सहारनपुर : डिपार्टमेंट बैन कफ सिरप बनाने और सप्लाई करने वालों के ठिकानों पर छापेमारी कर रहा है। ED के अधिकारी सहारनपुर के सदर बाजार थाना इलाके के शास्त्री नगर और कपिल विहार में घरों की जांच कर रहे हैं। कोडीन कफ सिरप केस में एबॉट हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड के मालिक, श्री राम सेना के प्रेसिडेंट और ड्रग सप्लायर विभोर राणा के ठिकानों पर छापेमारी की गई। विभोर राणा और उसके भाई विशाल राणा को 12 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था। ED के लखनऊ जोनल ऑफिस के निर्देश पर यह छापेमारी की जा रही है। ED समेत कई जांच एजेंसियां जांच में शामिल हैं।
सहारनपुर के शास्त्री नगर के रहने वाले विभोर राणा B.N. Pharmaceuticals नाम की एक फार्मा कंपनी चलाते हैं। आरोप है कि विभोर राणा बैन दवाएं और कफ सिरप बनाता और सप्लाई करता था। हाल ही में बैन कफ सिरप कोडीन से हज़ारों बच्चों की सेहत पर बुरा असर पड़ा था, जिसके बाद हेल्थ डिपार्टमेंट और जांच एजेंसियों ने पूरे देश में कोडीन सिरप बनाने और बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई की। 12 नवंबर को जाने-माने बिजनेसमैन विभोर राणा और उनके भाई को गिरफ्तार किया गया। शुक्रवार सुबह ED की टीम सहारनपुर पहुंची, जहां ED के अधिकारियों ने कई जगहों पर एक साथ छापेमारी की। अधिकारी, फोर्स के साथ, सुबह 8 बजे से विभोर राणा के घर और ऑफिस की तलाशी ले रहे हैं। इस दौरान किसी को भी अंदर या बाहर जाने नहीं दिया जा रहा है।
ED की टीम कोडीन सिरप स्मगलिंग केस की जांच के लिए शुक्रवार सुबह से सहारनपुर में डेरा डाले हुए है। उन्होंने विशाल और विभोर राणा के ठिकानों की तलाशी ली। जांच अधिकारी अभी मौके पर हैं और डॉक्यूमेंट्स की जांच कर रहे हैं। दोनों के दो करीबी साथी, अभिषेक शर्मा और उसके भाई शुभम शर्मा को लखनऊ के आलमबाग इलाके से गिरफ्तार किया गया। उनके पास से दो मोबाइल फोन और फर्जी फर्मों से जुड़े कई जरूरी डॉक्यूमेंट्स बरामद हुए। उनसे पूछताछ की जा रही है।
आरोप है कि कफ सिरप की गैर-कानूनी सप्लाई फर्जी फर्मों के जरिए की जाती थी। अभिषेक और शुभम नई दिल्ली में एबॉट के सुपर डिस्ट्रीब्यूटर हैं। सहारनपुर के विशाल और विभोर राणा लंबे समय से कफ सिरप तस्करी के सिंडिकेट में शामिल हैं। अभिषेक 2019 से सहारनपुर में विशाल और विभोर राणा की फार्मास्यूटिकल फर्म GR ट्रेडिंग में काम कर रहा था। शुरुआत में वह लोडिंग और अनलोडिंग का काम करता था, लेकिन बाद में इस गैर-कानूनी धंधे में एक्टिव हो गया।
STF सूत्रों के मुताबिक, अभिषेक और शुभम ने एबॉट से फेंसिडिल कफ सिरप खरीदा, फर्जी फर्मों के जरिए खरीद और बिक्री रजिस्टर की और फिर सिरप को ड्रग तस्करों को सप्लाई किया। गिरफ्तार आरोपियों ने खुलासा किया कि सिरप को फिर बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के रास्ते बांग्लादेश भेजा जाता था। STF जांच में चार्टर्ड अकाउंटेंट अरुण सिंघल का नाम भी सामने आया है, जिसने इस गैर-कानूनी सिंडिकेट को फर्जी फर्म खोलने और डॉक्यूमेंट तैयार करने में मदद की। अरुण सिंघल ने बिट्टू और उसके भाई सचिन के नाम पर भी फर्म खोलीं, जो विशाल और विभोर राणा के लिए काम करते थे और उनका इस्तेमाल गैर-कानूनी खरीद और बिक्री के लिए करते थे।
STF की इस कार्रवाई के बाद विभोर राणा और विशाल राणा की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। टीम अब उनके उन सभी साथियों की पहचान कर रही है जो 2019 से उनके संपर्क में थे और इस तस्करी से होने वाली कमाई को सफेद करने में शामिल थे। कफ सिरप तस्करी सिंडिकेट में नए खुलासे यह साफ कर रहे हैं कि यह नेटवर्क सिर्फ सहारनपुर तक ही सीमित नहीं था, बल्कि कई राज्यों में फैला हुआ था। STF अब पूरे गैंग की फाइनेंशियल एक्टिविटी और कनेक्शन की गहराई से जांच कर रही है।
12 साजिशकर्ताओं की लिस्ट जारी
बुधवार को SIT ने सिंडिकेट की अपनी जांच रिपोर्ट में कुल 12 साजिशकर्ताओं के नाम जारी किए। 1. विभोर राणा
2. सौरभ त्यागी
3. विशाल राणा
4. पप्पन यादव
5. शादाब
6. मनोहर जायसवाल
7. अभिषेक शर्मा
8. विशाल उपाध्याय
9. भोला प्रसाद
10. शुभम जायसवाल
11. आकाश पाठक
12. विनोद अग्रवाल

