Maha Shivratri Special : सहारनपुर के इस मंदिर में पांडवों ने की थी महादेव की पूजा, भोलेनाथ ने दिए थे दर्शन, जानें क्या है मान्यता

Bhuteshawar Mahadev Temple

सहारनपुर : हरियाणा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की सीमाओं से घिरा उत्तर प्रदेश का सहारनपुर जिला धार्मिक स्थलों से अलग पहचान रखता है। जिले में पांच बड़े शिव मंदिर हैं। लेकिन, अद्भुत चमत्कारों के स्मार्ट शहर सहारनपुर में स्थित श्री भूतेश्वर महादेव मंदिर शिव भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है। वैसे तो भूतेश्वर महादेव मंदिर महाभारत काल का है। लेकिन, इसका निर्माण सैकड़ों साल पहले मराठा शासक ने कराया था।

Bhuteshawar Mahadev Templeयही वजह है कि भूतेश्वर महादेव मंदिर लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है। पुराने शहर के धोबी घाट के पास 22 बीघा जमीन पर बने प्राचीन सिद्धपीठ श्री भूतेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास अनूठा है। यह मंदिर अपने अंदर पौराणिक और धार्मिक महत्व रखता है। कहा जाता है कि द्वापर युग में वनवास के दौरान पांडवों ने इसी स्थान पर भगवान शिव की आराधना की थी। पांडवों की पूजा से प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने दर्शन दिए थे। बता दें कि स्मार्ट सिटी के नगर कोतवाली क्षेत्र में धोबी घाट के पास 22 बीघा जमीन पर बना भूतेश्वर महादेव मंदिर सिद्धपीठ मंदिरों में से एक है।

महाभारत काल में वनवास के दौरान पांडव इसी स्थान पर रुके थे, जहां पांडवों ने देवों के देव महादेव भोलेनाथ की पूजा की थी। मान्यता है कि पांडवों की पूजा से प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने न सिर्फ उन्हें दर्शन दिए थे, बल्कि कौरवों पर विजय का आशीर्वाद भी दिया था। 17वीं शताब्दी में इस स्थान पर स्वयंभू शिवलिंग प्रकट हुआ था। जिसके कारण उस समय के मराठा शासक ने इस स्थान पर एक भव्य मंदिर का निर्माण कराया।

Bhuteshawar Mahadev Temple

कहा जाता है कि उस समय मंदिर के आसपास घने जंगल हुआ करते थे। साधु-संत मंदिर में धूना लगाकर तपस्या करते थे। घने जंगल में होने के कारण मंदिर में दर्शन के लिए इक्का-दुक्का श्रद्धालु ही आते थे। जानकार बताते हैं कि धीरे-धीरे समय बीता और मंदिर की देखभाल के लिए एक समिति बनाई गई। समिति ने मंदिर का पुनर्निर्माण कराया और इसका सौंदर्यीकरण कराया। आबादी बढ़ती गई और अब यह मंदिर शहर के बीचों-बीच आ गया है।

सहारनपुर के इस मंदिर में पांडवों ने की थी महादेव की पूजा।
पूजा से प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने उन्हें दर्शन देकर कौरवों पर
विजय का आशीर्वाद भी दिया था। इस मंदिर में कई लोगों ने
20 फीट लंबे सफेद बालों वाले बाबा के भी दर्शन किए। इतना
ही नहीं, मंदिर में हनुमान जी भी विराजमान नजर आते हैं।

मंदिर के पुजारी शिवनाथ पांडेय बताते हैं कि 60 साल पहले श्रावण मास में मंदिर के कपाट हमेशा की तरह रात 10:30 बजे बंद हो गए थे। एक रात अचानक करीब 3:00 बजे मंदिर के कपाट अपने आप खुल गए और घंटियां अपने आप बजने लगीं। मंदिर में मौजूद पुजारी और साधु गर्भगृह में गए तो देखा कि भगवान शंकर का श्रृंगार किया गया था। उनकी आरती हो चुकी थी। मान्यता है कि देवी-देवताओं ने भगवान शंकर की पूजा की थी। इसी मंदिर में कई लोगों ने सफेद पगड़ी वाले 20 फीट लंबे बाबा के भी दर्शन किए। इतना ही नहीं हनुमान जी भी मंदिर में दर्शन करते नजर आते हैं।

मान्यता है कि अगर कोई व्यक्ति 40 दिनों तक श्रद्धापूर्वक शिवलिंग पर जल चढ़ाता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं 40 दिन से पहले पूरी हो जाती हैं। यही वजह है कि हर सोमवार को आसपास के जिलों और राज्यों से हजारों शिव भक्त भूतेश्वर महादेव मंदिर में दर्शन करने आते हैं। सावन के महीने में यहां हर दिन मेले जैसा माहौल रहता है। लाखों शिव भक्त हरिद्वार से कावड़ लेकर आते हैं और भूतेश्वर महादेव पर जल चढ़ाकर धार्मिक लाभ उठाते हैं। Mahashivratri

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