Lucknow : मदरसों में श्लोक-मंत्र पढ़ाने पर एतराज, संस्कृत पर राजी उलेमा, बोले श्लोक-मंत्र पढ़ाने से हो सकता है टकराव 

Lucknow News

लखनऊ : ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने उत्तराखंड सरकार के उस फैसले पर आपत्ति जताई है, जिसमें मदरसों में श्लोक और मंत्र पढ़ाने की बात कही गई है। उन्होंने कहा कि मदरसों में श्लोक और मंत्र पढ़ाने से टकराव की स्थिति पैदा हो सकती है। उत्तराखंड सरकार को यह फैसला वापस लेना होगा।

मौलाना ने कहा कि उत्तराखंड सरकार ने मदरसों में संस्कृत लागू करने की बात कही है। संस्कृत एक भाषा है। इसका अध्ययन किया जाना चाहिए। इसका अध्ययन करने में कोई बुराई नहीं है। हर ज्ञान ज्ञान के रूप में जरूरी है। पैगंबर-ए-इस्लाम ने भी कहा है कि ज्ञान हासिल करना चाहिए। ज्ञान बच्चों का भविष्य संवारता है। भाषा सीखने से बाहरी दुनिया से संवाद करने में कोई दिक्कत नहीं है। श्लोक-मंत्र एक धार्मिक प्रथा है शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि मदरसों में संस्कृत पढ़ाई जाएगी, हम उत्तराखंड सरकार के फैसले का स्वागत करते हैं।

श्लोक और मंत्र पढ़ाने पर भी आपत्ति है। उन्होंने कहा कि श्लोक और मंत्र एक धर्म विशेष की धार्मिक प्रथाएं हैं। इस्लाम का प्रचार करने वाले मदरसों में मुस्लिम बच्चों को श्लोक और मंत्र पढ़ाए जाएंगे, जिससे कभी-कभी टकराव की स्थिति पैदा हो सकती है। उन्होंने कहा कि जैसे संस्कृत विद्यालयों में कुरान नहीं पढ़ाई जा सकती, वैसे ही मदरसों में श्लोक और मंत्र नहीं पढ़ाए जा सकते। ये दोनों धर्मों के धार्मिक मामले हैं। दोनों को अलग-अलग रखना चाहिए। उत्तराखंड सरकार को मदरसों में श्लोक और मंत्र पढ़ाने का फैसला वापस लेना होगा।

नोट: अगर आपको यह खबर पसंद आई तो इसे शेयर करना न भूलें, देश-विदेश से जुड़ी ताजा अपडेट पाने के लिए कृपया News 14 Today के  Facebook  पेज को Like व Twitter पर Follow करना न भूलें...

Related posts