Loksabha Election : पश्चिमी यूपी की 8 सीटों पर कल हुआ दूसरे चरण का मतदान, क्या रहेंगे समीकरण
Published By Roshan Lal Saini
Loksabha Election : देश के दूसरे हिस्सों के साथ ही पश्चिमी यूपी में दूसरे चरण का मतदान 8 सीटों पर शुक्रवार को शांतिपूर्ण सम्पन्न हो गया। हैरत की बात ये है कि दूसरे चरण का का चुनाव भी बिलखती गर्मी में पूरी तरह ठंडा रहा है जबकि मौसम गर्म है। या यूँ कहे कि 2024 के लोकसभा चुनाव में सियासी गर्मी कहीं गायब हो गई है।
इन दिनों एक तो किसानों की फसलों की कटाई चल रही है वहीं मतदाताओं में चुनाव को लेकर कोई उत्साह नहीं दिख रहा है। कुल मिलाकर देखा जाए तो इस बार के चुनाव में ऐसा उत्साह देखने को नहीं मिल रहा, जैसा कि हम पिछले चुनाव में देखते रहे हैं। यही वजह है कि मतदान होने के बाद भी जीत का अंदाजा लगा पाना मुश्किल हो रहा है।
आपको बता दें कि 2024 के लोकसभा चुनाव में जहां तमाम राजनितिक दल मतदाताओं को रिझाने के लिए हर हथकंडा अपनाने में लगे हैं वहीं इस बार मतदाताओं में उत्साह का अभाव देखा जा रहा है। पहले चरण का चुनाव हो या फिर दूसरे चरण का मतदान मतदाताओं में मताधिकार को लेकर उत्साह देखने को नहीं मिला। हालांकि जितना भी मतदान हुआ उसमें से ज्यादातर मतदाता साइलेंट रहा और मतदान किया। लेकिन कम मतदान ने प्रत्याशियों और प्रशासन की चिंता भी बढ़ा दी। कम मतदान प्रतिशत से रुझानों का आंकलन कर पाना मुश्किल है। Loksabha Election
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वहीं प्रथम चरण के चुनाव में इस तरह की स्थिति को देखते हुए सत्ताधारी दल भाजपा ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए अपने मुद्दों को बदला और अधिक से अधिक मतदाताओं को बूथ तक पहुंचाने के लिए लगातार उनकी कोशिश जारी है। लेकिन हेमा मालिनी क संसदीय क्षेत्र मथुरा में सबसे कम मतदान से सत्ताधारी भाजपा की चिंता बढ़ा दी है। विश्लेषकों के मुताबिक़ जितना भी मतदान प्रतिशत कम हुआ है उसका असर भाजपा प्रत्याशी पर पड़ा है। यानि डेढ़ लाख की लीड लेने दावा करने वाली हेमा मालिनी अब इंडिया गठबंधन प्रत्याशी से सीधी टक्कर में आ गई हैं। Loksabha Election
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पश्चिमी उत्तर प्रदेश की पिछले 8 सीटों पर कल मतदान हो चूका है। पश्चिम उत्तर प्रदेश की ज्यादातर सीटों पर राजपूत समाज का प्रभाव माना जाता है जिसमें मेरठ, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, बुलंदशहर और अलीगढ़ शामिल है। जाहिर है कि राजपूत समाज पिछले कुछ दिनों से सत्ताधारी दल भाजपा से विमुख चल रहा है और लगातार उनकी पंचायते चल रहीं हैं इसी बीच दूसरे वर्गों की भी पंचायते हमने देखी है, चाहे उसमें त्यागी समाज हो, सैनी समाज हो इसके अलावा तीन दिन पहले गाजियाबाद में जाट समाज की भी एक मीटिंग की गई है। जिसमें भाजपा का विरोध करने का प्रस्ताव पास होना यह जताता है कि भारतीय जनता पार्टी को उपस्थितियों को नरजंदाज नहीं करना चाहिए। Loksabha Election
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ऐसे में लगता है भारतीय जनता पार्टी को इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इन वर्गों के लोगों से बात करके उनको समझा बूझकर अपने साथ लाने की कोशिश करनी चाहिए। हमें याद रखना चाहिए कि यह तमाम वर्क भारतीय जनता पार्टी का कौर वोटर माना जाता है अगर भारतीय जनता पार्टी इस मामले को नहीं सुलझा पाती है तो इसमें कोई दो राय नहीं है कि भारतीय जनता पार्टी को इस चरण में भी नुकसान हो सकता है। Loksabha Election
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बहरहाल इसके अलावा कुछ लोगों की उत्सुकता यह भी है कि जिस प्रकार से प्रथम चरण और द्वितीय चरण का चुनाव शुक्रवार के दिन किया जा रहा है और गौतम बुद्ध नगर, गाजियाबाद में अधिकतम लोग नौकरी पेशा रहते हैं। और शनिवार और रविवार के दिन उनकी छुट्टी होती है तो कुछ लोगों के शुक्रवार, शनिवार और रविवार की छुट्टी करते हुए पिकनिक मनाने की भी खबरें हैं। क्योंकि उत्तराखंड के देहरादून, मसूरी और नैनीताल में भीड़ पढ़ने लगी है। मुझे लगता है चुनाव आयोग को इस मामले पर भी संज्ञान लेना चाहिए। Loksabha Election