बिहार : बिहार की राजनीति एक अहम मोड़ पर है। महागठबंधन अब तेजस्वी यादव को औपचारिक रूप से अपना मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने के बेहद करीब है। यह कदम आगामी विधानसभा चुनाव से पहले पूरे समीकरण बदल सकता है। गठबंधन की मुख्य पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल (राजद), तेजस्वी के नेतृत्व में पूरी तरह एकजुट है और उनके नेतृत्व में लगभग 135-140 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है।
लेकिन इस समय गठबंधन की सबसे बड़ी चुनौती सीटों का बंटवारा है। कांग्रेस अब तक तेजस्वी की उम्मीदवारी का सार्वजनिक रूप से समर्थन करने से बचती रही है, क्योंकि सीटों के बंटवारे पर सहमति नहीं बन पाई है। इस खींचतान ने एक बार फिर राजद-कांग्रेस के रिश्तों में दरार को उजागर कर दिया है।
पाँच प्रमुख सीटों पर चुनाव होना है: बैसी, बहादुरगंज, रानीगंज, कहलगाँव और सहरसा, जिन पर दोनों दल अपना दावा करते हैं। बातचीत जारी है, लेकिन यह खींचतान गठबंधन की एकजुटता पर सवाल उठा रही है।
हालांकि, तेजस्वी नेतृत्व को लेकर किसी भी तरह के भ्रम से इनकार करते हैं। उनका दावा है कि महागठबंधन का चेहरा तय हो चुका है, बस घोषणा बाकी है। दरअसल, उनका आत्मविश्वास न केवल राजद के प्रभुत्व को दर्शाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि अब वे प्रतीकात्मक नेता नहीं, बल्कि सत्ता के असली केंद्र हैं।
दूसरी ओर, कांग्रेस इंडिया ब्लॉक स्तर पर आम सहमति बनाने की कोशिश में सतर्कता बरत रही है। राज्य में अपने घटते जनाधार को देखते हुए, वह बातचीत की स्थिति बनाए रखना चाहती है। राजनीतिक समीकरण स्पष्ट है: एनडीए को चुनौती देने के लिए विपक्ष को एकजुट दिखना होगा। हालाँकि, अगर सीटों और नेतृत्व को लेकर यह दरार गहरी होती है, तो चुनाव से पहले ही महागठबंधन की लड़ाई कमजोर पड़ सकती है।