सहारनपुर : 1968 में सियाचिन ग्लेशियर के पास भारतीय वायुसेना का विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। हादसे में भारतीय सेना के 100 जवान शहीद हुए थे। शहीदों की लिस्ट में सहारनपुर के मलखान सिंह भी शामिल थे। मंगलवार को गांव पहुंचे सेना के जवानों ने बताया मलखान सिंह का शव मिलने की सूचना दी तो एक बार फिर परिवार में मातम जैसा माहौल पसर गया। परिवार के लोगों में पुरानी यादें ताज़ा हो गई। सैन्य अधिकारियों के मुतक़ाबिक शहीद मलखान सिंह का पार्थिव शरीर तीन अक्तूबर को पैतृक गांव पहुंचेगा। जहां राष्ट्रीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। 56 साल बाद शव मिलने की सूचना मिली तो आसपास के ग्रामीण और रिश्तेदार उनके घर पहुंच रहे हैं। सेना के जवानों ने पार्थिव शरीर मिलने की जानकारी उनके भाई को दी है।
आपको बता दें कि 7 फरवरी 1968 को वायुसेना का विमान चंडीगढ़ से लेह के लिए उड़ा था। जिसमें 100 से अधिक सेना के जवान सवार थे। विमान में सहारनपुर के गांव फतेहपुर के रहने वाले 23 वर्षीय मलखान सिंह भी साथी जवानों के साथ सफर कर रहे थे। विमान जैसे ही हिमाचल प्रदेश के सियाचिन ग्लेशियर इलाके में पहुंचा तो खराब मौसम के कारण अचानक क्रैश हो गया। इस दर्दनाक हादसे में मलखान सिंह समेत सभी जवान शहीद हो गए थे। लेकिन बर्फीले पहाड़ होने के कारण किसी का पार्थिव शरीर नहीं मिल पाया। करीब 56 साल बाद मंगलवार को भारतीय सेना के जवान फतेहपुर गांव में मलखान सिंह के घर पहुंचे। उन्होंने मलखान सिंह के भाई इसमपाल सिंह को बताया कि सर्च ऑपरेशन के दौरान मलखान सिंह का पार्थिव शरीर मिल गया है। यह सुनकर इसमपाल सिंह हैरान रह गए। उन्हें यकीन ही नहीं हुआ कि ऐसा भी हो सकता है वो भी 56 साल बाद।
इसमपाल सिंह ने सहारनपुर में रह रहे अपने भाई के पौत्र गौतम और मनीष को अपने दादा का पार्थिव शरीर मिलने की जानकारी दी। इसके बाद दोनों पौत्र और पौत्री भी अपने परिजनों के साथ गांव आ गए। मलखान सिंह के परिवार में उनकी पत्नी शीला देवी और इकलौते बेटे रामप्रसाद की मौत हो चुकी है। मलखान सिंह के पार्थिव शरीर के मिलने की खबर मिलते ही परिवार में कोहराम मच गया।
फतेहपुर गांव निवासी वायुसेना के जवान 56 वर्षीय मलखान सिंह का पार्थिव शरीर बाद में सियाचिन ग्लेशियर क्षेत्र में बर्फ के नीचे मिला। शव के पास मिले वाउचर से शिनाख्त हुई। बताया कि सर्च अभियान के दौरान शव मिला है। 56 साल पहले शहीद हुए मलखान सिंह का पार्थिव शरीर तीन अक्तूबर को पैतृक गांव लाया जाएगा।
परिवार की बात करें तो अब उनके परिवार में पोते गौतम, मनीष और पोतियां सोनिया, मोनिका और सीमा हैं। गौतम और मनीष सहारनपुर में ऑटो चलाते हैं। मलखान सिंह के भाई सुल्तान सिंह और चंद्रपाल सिंह की भी मौत हो चुकी है। वर्तमान में भाई इसमपाल सिंह और बहन चंद्रपाली जिंदा हैं जो बूढ़े हो चुके हैं। परिजनों का कहना है कि आज तक उन्हें वायुसेना की तरफ से कोई आर्थिक मदद नहीं मिली और ना ही शहीद के परिवार की तरह कोई सुविधा मिली।