श्रीनगर : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) से पाकिस्तान की परमाणु शक्ति को अपने नियंत्रण में लेने की मांग की है। जिससे एक “दुष्ट” और “गैर-जिम्मेदार राष्ट्र” के हाथों में इसकी सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं। रक्षा मंत्री ने घाटी के रणनीतिक 15 कोर मुख्यालय में भारतीय सेना के जवानों को संबोधित करते हुए कहा कि “मैं पूरी दुनिया से पूछता हूं कि क्या ऐसे गैर-जिम्मेदार और दुष्ट राष्ट्र के हाथों में परमाणु हथियार सुरक्षित हैं। मेरा मानना है कि पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी की निगरानी में लिया जाना चाहिए”।
आपको बता दें कि एजेंसी परमाणु प्रौद्योगिकियों के सुरक्षित, संरक्षित और शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देने के लिए अपने सदस्य देशों और दुनिया भर के कई भागीदारों के साथ काम करती है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आज सुबह कश्मीर पहुंचे और श्रीनगर में बादामी बाग छावनी में सैनिकों से मिलने के लिए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के साथ थे। पिछले महीने पाकिस्तान के अंदर जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा समेत नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह पहला हाई-प्रोफाइल दौरा है।
IAEA की निगरानी की मांग राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत और पाकिस्तान के बीच “खराब परमाणु युद्ध” को रोकने के दावे के बाद आई है। राजनाथ सिंह ने कहा कि “आज आतंकवाद के खिलाफ भारत के संकल्प की ताकत इस बात से स्पष्ट है कि हमने उनके परमाणु ब्लैकमेल की भी परवाह नहीं की है। पूरी दुनिया ने देखा है कि कैसे पाकिस्तान ने कई बार गैर-जिम्मेदाराना तरीके से भारत को परमाणु धमकियां दी हैं”। उन्होंने कहा कि पहलगाम आतंकी हमला भारत के गौरव पर प्रहार करने और सामाजिक एकता को तोड़ने का एक प्रयास था, लेकिन भारत ने “उनके सीने पर घाव कर दिए हैं”।
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रक्षा मंत्री ने कहा कि “पाकिस्तान के घावों का इलाज भारत विरोधी और आतंकवादी संगठनों को पनाह देना बंद करना और यह सुनिश्चित करना है कि उसकी धरती का इस्तेमाल भारत के खिलाफ न हो।” उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान में आतंकवादियों को यह संदेश दिया है कि वे अब कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं। इस दौरान रक्षा मंत्री ने सफल ऑपरेशन के लिए सशस्त्र बलों की सराहना करते हुए कहा कि “वे अब भारतीय सशस्त्र बलों के निशाने पर हैं। दुनिया जानती है कि हमारे बल सटीक निशाना साधते हैं और एक बार जब वे किसी लक्ष्य पर निशाना साध लेते हैं, तो हम नुकसान की गणना दुश्मन पर छोड़ देते हैं।”