Mohan Bhagwat Hindu Muslim Unity : हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश दे रहे मोहन भागवत, मायने निकालने लगे बुद्धिजीवी

Mohan Bhagwat Hindu Muslim Unity

Mohan Bhagwat Hindu Muslim Unity : हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश दे रहे मोहन भागवत, मायने निकालने लगे बुद्धिजीवी

Published By Roshan Lal Saini

Mohan Bhagwat Hindu Muslim Unity : हिंदुस्तान में दुनिया के किसी भी देश से ज्यादा जातियों और धर्मों के लोग एक साथ रहते हैं। इतिहास में देखें तो हम पाएंगे कि दुनिया भर से लोग हिंदुस्तान में आए और उनमें से ज्यादातर यहीं के होकर रह गए। लेकिन आज हिंदुस्तान में अलग-अलग धर्मों के लोगों में जिस तरीके से नफरत और तल्खी भरी हुई है, उसके चलते मणिपुर कई महीनों से सुलग रहा है। सत्ताधारी पार्टी के नेता, खास तौर पर प्रधानमंत्री इस हिंसा को लेकर खामोश हैं। इसी बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (संघ) प्रमुख मोहन भागवत ने मणिपुर हिंसा पर चिंता व्यक्त करते हुए देश को एकता और प्यार से रहने की सीख दी है। लेकिन संघ प्रमुख के बयान के एकता से देश में रहने की बात के अलग-अलग मतलब निकाले जा रहे हैं। इसकी वजह यह है कि मोहन भागवत ने मणिपुर हिंसा के अलावा बहुत कुछ ऐसा कह दिया, जिस पर इस समय विचार करने की जरूरत है।

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दरअसल, संघ प्रमुख ने विजयादशमी के दिन नागपुर की परेड में हिंदू-मुस्लिम के बीच बढ़ते तनाव को लेकर एकता का बड़ा संदेश दिया। संघ प्रमुख ने सवालिया अंदाज में जिस तरह कहा कि आखिर एक ही देश में रहने वाले इतने पराए कैसे हो गए? राजनीतिक लोग, बुद्धिजीवी, पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक मोहन भागवत के इस सवाल से लेकर उनकी हर बात का मतलब निकालने की कोशिश में लगे हैं। कोई नहीं समझ पा रहा है कि आखिर इसका सही मतलब क्या है? भागवत के इस सवाल का सीधा सा अर्थ तो यही निकलता है कि देश के ही लोगों से बैर कोई अच्छी बात नहीं है। लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि मोहन भागवत ने ये कहा किसके लिए? लेकिन इससे पहले ये समझना जरूरी होगा कि संघ प्रमुख ने ये भी कहा कि अविवेक, असंतुलन नहीं होना चाहिए। अपना दिमाग ठंडा रखकर सबको अपना मानकर चलना पड़ेगा। ये अपनेपन की पुकार है, जिसे सुनाई देगी, उसी का भला होगा। जो फिर भी नहीं सुनेंगे, उनका क्या होगा, ये पता भी नहीं लगेगा। Mohan Bhagwat Hindu Muslim Unity

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संघ प्रमुख के इस बयान पर तमाम विश्लेषकों के अपने-अपने विचार हैं कोई कह रहा है कि सरकार को धमका रहे हैं, तो कुछ कह रहे हैं कि विपक्ष को चेतावनी दे रहे हैं, कुछ कह रहे हैं कि मुसलमानों को नसीहत दे रहे हैं, तो कुछ कह रहे हैं कि हिंदुओं को सलाह दे रहे हैं। वहीं कुछ कह रहे हैं कि मोहन भागवत उग्र लोगों को कह रहे हैं, चाहे वो किसी भी धर्म के हों। तो वहीं कुछ लोग ये भी कह रहे हैं कि मोहन भागवत का यह बयान सिर्फ और सिर्फ राजनीति है, जो धर्म की आड़ लेकर वोट बैंक की राजनीति के लिए है। इसका मतलब भी यही है कि मोहन भागवत पर भारतीय जनता पार्टी की सपोर्ट का आरोप लगा है। Mohan Bhagwat Hindu Muslim Unity

हालांकि मेरा मानना ये है कि संघ प्रमुख मोहन भागवत पिछले कई सालों से देश में एकता की बात कर रहे हैं। वो पहले ऐसे संघ प्रमुख हैं, जो मस्जिद भी गए और मदरसों में भी और देश को एक एकता और भाईचारे का बड़ा संदेश दिया। इससे पहले इस तरह की पहल किसी भी संघ प्रमुख ने करने की हिम्मत नहीं दिखाई। ऐसे में संघ प्रमुख के बयान पर राजनीति न करके उनके बयान को गंभीरता से लेते हुए देश को एकता के सूत्रों में बांधने की जरूरत है। क्योंकि मेरा मानना है कि संघ प्रमुख ने मणिपुर की हिंसा पर चिंता जताकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मणिपुर पर न बोलने को भी इशारे-इशारे में बता दिया है। Mohan Bhagwat Hindu Muslim Unity

