बेटी के सामने माँ का गैंगरेप कर ज़िंदा जलाया, 4 दोषियों को उम्रकैद की सज़ा, कोर्ट ने कहा, हल्की सज़ा से अपराधी बिना डर ​​के आज़ाद घूमते हैं

A mother was gang-raped and burned alive in front of her daughter, Four convicts have been sentenced to life imprisonment, The court stated that lighter sentences would allow the culprits to roam free without any fear.

संभल : शुक्रवार को एक कोर्ट ने एक महिला के गैंगरेप और हत्या के मामले में चार लोगों को उम्रकैद की सज़ा सुनाई। हर दोषी पर 112,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। यह घटना 2018 में राजपुरा इलाके में हुई थी। दोषियों ने महिला के घर में घुसकर इस जघन्य अपराध को अंजाम दिया। इसके बाद उन्होंने उस पर पेट्रोल डालकर उसे ज़िंदा जला दिया। दोषियों को सज़ा उनकी बेटी और भाई की गवाही के आधार पर दी गई। यह सज़ा चंदौसी में स्पेशल जज (POCSO एक्ट)/एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज अवधेश कुमार सिंह ने सुनाई। पीड़ित परिवार को सात साल बाद इंसाफ़ मिला। दोषियों पर लगाए गए जुर्माने का आधा हिस्सा पीड़ित महिला के पति और परिवार को दिया जाएगा।

यह मामला राजपुरा थाना क्षेत्र के एक गांव का है। गांव का एक आदमी काम के सिलसिले में गाज़ियाबाद गया हुआ था। घर पर सिर्फ़ उसकी 7 साल की बेटी और पत्नी थीं। असिस्टेंट डिस्ट्रिक्ट गवर्नमेंट एडवोकेट हरिओम प्रकाश उर्फ ​​हरीश सैनी ने बताया कि 13 जुलाई 2018 को रात करीब 2:30 बजे उसी गांव के आराम सिंह, महावीर, कुमार पाल उर्फ ​​भोना, गुल्लू उर्फ ​​जयवीर और एक नाबालिग घर में घुस गए। उन्होंने बेटी के सामने महिला का गैंगरेप किया। इसके बाद वे भाग गए। महिला ने अपने मोबाइल फ़ोन से अपने मामा के बेटे को घटना के बारे में बताया। जब आरोपियों को इस बात का पता चला, तो वे वापस आ गए। वे महिला को पास की एक झोपड़ी में खींचकर ले गए, उस पर पेट्रोल डाला और आग लगा दी। महिला की मौके पर ही मौत हो गई।

परिवार वालों की शिकायत के आधार पर मामला दर्ज किया गया। असिस्टेंट डिस्ट्रिक्ट गवर्नमेंट एडवोकेट ने बताया कि मृत महिला के मामा का बेटा और उसकी 7 साल की बेटी इस मामले में गवाह थे। उनकी गवाही ने पूरे मामले की दिशा तय की। पुलिस ने आरोपियों के कपड़े बरामद कर फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी भेजे। जांच के दौरान उनके सभी कपड़ों पर सीमेन के दाग मिले। पीड़ित महिला का मोबाइल फ़ोन घटनास्थल से बरामद किया गया। पुलिस को मिस्ड कॉल की एक रिकॉर्डिंग मिली, जिसमें महिला और उसके चचेरे भाई के बीच बातचीत की डिटेल्स थीं। रिकॉर्डिंग में महिला के रोने की आवाज़ सुनी जा सकती थी। उसने यह भी बताया कि उसने इमरजेंसी नंबर 100 पर कॉल किया था, लेकिन कॉल का जवाब नहीं मिला। पुलिस ने रिकॉर्डिंग को सबूत के तौर पर कोर्ट में पेश किया।

असिस्टेंट डिस्ट्रिक्ट गवर्नमेंट एडवोकेट ने बताया कि शुक्रवार को कोर्ट ने आराम सिंह, महावीर, कुमार पाल उर्फ ​​भोना और गुल्लू उर्फ ​​जयवीर को भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 148, 376D, 302, 149, 201 और 34 के तहत दोषी ठहराया और उन्हें उम्रकैद की सज़ा सुनाई। उन पर ₹1,12,000 का जुर्माना भी लगाया गया। इस घटना में शामिल नाबालिग का ट्रायल अलग से चल रहा है। सज़ा सुनाने से पहले कोर्ट ने कहा, “अगर ऐसे मामलों में सहानुभूति के कारण नरमी बरती जाती है, तो यह न्याय व्यवस्था का सबसे क्रूर मज़ाक होगा। इससे न्यायपालिका की छवि भी खराब होगी। आरोपी, हल्की सज़ा पाकर और जेल से छूटकर समाज में बिना किसी डर के आज़ादी से घूमेंगे। इसलिए, सज़ा में कोई नरमी दिखाने का कोई कारण नहीं है।”

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