मेरठ : पश्चिमी यूपी के ज़िले मेरठ में भू-माफिया के सामने सीएम योगी का बुलडोजर पस्त नजर आता है। दरअसल दिल्ली गुहार लगाने आए कुछ किसानों ने बताया कि भू-माफिया अखिलेश गोयल और रमेश यादव ने स्थानीय किसान सुशील, विरेंद्र, जगत सिंह और बलजीत सिंह गांव नंगला ताशी, थाना कंकरखेड़ा, मेरठ की जमीन जिसका खसरा संख्या 616 पर कब्जा करने की नीयत से उनकी न्यायालय के निर्देश पर बनाई गई दीवार को तोड़कर क़ब्जे की नियत से किसानों का खेती-बाड़ी का सामान और कृषि यंत्र फेंक दिए।
जिसकी शिकायत पीड़ित किसानों ने कंकरखेड़ा थाने के अलावा जिले के तमाम अधिकारियों से की, लेकिन ज़िला प्रशासन ऊपर से दबाव में कार्रवाई करने में नाकाम है। इसके बाद पीड़ित किसानों ने मजबूरन प्रदेश के मुख्य सचिव को 24 जून 2024 को भी अपनी पीड़ा एक पत्र लिखकर बताई, जिस पर मुख्य सचिव ने मेरठ के जिलाधिकारी, मेरठ मंडल के अपर आयुक्त को संज्ञान लेने के लिए निर्देशित किया।
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पीड़ित किसानों ने बताया कि इस मामले में मेरठ मंडल के कमिश्नर द्वारा आदेश के बाद पुलिस सुरक्षा में उनकी जमीन की तारबंदी और दीवार कराई, लेकिन भू-माफिया अखिलेश गोयल और रमेश यादव अपने गिरोह के मिलकर ने उसे जबरन तोड़ दिया। पीड़ित किसानों ने फिर पुलिस और स्थानीय प्रशासन से इस बारे में बार बार गुहार लगाई, लेकिन जब कुछ नहीं हुआ तो तंग आकर किसान रुपेश पवार ने साल 2021 में वाद संख्या 1293/2021 न्यायालय सिविल जज (सीडी), मेरठ में दर्ज किया, जिसके आधार पर 27 अक्टूबर 2021 को न्यायालय ने भू-माफियाओं को उक्त किसान परिवार की जमीन पर कब्जा और हस्तक्षेप न करने का आदेश पारित किया। तो भू-माफिया ने न्यायालय से इस मामले में हस्तक्षेप के लिए याचिका दायर की तो न्यायालय ने उनकी याचिका को निरस्त कर दिया।
इसके बावजूद भू-माफिया किसानो की जमीन पर अपना कब्जा जमाना चाहता है। इस मामले में उपजिलाधिकारी के पत्रांक-667/एसटी/एसडीएम ने 1 अगस्त 2024 को जिलाधिकारी को पत्र लिखकर भी बताया कि उक्त जमीन किसान परिवार की है, लेकिन इसके बावजूद भू-माफिया के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई और न ही किसानो की जमीन भू-माफिया के कब्जे से मुक्त कराई गई। आज़ तक भूमाफिया के खिलाफ न तो कोई कार्रवाई हुई और न ही पीडितों की दीवार बनाने की पुलिस प्रशासन और कोई अन्य अधिकारी हिम्मत दिखा पाया।