Navratre Special : हिमालय पुत्र शिवालिक की गोद में है शाकंभरी देवी का भव्य मंदिर, जानिये क्यों कहा जाता है शाकंभरी देवी ?

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सहारनपुर : नवरात्रे आते ही पूरे भारत वर्ष मेँ माँ दुर्गा के मंदिरो मेँ श्रदालुओ का तांता लगना शुरू हो गया है। चारो ओर माँ दुर्गा के नाम की धूम मची हुई है ऐसा ही नजारा सहारनपुर के सिद्ध पीठ माँ शाकुम्भरी देवी के मंदिर मे देखा जा रहा है। उत्तर भारत मेँ माँ वैष्णो देवी सिद्दपीठ के बाद दूसरे सिद्द पीठ माँ शाकुम्भरी देवी के इस शिद्धपीठ मंदिर में यूँ तो पूरा वर्ष श्रदालुओ का तांता लगा रहता है लेकिन नवरात्रों के मौके पर माता शाकुम्भरी देवी के दरबार में देश भर से लाखो श्रदालु माँ के दर्शन कर न सिर्फ धर्म लाभ उठाते हैं बल्कि माता रानी दरबार में आने वाले अपने भगतो की मुरादे पूरी कर देती हैं।

जानकारों के मुताबिक़ शिवालिक की छोटी पहाड़ियों के बीच सिध्दपीठ मां शाकंभरी देवी मंदिर को ब्रह्मपुराण में सिद्धपीठ कहा गया है। यह क्षेत्र भगवती शताक्षी और पंचकोसी सिद्धपीठ भी कहा जाता है। बताया जाता है कि भगवती सती का शीश इसी क्षेत्र में गिरा था, इसलिए इस मंदिर की गिनती देवी के प्रसिद्ध शक्तिपीठों में होती है। मान्यता यह भी है कि उत्तर भारत की नौ देवियों की प्रसिद्ध यात्रा मां शाकंभरी देवी के दर्शन बिना पूर्ण नहीं होती।

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आपको बता दें कि सहारनपुर मुख्यालय से 50 किलोमीटर की दुरी पर हिमालय पुत्र शिवालिक की छोटी पहाडियो के बीच बसा यह मंदिर माँ शाकुम्भरी देवी का है। मान्यता है कि उतर भारत मेँ 9 सिद्दपीठो में माँ शाकुम्भरी देवी के इस मंदिर का दूसरा स्थान है माँ शाकुम्भरी को शाक वाली माता के नाम से भी जाना जाता है। जानकार बताते हैं कि माँ के चार रूप यहाँ स्थापित है माँ शाकुम्भरी देवी, माँ शताक्षी देवी  ,माँ भीमा देवी और माँ बरामभरी देवी। पूरे भारत वर्ष से लाखो श्रदालु माँ के दर्शन कर धर्म लाभ उठाते है। सहारनपुर की शिवालिक पहाडियो के बीच बने जगत जन्ननी सिद्धपीठ माँ शाकुम्बरी देवी के इस भव्य मंदिर में श्रदालुओ दूर दूर से आना लगा रहता है। ख़ास बात ये है माता शाकंभरी देवी के दर्शन से पहले भूरा देव के दर्शन करने पड़ते हैं। किदवंती है कि भूरादेव के दर्शनों के बिना माँ शकभरी देवी के दर्शन अधूरे माने जाते हैं। Navratre Special

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कहते है कि माँ शाकुम्बरी देवी के दर्शनों को करने  के बाद श्रद्धालु सभी मनोकामनाओ से परिपूर्ण हो जाता है। वर्ष के दोनों नवरात्रों में यहां विशाल मेला लगता है और इस मेले में हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, राजस्थान,उत्तराखंड, गुजरात, हिमाचल प्रदेश और युपी से लोग माँ के सामने नतमस्तक होने के लिए माँ शाकुम्बरी देवी के दर्शन करने के लिए पहुचते है। हर साल यहाँ देश के कोने कोने से लाखो की संख्या में श्रद्धालु माँ से अपनी मनोकामना पूरी करने की कामना करते है। जो भी सच्चे मन से माँ के दर्शन कर मन्नत मांगते है माँ के आशीर्वाद से उनकी मुरादे पूरी हो जाती है। माँ के दरबार मेँ जो भी आता है माँ उसकी झोली भर देती है। Navratre Special

