सरकारी नौकरी : एक रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में श्रम बल सहभागिता दर 49.9 फीसदी होने के बावजूद सिर्फ 1.4 फीसदी लोग ही सरकारी नौकरी पा सकते हैं यानि सरकारी नौकरी सिर्फ काम करने योग्य लोगों में से सिर्फ 1.4 फीसदी के लिए ही सरकारी नौकरियां बची हैं। इससे साफ है कि सरकारी नौकरियां अब न के बराबर ही बची हैं।
लोकसभा में दिए गए केंद्र सरकार के एक ब्यान के अनुसार, नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद साल 2014 से लेकर जुलाई 2022 तक अलग-अलग सरकारी विभागों में कुल 7 लाख 22 हजार 311 सरकारी पदों पर भर्ती की है। लेकिन उनका वादा था हर साल दो करोड़ नौकरियां देने का और जब ये सवाल आया, तो उन्होंने पकौड़ा बेचने को रोजगार बता डाला।
हैरत की बात है कि साल 2018-19 में महज 38 हजार 100 लोगों को ही सरकारी नौकरी मिली। जबकि इस दौरान 5 करोड़ 9 लाख 36 हजार 4 सौ 79 जरूरतमंद युवाओं ने सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन किए। हालांकि सरकार ने दावा किया था कि साल 2019-20 में देश भर में 1 करोड़ 47 लाख 96 युवाओं को सरकारी नौकरी दी गई। और ये भी दावा है कि मोदी सरकार के समय में रोजगार दर लगभग 40 फीसद है। Government Job
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लेकिन दूसरी तरफ आ रही जानकारियों से पता चल रहा है कि देश भर में हर विभाग में बड़ी संख्या में सरकारी पद खाली पड़े हैं। जो पद खाली हो रहे हैं, उन पर भर्तियां नहीं हो रही हैं। मंत्रालयों तक में ठेकेदारी प्रथा शुरू हो चुकी है। परीक्षाएं रद्द होने और पेपर लीक होने का खेल तो खुलेआम चल ही रहा है।
सेंटर फ़ॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के मुताबिक, देश में साल 2020 में बेरोजगारी दर 7.11 फीसदी और साल 2021 में 7.9 फीसदी थी। लेकिन सरकार खुद कह रही है कि वह 100 में सिर्फ 40 लोगों को ही नौकरी दे पा रही है। इस प्रकार तो बेरोजगारी दर 60 फीसदी हुई। फिर बेरोजगारी के आंकड़े 7-8 फीसदी के बीच में क्यों अटके हुए हैं? इसमें तो गड़बड़ी साफ दिख रही है। Government Job
लेकिन लेटरल एंट्री में कोई कमी नहीं आई। प्राइवेट नौकरियां भी घट रही हैं। अभी हाल ही में खबर आई है कि महज एक साल में टाइटन और रिलायंस समेत पांच बड़ी कंपनियों ने अपने करीब 52 हजार कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया। अगर मैं मीडिया क्षेत्र की बात करूं, तो हर मीडिया हाउस इन दिनों 10-10 कर्मचारियों का काम एक या दो कर्मचारी से ले रहा है और तनख्वाह की बात की जाए, तो वो कई मीडिया हाउस में तो चपरासी से लेकर शुरूआती पद के लेवल की भी नहीं है।
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कोरोना की पहली लहर में साल 2020 में करीब 1.45 करोड़ लोगों को कंपनियों ने नौकरी से हटा दिया था। इसी प्रकार से कोरोना की दूसरी लहर में करीब 52 लाख लोगों की और कोरोना की तीसरी लहर में करीब 18 लाख लोगों की नौकरी छिन गई। और ये केंद्र सरकार के ही आंकड़े हैं। लेकिन नौकरी मिली कितनी, ये इस बात से जाहिर होता है कि आज जब कहीं किसी एक पद पर भर्ती निकलती है, तो लाखों बेरोजगार उसके लिए अप्लाई करते हैं। Government Job
सरकार को चाहिए कि अगर वो सरकारी पद बढ़ाने में असमर्थ है, तो कम से कम उन पदों को जरूर भरे, जो खाली पड़े हैं। और सिर्फ लेटरल एंट्री, रिश्वत और सोर्स के जरिए सरकारी पदों पर भर्तियों का खेल भी रोके, जिससे चाहे वो किसी भी वर्ग या जाति का युवा हो, उसे ईमानदारी से उसका हक मिल सके और बार-बार आरक्षण का मसला ही न उठे।
क्योंकि जब-जब आरक्षण को लेकर कोई आंदोलन होता है, तो सरकार और जनता दोनों का नुकसान होता है। बिना मतलब पुलिस प्रशासन को लगाने में करोड़ों के खर्च के अलावा आगजनी और तोड़फोड़ जैसी घटनाओं से जान-माल का नुकसान होता है। इसे सरकार को रोकने की कोशिश करनी चाहिए। Government Job
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