सहारनपुर : उत्तर प्रदेश के जनपद सहारनपुर के स्वास्थ्य विभाग का बड़ा कारनामा सामने आया है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारीयों ने निर्माण कार्यों में हुए घोटाले को न सिर्फ दबाने का का प्रयास किया है बल्कि IGRS पर शिकायत करने वाले के फर्जी हस्ताक्षर कर फर्जी लेटर हेड से शिकायत का निपटारा कर दिया है। शिकायकर्ता ने आरोप लगाया है कि जिस फर्म की शिकायत की गई है वह बीजेपी विधायक की मां के नाम से है। फर्म में सेवानिवृत मंडलीय सहायक अभियंता पार्टनर है। जिसके इशारे पर फर्जी बिलों को पास कराकर करोडो का भुगतान लिया जा रहा है। बीजेपी विधायक के दबाव में स्वास्थ्य विभाग ने IGRS पर की गई शिकायत का फर्जी तरिके से निस्तारण किया है।
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आपको बता दें कि सहारनपुर भारतीय मानवाधिकार जागृति संगठक के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं शिकायतकर्ता अशोक पुंडीर ने बताया कि उन्होंने स्वास्थ्य विभाग में निर्माण कार्यों में हुए धांधली की शिकायत IGRS संख्या 60000240159962 और 40013224019967 पर की थी। आरोप है कि सहारनपुर सीएमओ ने उसके फर्जी लेटर हैड, मोहर और फर्जी हस्ताक्षर से शिकायत का निपटारा कर दिया। स्वास्थ्य विभाग में निर्माण कार्य करने वाली बीजेपी विधायक की मां के नाम से चल रही फर्म को लाभ पहुंचाने के लिए यह कारनामा किया है। स्वास्थ्य विभाग ने शिकायत का निपटारा करने के लिए न तो उसको जानकारी दी गई और न ही किसी तरह की पूछताछ की गई। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने उनके नाम के फर्जी हस्ताक्षर और संस्था के फर्जी लेटर हेड को स्कैन कर IGRS पर डाल दिया। जिसमें मनमानी कर उनकी शिकायत वापस लेने की बात लिखी गई है।
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स्वास्थ्य विभाग ने ऐसा पहली बार नहीं किया बल्कि तीन बार शिकायतों का फर्जी तरीके से निपटारा किया गया है। हद तो तब हो गई, फर्म की जीएसटी नंबर की शिकायत का निपटारा भी उसी के फर्जी लेटर हेड, मोहर और हस्ताक्षर से कर दिया गया। फर्जी तरीके से किए गए निपटारे को IGRS पोर्टल पर देखा तो उसके होश उड़ गए। जिसके बाद उन्हें पता चला कि उसके सभी दस्तावेज फर्जी तरीके से लगाकर शिकायत का निपटारा सहारनपुर सीएमओ ने कर दिया है। शिकायत कर्ता का आरोप है कि सीएमओ ने IGRS पोर्टल पर जो दस्तावेज अपलोड किए हैं वे अधूरे हैं। निपटारे की जल्दबाजी में पेज नंबर एक और दो के बाद सीधा पेज नंबर 5 अपलोड किया गया है। जबकि तीन और चार पेज गायब है। उसमें किन बातों का जिक्र किया गया है उसकी भी जानकारी शिकायतकर्ता को नहीं है।
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शिकायतकर्ता अशोक पुंडीर ने बताया कि IGRS पर जीएसटी से पहले टेंडर देने की पहली शिकायत 28 जुलाई को की गई थी। 1 सितंबर को गलत निपटारे की दूसरी की थी। अशोक पुंडीर का आरोप है कि “मैसर्स पदमलता निम” एलएलपी जो की पार्टनशिप फर्म है। उसका जीएसटी रजिस्ट्रेशन 14 दिसंबर 2023 का है। बावजूद इसके कार्यदायी संस्था को 4 दिसंबर 2023 को टेंडर दे दिया गया। जबकि नियमानुसार टेंडर प्रक्रिया में जीएसटी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होता है। जो ई-टेंडर अपलोड करते हुए उसकी वैध प्रतिलिपि टेंडर फार्म के साथ अपलोड करनी होती है। उसके आधार पर ही कार्य आदेश देकर अनुबंधित किया जाता है। आरोप है कि अवर अभियंता मुजफ्फरनगर और सहारनपुर की आख्या लगाकर निपटारा किया गया। उनके भी हस्ताक्षर संदिग्ध प्रतीत हो रहे हैं। क्योंकि अवर अभियंता ऋषिपाल दुर्घटना के उपरांत स्वास्थ्य लाभ ले रहे थे।
उधर जब इस बाबत सीएमओ डॉ.प्रवीण कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उक्त शिकायत के निपटारे की कॉपी डाक से मिली थी। ये असली है या नकली यह शिकायतकर्ता को बतानी चाहिए। शिकायतकर्ता का जो भी आरोप है उसको निस्तारित किया जाएगा। वहीं विधायक देवेंद्र निम् ने इस मामले में कुछ भी बोलने से मना कर दिया।
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