सहारनपुर : “आई लव मोहम्मद” घटना को लेकर चल रहा राजनीतिक घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस बीच, भीम आर्मी जय भीम के राष्ट्रीय अध्यक्ष मंजीत सिंह नौटियाल को सहारनपुर ज़िले के बेहट में बरेली जाने से रोक दिया गया। मंगलवार को मोहल्ला खालसा स्थित अपने आवास से बरेली जाते समय पुलिस ने उन्हें हिरासत में लेकर नज़रबंद कर दिया। इस घटना के बाद, नौटियाल, उनके समर्थकों और पुलिस के बीच झड़प हो गई।
रिपोर्ट्स के अनुसार, मंजीत सिंह नौटियाल मंगलवार को बरेली में मुस्लिम भाइयों पर कथित अत्याचारों के संबंध में मुस्लिम धर्मगुरुओं से मिलने के लिए अपने आवास से निकलने की तैयारी कर रहे थे। हालाँकि, पुलिस ने उन्हें जाते समय रोक लिया और वापस अंदर ले गई। उनके आवास के बाहर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था। इस दौरान, मंजीत सिंह नौटियाल बरेली जाने के अपने फैसले पर अड़े रहे। पुलिस से हुई बहस के बाद, उन्होंने राज्यपाल और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को संबोधित एक ज्ञापन इंस्पेक्टर को उनके आवास पर सौंपा। ज्ञापन में उन्होंने कहा कि बरेली में मुस्लिम भाइयों के साथ अन्याय हुआ है और वह इस मामले को लेकर मुस्लिम धर्मगुरुओं से मिलने जा रहे हैं।
नौटियाल ने आरोप लगाया कि “तानाशाह सरकार अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना चाहती है।” उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना उनका संवैधानिक अधिकार है और सरकार उन्हें रोक नहीं पाएगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह हर परिस्थिति में उत्पीड़न और अत्याचार के शिकार मुस्लिम भाइयों के साथ खड़े हैं और बरेली ज़रूर जाएँगे।
“आई लव मोहम्मद” मामले ने उत्तर प्रदेश की राजनीति को गरमा दिया है। विभिन्न राजनीतिक दल इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। भीम आर्मी जैसे संगठन अक्सर अल्पसंख्यक अधिकारों के समर्थन में बोलते रहे हैं। मंजीत सिंह नौटियाल को बरेली जाने से रोके जाने को उस चलन का हिस्सा माना जा रहा है जिसमें सरकार पर असहमति की आवाज़ों को दबाने का आरोप लगाया जा रहा है। मंजीत सिंह नौटियाल को बरेली जाने से रोके जाने की घटना ने “आई लव मोहम्मद” मुद्दे को लेकर राजनीतिक तनाव को और बढ़ा दिया है। यह घटना सरकार और नागरिक अधिकारों के बीच चल रहे संवाद और संघर्ष को भी दर्शाती है। नौटियाल की मुखरता और सरकारी दमन के आरोपों ने इस मुद्दे को और हवा दे दी है।