
अच्छी बात यह है कि बहुजन समाज आज भी मेरे साथ तन-मन-धन से खड़ा है। दलित और अन्य उपेक्षित वर्ग के लोग जानते हैं कि यूपी में बसपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनने से पहले वे न तो जातिवादी उच्च वर्ग के लोगों के सामने खाट पर बैठ सकते थे और न ही उनके बराबर की कुर्सी पर बैठने की हिम्मत जुटा पाते थे। लेकिन, 2007 में बहुजन समाज पार्टी की सरकार बनने के बाद यह सब काफी बदल गया है। अब ये लोग पूरे सम्मान के साथ उनके बराबर की खाट और कुर्सी पर बैठ सकते हैं। वास्तव में यही सच्चा सामाजिक परिवर्तन है। यह मेरे नेतृत्व में बनी बसपा सरकार ने किया है। लोग सामाजिक परिवर्तन की बातें तो बहुत करते हैं, लेकिन उसे हकीकत में नहीं लाते।
हमारे संतों, गुरुओं और महापुरुषों का सपना यूपी में साकार हुआ है। यह सब बसपा संस्थापक कांशीराम की देन है। इसे इतिहास के पन्नों में जरूर लिखा जाएगा। बहुजन समाज पार्टी की सरकार ने इन वर्गों के लोगों यानी बहुजन समाज के लोगों को यूपी में काफी हद तक अपने पैरों पर खड़ा किया है। अपने संतों, गुरुओं और महापुरुषों को विभिन्न स्तरों पर पूरा सम्मान भी दिया है, जिसे लोग कभी नहीं भूलेंगे। यह सब अभी भी यहां की तमाम जातिवादी पार्टियों के गले से नीचे नहीं उतर रहा है, इसलिए अब वे इन वर्गों के स्वार्थी लोगों को आगे लाकर और उनके जरिए विभिन्न नामों से कई छोटे-छोटे संगठन और पार्टियां बनाकर बसपा की ताकत को बांटकर उसे कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं।
बहुजन समाज के लोगों को सतर्क रहना चाहिए, यह समय की मांग है। पार्टी और आंदोलन के हित में भी यह सही कदम होगा। अगर हमारे लोग सतर्क रहेंगे। इसके अलावा मायावती ने यह भी कहा कि देश के प्रधानमंत्री समय-समय पर खुद की गरीबी का जिक्र करते रहते हैं, लेकिन उन्हें कभी भी दलितों व अन्य उपेक्षित वर्ग के लोगों की तरह जातिगत भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ा है। यह सब हमारे संतों, गुरुओं व महापुरुषों ने समय-समय पर झेला है।
जिसका उनके अनुयायी आज भी काफी हद तक सामना कर रहे हैं। आज मैं मिशनरियों व पार्टी के परिपक्व लोगों से भी अपील करती हूं कि वे अपने बच्चों खासकर युवा पीढ़ी को यह सभी महत्वपूर्ण बातें हमेशा बताते रहें। इन लोगों का भी त्याग करने का सही दायित्व है। इसी उम्मीद के साथ होली की शुभकामनाएं। कांशीराम की जयंती बड़े ही उत्साह के साथ मनाई गई। उनके अनुयायियों ने अपना पूरा सम्मान दिया है और मेरा व उनके करोड़ों अनुयायियों का हौसला बढ़ाया है। मैं उन सभी का हृदय से आभार व्यक्त करती हूं।
उन्होंने कहा कि इस समय संसद का सत्र चल रहा है जिसमें देश में आम जनहित के मुद्दों पर कम जोर दिया जा रहा है और स्वार्थ की राजनीति करने पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है। यह चिंता का विषय है और पिछले कुछ समय से सत्ता पक्ष और विपक्ष द्वारा वक्फ बोर्ड पर की जा रही राजनीति भी चिंता का विषय है। अगर यह मामला समय रहते आम सहमति से सुलझा लिया जाता तो बेहतर होता। केंद्र सरकार को इस मामले पर पुनर्विचार जरूर करना चाहिए। इस पर विचार करें, यह हमारी पार्टी की केंद्र सरकार से पुरजोर अपील है।