मेरठ में 35 साल पुराने एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स पर बुलडोज़र चला और 22 दुकानें ध्वस्त कर दीं। दुकानदारों ने कहा, “सब कुछ खत्म हो गया।”

Buldozer Action In Meerut

मेरठ : शास्त्री नगर स्थित 35 साल पुराने सेंट्रल मार्केट पर आज बुलडोज़र चला। 22 दुकानें ध्वस्त कर दी गईं। आवास विकास परिषद, पुलिस और प्रशासन की टीमों ने पोकलेन मशीन से यह कार्रवाई की। इस शॉपिंग कॉम्प्लेक्स ने 150 लोगों को रोज़गार दिया था। कई दुकानदार इसे अपनी आँखों के सामने ढहते देखकर स्तब्ध रह गए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस अवैध कॉम्प्लेक्स को ध्वस्त कर दिया गया। पुलिस मौके पर मौजूद थी और इस कार्रवाई को देखने के लिए भीड़ जमा हो गई। शॉपिंग कॉम्प्लेक्स को बुलडोज़र से ध्वस्त कर दिया गया।

Buldozer Action In Meerut

सुप्रीम कोर्ट ने 10 महीने पहले आवास विकास परिषद को इस अवैध शॉपिंग कॉम्प्लेक्स को ध्वस्त करने का आदेश दिया था। शनिवार सुबह आदेश का पालन कराने के लिए टीमें पहुँचीं। हालाँकि, आज मार्केट पहले से ही बंद था। पुलिस ने पूरे इलाके में बैरिकेडिंग कर दी थी, जिससे लोगों का प्रवेश बंद हो गया था। मेरठ आवास विकास परिषद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजीव कुमार ने बताया कि यह कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर की गई।

यह कॉम्प्लेक्स 1990 में बना था। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए भारी पुलिस बल मौजूद था। कई थानों की पुलिस बल मौके पर तैनात थी। पीएसी भी तैनात थी। यह कॉम्प्लेक्स रिहायशी इलाके में बना था। यह 35 साल पुराना था। यह 288 वर्ग मीटर में फैला था और इसमें 22 दुकानें थीं। यह ज़मीन काजीपुर गाँव के वीर सिंह को आवास के लिए आवंटित की गई थी। इसके बाद, 1990 में एक व्यक्ति ने अपनी पावर ऑफ अटॉर्नी का इस्तेमाल करके वहाँ अवैध रूप से एक कॉम्प्लेक्स का निर्माण कर लिया।

Buldozer Action In Meerut

इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुँचा और दुकानदार भी कोर्ट गए। 17 दिसंबर, 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने आवास विकास परिषद को तीन महीने के भीतर कॉम्प्लेक्स खाली करके ध्वस्त करने का आदेश दिया। इस कार्रवाई से दुकानदार निराश हो गए, कुछ तो रोने भी लगे। मीनू गुप्ता इसी कॉम्प्लेक्स में साड़ी की दुकान चलाती थीं। उन्होंने बताया कि पिछले 10 महीनों से उनका पूरा परिवार इस समस्या से बचने की हर संभव कोशिश कर रहा था। वे जुर्माना भरने को भी तैयार थे, लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिली। वे सुप्रीम कोर्ट भी गए और काफी पैसा खर्च किया।

मीनू ने आगे बताया कि वह चाहती थीं कि सरकार इस मामले को सुलझाए और इस दुकान से होने वाली सारी कमाई वापस ले। परिवार का खर्च इसी दुकान पर निर्भर है। बच्चे छोटे हैं। अब रोजी-रोटी का संकट है। उन्होंने सरकार से भी मदद मांगी, लेकिन कुछ नहीं हुआ। हम सुप्रीम कोर्ट में केस हार गए। आज अपनी आँखों के सामने दुकान को तहस-नहस होते देखना बहुत दुखद है। उन्होंने सामान तो हटा दिया, लेकिन फ़र्नीचर छोड़ दिया, जिसे हटाया नहीं जा सका। मीनू के बेटे साहिल ने कहा कि उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि उन्हें यह दिन देखना पड़ेगा। इस परिसर में लगभग 150 लोग भी काम करते थे। सभी संकट से जूझ रहे हैं। मैं अभी स्नातक की पढ़ाई कर रही हूँ। इस कार्रवाई से मुझे बहुत दुख हुआ है। सब कुछ अस्त-व्यस्त हो गया है। Buldozer Action In Meerut

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