सहारनपुर : आचार्य धीरेंद्र शास्त्री कोलकाता में अपना कार्यक्रम रद्द होने से खासे नाराज हैं। इसके बाद धीरेंद्र शास्त्री ने न सिर्फ बंगाल सरकार पर अपना गुस्सा उतारा है, बल्कि एक विवादित बयान देकर नई बहस भी छेड़ दी है। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी के मुख्यमंत्री रहते वह पश्चिम बंगाल में कथा नहीं करेंगे। हिंदुओं को माला की जगह भाला लेकर चलना होगा। वह संभल से पदयात्रा शुरू करेंगे और सनातन धर्म का विरोध करने वालों को या तो देश से निकाल देंगे या वापस लाएंगे। धीरेंद्र शास्त्री के बयान पर इस्लामी धर्मगुरुओं ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उलेमाओं ने धीरेंद्र शास्त्री के बयान को देशद्रोही बताते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। उलेमाओं का कहना है कि अगर किसी मुस्लिम धर्मगुरु ने ऐसा बयान दिया होता तो हंगामा मच जाता और उनके खिलाफ कार्रवाई होती।
बागेश्वर धाम के मुख्य पुजारी पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कोलकाता में कथा कार्यक्रम को लेकर एक अहम बयान दिया है। उन्होंने कहा कि जब तक ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री रहेंगी, वे पश्चिम बंगाल में कथा नहीं करेंगे। शास्त्री ने बताया कि उनका पश्चिम बंगाल में एक कार्यक्रम तय था, लेकिन अनुमति रद्द कर दी गई। उन्होंने कहा, “हमें पश्चिम बंगाल जाना था, लेकिन दीदी ने हमें मना कर दिया। अनुमति रद्द कर दी गई है। अब, जब तक दीदी वहाँ हैं, हम नहीं जाएँगे। अगर दादा आएँगे, तो हम ज़रूर जाएँगे।”
बागेश्वर धाम के आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने “आई लव मोहम्मद-महादेव” विवाद पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा, “‘आई लव मोहम्मद’ कहने में कोई बुराई नहीं है। ‘आई लव महादेव’ कहने में भी कोई बुराई नहीं होनी चाहिए। लेकिन अगर आप ‘सिर और धड़ अलग हैं’ का नारा लगाते हैं, तो कानून आपको या हिंदुओं को नहीं बख्शेगा।” उन्होंने यह भी कहा कि होली-राम जुलूसों के दौरान पथराव एक चलन बन गया है, इसलिए हिंदुओं को अब माला और भाले लेकर चलना चाहिए। संभल से पदयात्रा शुरू करने की बात करते हुए उन्होंने कहा कि हिंदू विरोधियों को या तो देश निकाला दिया जाएगा या वापस घर भेज दिया जाएगा।
उनके बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए मौलाना साजिद रशीद ने कहा, “धीरेंद्र शास्त्री हिंदू हैं। वह हिंदू राष्ट्र, माला और भालों की बात करते हैं। वह चाकुओं की भी बात करते हैं। चाकुओं की धार तेज़ रखो, काटने के काम आएंगे। वह तो यहाँ तक कहते हैं, ‘जो भी तुम्हारे घर आए उसे मार डालो।’ अगर मैं यही बयान दूँ कि मुसलमानों को माला और तलवारें रखनी चाहिए, तो मुझ पर मुकदमा चलाया जाएगा। मुझे देशद्रोही कहा जाएगा। मुझ पर एक समुदाय को भड़काने का आरोप लगाया जाएगा। सवाल यह है कि बाबा बागेश्वर या किसी भी धर्मगुरु को ऐसी बातें कहने की इजाज़त क्यों है? उनके खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की जाती?”
उन्होंने कहा, “बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री पर कार्रवाई होनी चाहिए। वह लगातार नफ़रत फैलाने वाले व्यक्ति हैं। अब वह कह रहे हैं कि हम कार्रवाई करेंगे और संभल में एक यात्रा निकालेंगे। हम या तो देशद्रोहियों को देश से निकाल देंगे या उन्हें वापस लाकर देश निकाला देंगे। आप कौन होते हैं, उन्हें देश निकाला दे रहे हैं? आप सरकार हैं या देश के मुख्य न्यायाधीश? आपको उन्हें देश निकाला देने का अधिकार किसने दिया? इस तरह की बातें देश में नफ़रत फैला रही हैं। आप संभल में यात्रा क्यों निकाल रहे हैं? मेरे घर सहारनपुर आइए। या दिल्ली आइए। ये बेबुनियाद बातें देश में नफ़रत फैला रही हैं। मैं इनकी निंदा करता हूँ।”
मौलाना कारी इसहाक गोरा ने कहा, “धीरेंद्र शास्त्री धर्मगुरु बनकर घूम रहे हैं। वह किसी को दीदी और किसी को दादा कह रहे हैं। उनका रिश्ता क्या है, यह तो वही जानते होंगे।” मेरा मानना है कि वहाँ का प्रशासन ही उन्हें अनुमति न देने की असली वजह बता सकता है, या वह खुद ही बता सकते हैं। मैं जानता हूँ कि धीरेंद्र शास्त्री एक धर्मगुरु के वेश में हैं, लेकिन उनकी बातें कहीं न कहीं राजनीतिक हैं। ऐसा लगता है जैसे वे किसी राजनीतिक एजेंडे के तहत काम कर रहे हैं। एक धर्मगुरु को राजनीति में आकर ऐसी बातें नहीं कहनी चाहिए। एक धर्मगुरु सिर्फ़ धर्म की बात करता है।”
माला और भाला के सवाल पर उन्होंने कहा, “देखिए, यह भी एक बहुत ही राजनीतिक नफ़रत भरा भाषण है। पत्थरबाज़ी कहाँ हो रही है? मेरा मतलब है, आप किस धर्म की बात कर रहे हैं? यह कोई धार्मिक मामला नहीं हो सकता; एक धर्मगुरु ऐसी बातें नहीं कर सकता। एक धर्मगुरु लोगों को सुधारने की बात करता है। वह लोगों के अंदर की बुराइयों को खत्म करने की बात करता है। ये सब बातें उसके ज़बरदस्त राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा लगती हैं।” निर्वासन के सवाल पर क़ारी इसहाक गोरा ने कहा, “एक धर्मगुरु ऐसी बातें नहीं कह सकता। लेकिन यह धीरेंद्र शास्त्री हैं। हालाँकि, ये बातें किसी राजनीतिक दल के एजेंडे के तहत कही जा रही हैं। धीरेंद्र शास्त्री को अपनी सफाई देनी चाहिए।”