योजनाओं में लूट : केंद्र सरकार के विज्ञापनों में और प्रधानमंत्री मोदी से लेकर भाजपा के तमाम छोटे बड़े नेताओं के भाषणों में विकास की जो तस्वीर दिखाई जाती रही है, हकीकत में हिंदुस्तान की वो तस्वीर है ही नहीं। केंद्र सरकार की कई योजनाएं कागजों पर ही पूरी हुई हैं, तो कई योजनाएं आधी-अधूरी नजर आती हैं।
साल 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले गुजरात के उस समय के मुख्यमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी ने पूरे देश को एक ख्वाब दिखाया, जिसके तहत लोगों को रोजगार देने, भुखमरी खत्म करने, काला धन वापस लाने, सबको 15-15 लाख रुपए देने, किसानों की आय दोगुनी करने, आतंकवाद खत्म करने, भ्रष्टाचार खत्म करने, रुपया मजबूत करने जैसे अनेकों वायदे थे।
लेकिन अब ये सभी वायदे तो रह ही गए, साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री बनने के बाद 2016 में किए गए उनके देश में मार्च 2025 तक 100 स्मार्ट सिटी बनाने, आठ नए आधुनिक शहर बसाने और स्मार्ट गांव बनाने जैसे काम भी ठंडे बस्ते में डाल दिए गए हैं। और अब हालत ये है कि पूरे साढ़े 10 साल के शासनकाल में केंद्र की मोदी सरकार अपने कई महत्वपूर्ण कामों को करने में विफल रही है। अगर केंद्र की मोदी सरकार हकीकत में अपने वायदे पूरे करने में सफल हुई होती और उसने महंगाई, भुखमरी, गरीबी, आतंकवाद, कालाधन और शिक्षा आदि पर अच्छा काम किया होता, तो हिंदुस्तान की तस्वीर कुछ और ही होती।
बहरहाल अब मोदी सरकार मौजूदा और सिर्फ उन योजनाओं को लेकर काम करने की बात कर रही है, जो काफी बाद में बनाई गईं। लेकिन पहले की बनी हुई कई योजनाओं का अब जिक्र तक नहीं होता। इन योजनाओं में नमामि गंगे, हर परिवार को एक घर, हर घर में शौचालय, मेक इन इंडिया, आदर्श गांव, पेट्रोल और डीजल सस्ता, मनरेगा के तहत और ज्यादा रोजगार, महिला सुरक्षा, अपराध पर रोक और न जाने कितनी ही योजनाएं लाई गईं, लेकिन सबकी सब धीरे-धीरे या तो ठंडे बस्ते में चली गईं या फिर उन्हें अधूरा छोड़ दिया गया। PM modi