Bihar Political News : बीजेपी के लिए इतने मुफीद क्यों हैं नीतीश, बनी बनाई सरकार तोड़कर NDA में क्यों हुए शामिल ?
Published By Roshan Lal Saini
Bihar Political News : बिहार में एक बार फिर राजनीतिक उथल-पुथल के बाद आखिरकार नीतीश कुमार उर्फ सुशासन बाबू ने 28 जनवरी को एक बार फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर न सिर्फ सबको चौंका दिया है, बल्कि अपने ऊपर तमाम तरह के आरोप-प्रत्यारोप वाली राजनीतिक बहस को भी जन्म दे दिया है। अब वो पलटू राम के नाम से एक बार फिर से चर्चा में हैं। बतौर मुख्यमंत्री नौवीं बार नीतीश ने शपथ ग्रहण की है।
उनके साथ भाजपा कोटे से प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा ने भी मंत्री पदों की शपथ ग्रहण की है। वहीं जदयू के विजय कुमार चौधरी, बिजेंद्र प्रसाद यादव, श्रवण कुमार को और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के कोटे से उनके बेटे संतोष कुमार सुमन को और एक निर्दलीय विधायक सुमित सिंह को मंत्री बनाया गया है। अभी पूरे मंत्रिमंडल का गठन होना बाकी है।
आपको बता दें कि बिहार में एक बार फिर जदयू के एनडीए का घटक दल बनकर नई सरकार बनने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीधे तौर पर नीतीश कुमार को बधाई न देकर एनडीए सरकार के नाम से बधाई दी है। उन्होंने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर लिखा है कि बिहार में बनी एनडीए सरकार राज्य के विकास और यहां के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगी। शपथ ग्रहण करने बाद नीतीश कुमार ने कहा कि पहले भी हम भाजपा के साथ थे, बीच में कहीं गए थे, अब फिर से साथ आ गए। Bihar Political News
अब सब दिन साथ रहेंगे। मेरे साथ आठ मंत्रियों ने शपथ ली है और बाकी लोगों को भी जल्द ही शपथ दिलाई जाएगी। सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा उप मुख्यमंत्री बनाया गया। नीतीश के इन शब्दों से लगता है कि नीतीश कुमार को कहीं न कहीं बड़े लेवल पर बड़ी डील के साथ राजद के साथ बनी-बनाई सरकार तोड़कर एनडीए में मिलाया गया है और शर्त वही कि दो-दो उप मुख्यमंत्री भारतीय जनता पार्टी के, ठीक वैसे ही जैसे महाराष्ट्र में दो-दो सीएम भारतीय जनता पार्टी के टूटी हुई शिवसेना के साथ बनाई गई सरकार में हैं। Bihar Political News
ये भी देखिए … अधूरा काम छोड़कर भागे ठेकेदारों पर होगा मुकदमा दर्ज़, होंगे ब्लैक लिस्टेड ये भी देखिए …
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अगर नीतीश इस समय भारतीय जनता पार्टी के साथ नहीं खड़े होते, तो उनका भी वही हाल होता, जो शिवसेना का महाराष्ट्र में हुआ है। लेकिन इसमें कोई दोराय नहीं कि दोफाड़ होने से बचाने के लिए नीतीश कुमार भले ही नौवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बन गए, लेकिन पहले ही 48 सीटों पर सिमट चुकी उनकी पार्टी जदयू को अब आगामी यानि इसी साल होने वाले लोकसभा चुनावों के अलावा 2025 में होने वाले बिहार के विधानसभा चुनावों में बड़ी चुनौतियों और मुश्किलों का सामना करना ही पड़ेगा। Bihar Political News
देखने वाली बात ये है कि वो इसी पांच साल के कार्यकाल में तीसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं। पहले वो बिहार विधानसभा चुनावों के बाद साल 2020 में एनडीए , जिसे भाजपा ही कहें, तो ज्यादा बेहतर है, के साथ मिलकर सरकार बनाकर मुख्मंयत्री बने, फिर वो एनडीए को झटका देकर राजद के साथ जा मिले और सरकार बना ली और अब एक बार फिर वो एनडीए के साथ मिलकर मुख्यमंत्री बन बैठे। Bihar Political News
ये भी पढ़िए … नितीश कुमार नौवीं बार बने बिहार के मुख्यमंत्री, सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा ने ली डिप्टी सीएम पद की शपथ
ये भी देखिये… जब पत्रकार ने कांग्रेस नेता से पूछा सवाल, भागते नजर आए कोंग्रेसी
दरअसल, कुछ राजनीतिक जानकारों का कहना है, जिसे कयास ही कहा जाएगा कि उन पर एनडीए की पहले वाली सरकार में दबाव था कि वो अब भाजपा को मुख्यमंत्री चुनने का मौका दें। नीतीश कुमार किसी भी हाल में मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ना नहीं चाहते हैं, जिसके चलते उन्होंने एक बार फिर नाराज राजद मुखिया को और उनके बेटे को मनाया और एनडीए को झटका देकर उनके साथ मिलकर सरकार बना ली, जिसमें लालू प्रसाद के बेटे तेजस्वी यादव ने उन्हें अपना बड़ा समझते हुए उनकी पार्टी जदयू की खुद से तकरीबन आधी सीटें होते हुए भी उन्हें मुख्यमंत्री बनने का अवसर दिया। लेकिन अंदरखाने ये बात तो थी कि नीतीश पर भाजपा की तरफ से लगातार दबाव बनता रहा कि उन्हें इस पलटी के लिए आगे नतीजे भुगतने पड़ सकते हैं। Bihar Political News
