर्म के सभी भुगतान तत्काल प्रभाव से रोकने के आदेश दिए। वहीं प्रमुख सचिव को पूरे मामले की जांच कराकर चार नवंबर 2024 को पेश करने के लिए कहा था। याचिकाकर्ता का आरोप है कि “मैसर्स पदमलता निम” एलएलपी कांट्रेक्टर को टेंडर देने में अनियमितता बरती गई है। फर्म को जीएसटी नंबर मिलने से 10 दिन पहले ही 4 दिसंबर 2023 को वर्कआर्डर दे दिया गया। इतना ही तत्कालीन मंडलीय सहायक अभियंता सुरेंद्र कुमार इनका कार्य देखते थे, जो रिटायरमेंट के बाद फर्म में साझीदार बन गए। Saharanpur News
स्वास्थ्य विभाग का बड़ा कारानाम, याचिकाकर्ता के फर्जी हस्ताक्षर और लेटर हेड से कर दिया मामले का निपटारा