अयोध्या : रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तर्ज पर अब दीपोत्सव के आमंत्रण को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। समाजवादी पार्टी के सांसद अवधेश प्रसाद ने कहा कि उन्हें दीपोत्सव में नहीं बुलाया गया। यह भाजपा की सोच और विचारधारा है। अब त्योहारों का भी राजनीतिकरण किया जा रहा है। लोग कह रहे हैं कि मुझे नहीं बुलाया गया क्योंकि तभी मीडिया में मेरी चर्चा होती। आयोजक की अनदेखी होती। त्योहारों का राजनीतिकरण कर देश की एकता और अखंडता को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है।
भाजपा हमारी गंगा जमुनी संस्कृति के विपरीत काम कर रही है। भाजपा के दीपोत्सव में वही लोग गए जिन्हें कार्ड दिए गए थे। इस कार्यक्रम में किसानों और गरीबों के लिए कोई जगह नहीं थी। उधर, महापौर महंत गिरीश पति त्रिपाठी ने सपा सांसद पर पलटवार करते हुए कहा कि वह झूठ बोल रहे हैं। उन्हें आमंत्रण पत्र भी भेजा गया था और यहां का जनप्रतिनिधि होने के नाते दीपोत्सव में उनके लिए कुर्सी भी आरक्षित की गई थी। फिर भी वह अपनी तुष्टिकरण की मानसिकता के कारण नहीं आए।
महापौर ने कहा कि दीपोत्सव की आध्यात्मिक भव्यता को पूरी दुनिया ने देखा। यहां के निर्वाचित जनप्रतिनिधि का दुर्भाग्यपूर्ण व्यवहार निंदनीय है। अयोध्या का प्रतिनिधि होने के नाते उन्हें अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए थी। उन्हें यहां के विकास में सहभागिता निभानी चाहिए थी। वह सपा की उस संकीर्ण मानसिकता से उबर नहीं पा रहे हैं, जिसके तहत अयोध्या में कारसेवकों के खून की नदियां बहा दी गईं।
जिस मानसिकता के तहत अयोध्या को वर्षों तक विकास से वंचित रखा गया। चार से छह घंटे बिजली मिलती थी। सड़कें जर्जर थीं। उनकी पार्टी के शासन में विकास यहां से पलायन कर गया था। वह इस मानसिकता से बाहर नहीं आ पा रहे हैं। ईश्वर उन्हें सद्बुद्धि दे और वह अपनी जिम्मेदारी के साथ न्याय करें। दीपोत्सव में न आना और इस आयोजन को समाजवादी पार्टी और भाजपा के खांचों में बांटना सांसद की घृणित मानसिकता का परिचायक है।
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