नीतीश पर ये दबाव छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद और बढ़ा और अब तो खबरें यहां तक छन-छन कर आने लगी थीं कि आगे तक के लिए सर्वाइव करने के लिए और सत्ता में बने रहने के लिए उन्हें भारतीय जनता पार्टी के साथ आ जाना चाहिए, और ये दबाव सिर्फ भारतीय जनता पार्टी की तरफ से ही नहीं पड़ रहा था, बल्कि जदयू के सांसदों की तरफ से भी पड़ रहा था। कयास लग रहे हैं कि अगर नीतीश ये पलटी नहीं मारते, तो वो भी उद्धव ठाकरे की तरह कुछ दिन बाद हाथ मल सकते थे। Bihar Political News
ये भी पढ़िए … जीतन राम मांझी के बयान से हिली बिहार की सियासत , सियासी गलियारों का बढ़ा पारा
नीतीश कुमार करीब दो दशक से बिहार के नौ बार मुख्यमंत्री बन चुके हैं। हालांकि इतने कम समय में वो अगर अपना हर कार्यकाल पूरा करते, तो वो सिर्फ चौथी बार मुख्यमंत्री होते। पहली बार वो 3 मार्च 2000 को मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन दुर्भाग्य से महज 7 दिन मुख्यमंत्री रह सके और 10 मार्च 2000 को ही उनकी कुर्सी चली गई और एक बार फिर लालू प्रसाद यादव की पत्नी राबड़ी देवी मुख्यमंत्री पद पर आसीन हुईं, जो बाकी के पूरे कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री रहीं। Bihar Political News
उनके बाद से सिर्फ जीतनराम मांझी एक बार बीच में जरूर मुख्यमंत्री बने हैं, उसके अलावा तब से नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री बनते आ रहे हैं। लेकिन अब कहा जा रहा है कि नीतीश का मुख्यमंत्री बनने का ये आखिरी दौर है, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी ने इस बार न सिर्फ अपने दो उप मुख्यमंत्री बनाए हैं, बल्कि विधानसभा अध्यक्ष भी अपना ही बनाया है। लेकिन वहीं कुछ जानकार ये भी कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नीतीश को अपने साथ लाकर अपने लिए भी मुसीबत खड़ी कर ली है। Bihar Political News
क्योंकि लोग उन्हें सरकारें तोड़कर अपनी सरकार बनाने वाला प्रधानमंत्री कहने लगे हैं, जो कि उनकी छवि के लिए ठीक नहीं है। जाहिर सी बात है, जितनी सरकारों को तोड़ने का रिकार्ड भारतीय जनता पार्टी पर इन दस सालों में लगा है, और वो भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर लगे हैं, उतने आरोप किसी दूसरी पार्टी और प्रधानमंत्री पर नहीं लगे हैं। कयास तो ये भी लग रहे हैं कि नीतीश कुमार को भारतीय जनता पार्टी बहुत जल्द किनारे लगा देगी। लेकिन नीतीश भी छोटे खिलाड़ी नहीं हैं, इसलिए दो महीने के करीब में होने वाले लोकसभा चुनावों के बाद देखना होगा कि कौन किस पर भारी पड़ता है और बिहार की राजनीति में क्या कुछ बदलने वाला है। Bihar Political News
ये भी पढ़िए … नितीश कुमार की हो सकती है घर वापसी, बिहार की राजनीती में चर्चाएं तेज
जदयू के अलग होने के बाद एनडीए की सरकार बिहार में बनते ही राजद की मुश्किलें बढ़ गई हैं। पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और उनके बेटे तेजस्वी यादव, जो अभी टूटी सरकार में उप मुख्यमंत्री भी थे, को अब ईडी, सीबीआई घेरने लगी हैं। वहीं बिहार में अब एक बार फिर फॉरवर्ड बनाम बैकवर्ड की लड़ाई भले ही आगे नहीं बढ़ पाएगी, लेकिन लालू प्रसाद यादव से बड़ा रणनीतिकार इन दिनों बिहार में कोई नहीं है, भले ही वो सत्ता में नहीं हैं। जाहिर सी बात है कि बिहार में अब राजद और कांग्रेस मिलकर खेला करने की कोशिश करेंगी, जिसके लिए उन्हें जनता का समर्थन भी खूब मिल सकता है। Bihar Political News
हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह लोकसभा चुनावों तक नीतीश कुमार के मामले में दखल नहीं देंगे, जिससे लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ज्यादा से ज्यादा सीटें जीत सके। लेकिन लोकसभा चुनावों भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर जदयू के बड़े भाई की ही भूमिका में रहेगी और अगर उसकी लोकसभा में जदयू से ज्यादा सीटें आ गईं, जिसकी संभावना ज्यादा है, तो फिर नीतीश कुमार के लिए साल 2025 में बिहार के विधानसभा चुनावों में खासी मुश्किलें पैदा होंगी। फिलहाल तो सबकी नजरें 2024 के लोकसभा चुनाव पर रहेंगी। Bihar Political News
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)