One Nation One Election : वन नेशन-वन इलेक्शन कानून को लेकर पूर्व राष्ट्रपति के आआवास पर चल रही बैठक, कांग्रेस नेता अधीर रंजन ने आने से किया इंकार 

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One Nation One Election : वन नेशन-वन इलेक्शन कानून को लेकर पूर्व राष्ट्रपति के आआवास पर चल रही बैठक, कांग्रेस नेता अधीर रंजन ने आने से किया इंकार

Published By Roshan Lal Saini

One Nation One Election नई दिल्ली : “वन नेशन – वन इलेक्शन” यानी एक देश-एक चुनाव को लेकर 8 सदस्यों की कमेटी की पहली बैठक शुरू हो चुकी है। कमेटी के चेयरमैन पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के आवास पर यह बैठक हो रही है। बैठक के लिए गृहमंत्री अमित शाह और केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल पहुंच चुके हैं। इस बैठक में कांग्रेस सांसद अधीर रंजन ने बैठक में शामिल होने से मना कर दिया है।

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जानकारी के मुताबिक़ बुधवार की शाम को होने वाली इस बैठक में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और शाह समेत 6 सदस्यों ने हिस्सा लिया है। हालांकि  कांग्रेस सांसद एवं लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी पहले ही इस कमेटी में काम करने से इनकार कर चुके हैं। केंद्र सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति कोविंद की अध्यक्षता में 2 सितंबर को एक कमेटी बनाई थी। इसमें गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी और पूर्व सांसद गुलाम नबी आजाद समेत 8 सदस्यों को नियुक्ति की गई थी। जबकि केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल कमेटी की बैठकों में स्पेशल मेंबर के तौर पर शामिल होंगे। One Nation One Election

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आपको बता दें कि केंद्र की मोदी सरकार ने आगामी 18 सितंबर से 22 सितंबर तक संसद में विशेष सत्र बुलाया हुआ है। विशेष सत्र से पहले कयास लगाए जा रहे हैं कि केन डॉ की मोदी सरकार देश में “एक देश, एक चुनाव” पर नया बिल ला सकती है। शायद यही वजह है कि सत्र शुरू होने पहले ही कानून मंत्रालय ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में विशेष कमेटी का गठन किया है। जिसका उद्देश्य कानून के मौजूदा ढांचे को ध्यान में रखते हुए देश भर में एक साथ चुनाव कराने को लेकर जांच पड़ताल करना बताया जा रहा है। इसमें जांच की जाएगी कि लोकसभा, विधानसभा, नगर पालिका और पंचायतों के चुनाव एक साथ हो सकते हैं या नहीं। One Nation One Election

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वन नेशन, वन इलेक्शन या एक देश-एक चुनाव का मतलब ये है कि पूरे देश में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही होने चाहिए। आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही हुए थे, लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं किन्हीं कारणों से समय से पहले भंग कर दी गईं। इतना ही नहीं साल 1970 में देश की सर्वोच्च पंचायत यानि लोकसभा भी भंग की गई थी। जिसके चलते एक देश-एक चुनाव की परंपरा बीच में ही टूट गई थी। One Nation One Election

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2014 के लोकसभा चुनाव को जीतने के बाद जब केंद्र में बीजेपी की मोदी सरकार बनने के कुछ महीनों बाद ही “एक देश और एक चुनाव” कानून बनाने को लेकर अलग बहस छिड़ गई। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कई बार खुद “वन नेशन, वन इलेक्शन” बनाने की वकालत भी की है। संविधान दिवस के मौके पर एक बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि “आज एक देश-एक चुनाव” सिर्फ बहस का मुद्दा नहीं रहा बल्कि यह कानून भारत की जरूरत बन गया है। इसलिए इस मामले पर जल्द से जल्द विचार-विमर्श और अध्ययन किया जाना चाहिए। One Nation One Election

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