दिल्ली : यूपी में भाजपा में लोकसभा चुनावों में मिली हार की समीक्षा पर भाजपा शीर्ष नेतृत्व के तथाकथित चाणक्य हार का ठीकरा योगी आदित्यनाथ के ऊपर फोड़ने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन प्रदेश में बाबा की ताकत और लोकप्रियता के चलते चाणक्य के सभी मोहरे पीटते नजर आ रहे हैं। बाबा के हौसले बुलंद हैं।
दिल्ली जानती है कि अगर बाबा को हटाया तो प्रदेश में भाजपा के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी हो जाएगी। पूर्व सीएम कल्याण सिंह के जमाने को याद किया जाए तो जिस प्रकार कल्याण सिंह को हटाए जाने के बाद तीन दशकों तक भाजपा को बाहर रहना पड़ा था। उसी प्रकार योगी को हटाने के बाद भाजपा यूपी से तीन से चार दशकों तक के लिए बाहर रहना पड़ सकता है। और इतना बड़ा रिस्क पार्टी नहीं लेना चाहेगी। Politics News
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इसीलिए अब लगने लगा है कि सब कुछ ठीक चल पड़ा है। सीएम योगी से हुई निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद की मुलाकात को बेहद अहम माना जा रहा है। संजय निषाद की योगी से मुलाकात को योगी के बढ़ते प्रभाव और संजय निषाद के बैक फुट पर आने के तौर पर भी देखा जा सकता है। उधर दिल्ली की बैसाखी कमज़ोर होने से बाबा की ताकत मे इजाफा होता दिखाई दे रहा है। Politics News
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