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बहरहाल, संघ प्रमुख मोहन भागवत ने यह भी कहा कि चुनावों में हमें सतर्क रहना है और किसी के बहकावे में आकर मतदान नहीं करना है। बेहतर कौन है, उसे ही वोट देना है। साथ ही संघ प्रमुख मोहन भागवत ने सरकार के कुछ कामों की तारीफ भी की। इससे ये तो साफ है कि वो सरकार के खिलाफ तो नहीं बोले हैं। तो क्या वो उन लोगों को धमका रहे हैं, जो जातिगत जनगणना की मांग कर रहे हैं? या फिर उन लोगों को, जो मोदी सरकार के खिलाफ बोलते हैं। क्योंकि अगर वो मोदी सरकार से नाराज होते, तो दोहरे अर्थ वाली बातें नहीं कहते। हालांकि उन्होंने जिस प्रकार से हर बात दोहरे अर्थों में कही, उससे काफी उलझनें हैं कि आखिर वो क्या कहना चाहते हैं। वो जिस तरीके से शब्दों से खेल गए, उस तरीके से शब्दों से खेलना आसान नहीं है। जाहिर है कि इतने बड़े स्तर का कोई कद्दावर व्यक्ति आसान और साफ भाषा में बात नहीं करता, उसके इशारे में ही बहुत कुछ छिपा होता है। चाहे वो सरकार हो, चाहे विपक्ष हो, चाहे वो नफरत फैलाने वाले लोग हों, चाहे धर्मों की आड़ लेकर नफरत फैलाने वाले लोग। Mohan Bhagwat Hindu Muslim Unity

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दरअसल, संघ प्रमुख ने एक ऐसी बात भी कही, जिसके चलते उनके बयान के कि उनकी वजह से हम पर अन्याय हो रहा है। विक्टिम हुड की मानसिकता से काम नहीं चलेगा। कोई विक्टिम नहीं है। वे कहते हैं मुझे किसी बस्ती में घर नहीं मिलता, इसलिए अपनी बस्ती में ही रहना होता है। लेकिन उन्होंने ये भी कहा कि भावना भड़काकर लोगों के वोट लेना ठीक नहीं है। इस प्रकार से उन्होंने लोगों को इशारा किया कि वो किस तरह के लोगों वोट दें। लेकिन साथ ही उन्होंने ये भी इशारा कर दिया कि सरकार का काम अच्छा है। तो इसका मतलब क्या संघ प्रमुख मुस्लिम वोटरों को केंद्र सरकार के साथ खड़े होने का इशारा कर रहे हैं? क्योंकि साल 2018 में भी उन्होंने कहा था कि “हिंदू राष्ट्र का मतलब यह नहीं है कि वहां मुसलमानों के लिए कोई जगह नहीं है। जिस दिन ऐसा हो गया, वह हिंदुत्व नहीं रहेगा। हिंदुत्व, एक विश्व एक परिवार की बात करता है। लेकिन अगर हम दूसरी ओर देखें, तो ऐसा कोई नेता नहीं, जो देश में नफरत नहीं फैलाता। कोई कम फैलाता है, तो कोई ज्यादा। Mohan Bhagwat Hindu Muslim Unity

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बहरहाल, जिस प्रकार संघ प्रमुख ने कई बार देश में एकता की बात की है, उससे सबसे पहले संघ को आदर्श मानने वाले संगठनों और भाजपा नेताओं को ही सीख लेने की जरूरत है। इसके अलावा बाकी पार्टियों के नेताओं और संगठनों के साथ-साथ न सिर्फ हिंदुओं को बल्कि मुसलमानों को भी नफरत से बचने की जरूरत है। क्योंकि नफरत फैलाने के लिए देश में न तो किसी एक पार्टी को दोषी बनाया जा सकता है और न ही किसी एक जाति या धर्म के लोगों को। इसमेें हिस्सेदारी सभी की है, किसी की कम तो किसी की ज्यादा। लेकिन हम सबको समझना होगा कि इस नफरत से भला किसी का नहीं होने वाला, आखिरकार एकता और भाईचारे से ही आपसी मसले भी सुलझेंगे और देश भी तभी मजबूत होगा। Mohan Bhagwat Hindu Muslim Unity

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)

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