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शकंराचार्य आश्रम के महंत सहजानंद आचार्य जी बताते हैं कि देवी पुराण, शिव पुराण और धार्मिक ग्रंथों के अनुसार हिरण्याक्ष के वंश में महा दैत्य रुरु का दुर्गम नाम का पुत्र हुआ। दुर्गमासुर ने ब्रह्मा जी की तपस्या कर चारों वेदों पर अधिकार कर लिया। ब्राह्मणों ने अपना धर्म त्याग दिया। चारों ओर हाहाकार मच गया। ब्राह्मणों के धर्म विहीन होने के कारण यज्ञ अनुष्ठान बंद हो गए और देवताओं की शक्ति भी क्षीण होने लगी। जिसके कारण भयंकर अकाल पड़ा। किसी प्राणी को पानी नहीं मिला, वनस्पति भी पानी के अभाव में सूख गई। सभी जीव भूख-प्यास से मरने लगे। दुर्गमासुर का देवताओं से भयंकर युद्ध हुआ। Navratre Special

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जिसमें देवता पराजित हुए और दुर्गमासुर के अत्याचारों से त्रस्त देवता शिवालिक पर्वत श्रृंखलाओं में छिप गए। देवताओं ने मां जगदंबा की स्तुति की, जिसके बाद मां जगदंबा प्रकट हुईं। संसार की दुर्दशा देखकर मां जगदंबा का हृदय द्रवित हो गया और उनकी आंखों से आंसुओं की धारा बहने लगी। मां के शरीर पर 100 आंखें प्रकट हुईं। शत नैना देवी ने हमें आशीर्वाद दिया और संसार में वर्षा हुई, जिससे नदियाँ और तालाब जल से भर गए। श्रीमहंत सहजानंद ब्रह्मचारी बताते हैं कि उस समय देवताओं ने माँ शताक्षी देवी के नाम से पूजा की। जब माँ ने पहाड़ की ओर देखा तो सबसे पहले एक कंद निकला जिसे सरल कहते हैं। इस दिव्य रूप में माँ शाकंभरी देवी के नाम से पूजी गईं। Navratre Special

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माँ शाकम्भरी देवी ने सताक्षी और भीमादेवी के रूप में आकर दैत्य असुर का वध कर दिया। जिसके बाद बाढ़ का पानी कम हो गया और किसानो के खेतों में फल-सब्जियों की फसल होने लगी। स्थानीय किसानों ने सब्जियों को ही प्रसाद के रूप में माँ को भोग लगाया। तभी से इस स्थान का नाम शाकुम्भरी देवी पड़ गया।

नवरात्रे शुरू होते ही माँ शाकुम्भरी देवी के दर्शन करने पूरे भारत से लाखो श्रदालु आते है और माँ को नारियल चुंनरी चढाकर धर्मलाभ उठाते है। माँ के दर्शनो को आए हजारो श्रदालूओ की लम्बी कतारे माँ के दरवार में लगी हुई हैं। नवरात्रे के दिनों में  सहारनपुर की शिवालिक पहाडियो के बीच बने जगत जन्ननी सिद्धपीठ माँ शाकुम्बरी देवी के इस भव्य मंदिर में श्रदालुओ की भीड़ उमडनी शुरू हो गयी है। माँ शाकुम्बरी देवी के दर्शनों को करने  के बाद श्रद्धालु सभी मनोकामनाओ से परिपूर्ण हो जाता है। इस बार भी देवी माँ के इन पवित्र नवरात्रो में प्रसाद की दुकाने सजी हुई है। जो भी सच्चे मन से माँ के दर्शन कर मन्नत मांगते है माँ के आशीर्वाद से उनकी मुरादे पूरी हो जाती है। माँ के दरबार मेँ जो भी आता है माँ उसकी झोली भर देती है। Navratre Special

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