मोहन भागवत : हिंदू सेवा महोत्सव के उद्घाटन समारोह में मोहन भागवत ने कहा कि दुनिया में शांति की बातें की जा रही हैं, लेकिन युद्ध नहीं रुक रहे हैं। कई लोग मानते हैं कि भारत के बिना दुनिया में शांति संभव नहीं है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने गुरूवार को अल्पसंख्यकों को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि भारत को हर दिन अल्पसंख्यकों के बारे में नसीहत दी जाती है। लेकिन अब हम देख सकते हैं कि दूसरे देशों में अल्पसंख्यकों को किस स्थिति का सामना करना पड़ रहा है।’
यह सारी बातें उन्होंने ‘हिंदू सेवा महोत्सव’ के दौरान कहीं। हिंदू सेवा महोत्सव के उद्घाटन समारोह में उन्होंने कहा कि दुनिया में शांति की बातें की जा रही हैं, लेकिन युद्ध नहीं रुक रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में हमें अल्पसंख्यकों को लेकर नसीहत दी जाती है, लेकिन अब हम देख रहे हैं कि दूसरे देशों में अल्पसंख्यक समुदायों को किस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
इस दौरान उन्होंने कहा कि ‘विश्व शांति के नाम पर आधिपत्य स्थापित करने की कोशिश की जा रही है।’ उन्होंने आगे कहा कि ‘विश्व शांति को लेकर बड़ी-बड़ी बातें कही जा रही हैं। हमें विश्व शांति की नसीहत दी जा रही है, लेकिन साथ ही युद्ध खत्म नहीं हो रहे हैं। हमें हर दिन अल्पसंख्यकों पर ध्यान देने के लिए कहा जाता है, जबकि हम देख सकते हैं कि दूसरे देशों में अल्पसंख्यकों को किस स्थिति का सामना करना पड़ रहा है।’
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इसके साथ ही संघ प्रमुख ने कहा कि ‘मानव धर्म ही सनातन धर्म है। यह दुनिया का धर्म है। इसे हिंदू धर्म भी कहते हैं। लेकिन दुनिया इसे याद नहीं रखती।’ आपको बता दें कि मोहन भागवत इससे पहले भी भारत के अल्पसंख्यकों को लेकर बयान दे चुके हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को कहा कि भारत को अक्सर अपने अल्पसंख्यकों के मुद्दों को सुलझाने की सलाह दी जाती है। लेकिन अब हम दूसरे देशों में अल्पसंख्यक समुदायों की स्थिति देख रहे हैं।
आरएसएस प्रमुख ने पड़ोसी देश बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा का कोई जिक्र नहीं किया। हालांकि, हाल के हफ्तों में आरएसएस ने शेख हसीना सरकार के हटने के बाद उस देश में हिंदुओं की स्थिति पर चिंता जताई है। भागवत ने कहा, ‘मानव धर्म सभी धर्मों का मूल है, जो एक विश्व धर्म है और इसे हिंदू धर्म भी कहा जाता है। हालांकि, दुनिया इस धर्म को भूल गई है, जिसके कारण आज उसे पर्यावरण और अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। Mohan Bhagwat
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