अमेठी : राज्यसभा चुनाव 2024 में उत्तर प्रदेश की 10 सीटों पर वोटिंग हुई। इसमें समाजवादी पार्टी के 7 विधायकों ने पार्टी लाइन से अलग हटकर बीजेपी उम्मीदवार को वोट दिया। एक साल 4 महीने बाद अखिलेश यादव ने फरवरी 2024 में हुए चुनाव में बगावती तेवर दिखाने वाले 3 विधायकों पर बड़ी कार्रवाई की है। समाजवादी पार्टी ने 3 बागी विधायकों को पार्टी से निकाल दिया है। पार्टी से निकाले गए विधायकों में अमेठी की गौरीगंज सीट से राकेश प्रताप सिंह, रायबरेली की ऊंचाहार सीट से मनोज पांडेय और अयोध्या की गोसाईगंज सीट से अभय सिंह शामिल हैं। तीनों बागी विधायक लंबे समय से बीजेपी के लिए काम कर रहे थे। तीनों विधायक सपा के स्तंभ थे।
समाजवादी पार्टी ने तीनों विधायकों पर गंभीर आरोप लगाते हुए उन्हें पार्टी से निकाल दिया है। समाजवादी पार्टी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा है कि साम्प्रदायिक विभाजनकारी नकारात्मकता तथा समाजवादी सामंजस्यपूर्ण सकारात्मक विचारधारा की राजनीति के विपरीत किसान, महिला, युवा, व्यापारी, नौकरीपेशा और ‘पी.डी.ए. विरोधी’ विचारधारा का समर्थन करने के कारण समाजवादी पार्टी निम्नलिखित विधायकों को जनहित में पार्टी से निष्कासित करती है। इन लोगों को हृदय परिवर्तन के लिए दी गई ‘अनुग्रह अवधि’ की समय सीमा अब पूरी हो चुकी है। अच्छे आचरण के कारण शेष समय सीमा बची है। भविष्य में भी ‘जनविरोधी’ लोगों के लिए पार्टी में कोई स्थान नहीं होगा। पार्टी की मूल विचारधारा के विपरीत गतिविधियां सदैव अक्षम्य मानी जाएंगी। आप जहां भी रहें, भरोसेमंद रहें।
आपको बता दें कि राज्यसभा चुनाव 2024 के दौरान समाजवादी पार्टी के सात विधायकों ने बगावत कर दी थी। राकेश पांडेय, पूजा पाल, विनोद चतुर्वेदी, आशुतोष मौर्य, राकेश प्रताप सिंह, मनोज पांडेय और अभय सिंह ने भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में मतदान किया था। हालांकि, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सिर्फ तीन विधायकों राकेश प्रताप सिंह, मनोज पांडेय और अभय सिंह को पार्टी से निष्कासित किया है, जबकि राकेश पांडेय, पूजा पाल, विनोद चतुर्वेदी और आशुतोष मौर्य को पार्टी में बने रहने का समय दिया है।
कुछ दिन पहले ही समाजवादी पार्टी के तीन बागी विधायकों ने दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। इनमें राकेश सिंह, विनोद चतुर्वेदी और अभय सिंह शामिल थे। हालांकि, पार्टी ने अभी तक विनोद चतुर्वेदी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है। आपको बता दें कि अभी कुछ देर पहले ही गृह मंत्री अमित शाह रायबरेली में सपा के बागी विधायक मनोज पांडेय के घर पहुंचे थे।
समाजवादी पार्टी से निष्कासित किए जाने के कुछ ही घंटों बाद राकेश प्रताप सिंह ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने समाजवादी पार्टी को मिटाने वाली पार्टी बताया। उन्होंने लिखा कि आज समाजवादी पार्टी ओछी राजनीति के चलते सनातन और भगवान श्री राम का अपमान करने से नहीं हिचकिचा रही है। क्या भगवान श्री राम कहना गुनाह है? मेरा जन्म सनातन धर्म में हुआ, जिसमें मैंने जीवन के आदर्श सीखे, सेवा की भावना पाई और सभी जातियों और धर्मों के साथ रहना सीखा। उस धर्म के प्रति मेरी निष्ठा अटूट है। यह वही सनातन धर्म है, जिसके इस देश में 120 करोड़ से भी ज्यादा अनुयायी हैं। जिसकी जड़ें इस देश की संस्कृति, सभ्यता और आत्मा में गहराई से समाई हुई हैं।
एक धर्म विशेष को खुश करने की चाह में सपा बार-बार सनातन पर हमला कर रही है, अभद्र भाषा का प्रयोग कर रही है और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचा रही है। यह वही पार्टी है, जो कभी डॉ. राम मनोहर लोहिया के विचारों की बात करती थी। वही लोहिया जो रामायण मेले के आयोजन की बात करते थे, जो भारतीय संस्कृति, परंपरा और धर्म के लिए समर्पित थे। उनका मानना था कि भगवान श्री राम एक सांस्कृतिक प्रतीक हैं जो पूरे भारतीय समाज को एकता के सूत्र में बांधते हैं। लेकिन आज की समाजवादी पार्टी उस लोहिया के विचारों से पूरी तरह भटक चुकी है। आज वही पार्टी अपने नेताओं को राम मंदिर में भगवान श्री राम के दर्शन करने से रोकती है। यह भटकाव सिर्फ राजनीतिक पतन नहीं है, यह वैचारिक दिवालियापन है। मैं पूछना चाहता हूँ कि क्या अपने धर्म, अपने भगवान के लिए बोलना गुनाह है?
अगर ये बगावत है तो हाँ! मैं बागी हूँ! मैं हर उस विचारधारा के खिलाफ बगावत करता रहूँगा जो सनातन धर्म का अपमान करेगी। अखिलेश यादव ‘पीडीए’ की बात करते हैं। पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक! तो क्या ये वही सरकार नहीं थी जिसने दलित महापुरुषों के नाम पर स्थापित कई जिलों के नाम बदलकर अपनी दलित विरोधी मानसिकता को उजागर किया था? हमारे जिले छत्रपति शाहू जी महाराज नगर का नाम बदलकर फिर से अमेठी करना सिर्फ़ नाम बदलना नहीं था, बल्कि उन महापुरुषों और दलित समाज के सम्मान का अपमान था।
हकीकत ये है कि ये न पिछड़ों के साथ हैं, न दलितों के साथ। इनका झूठा प्रेम सिर्फ़ वोट बैंक की राजनीति है। ये सिर्फ़ और सिर्फ़ सनातन विरोधियों के साथ हैं। यही इनकी असली पहचान है। समाजवादी पार्टी अब नीतिमवादी पार्टी बन गई है। जो न विचारधारा में स्थिर है, न आचरण में। धर्म, ईश्वर और हमारे धर्मग्रंथों से ऊपर कोई नहीं है। जब कोई उनका अपमान करेगा तो मेरा चुप रहना भी पाप होगा। मैं सनातन का सिपाही हूँ और जब सनातन खतरे में होगा तो मैं चुप नहीं रह सकता। मैं बोलूँगा, चुनौती दूँगा और अंत तक धर्म की रक्षा के लिए खड़ा रहूँगा।