आपको बता दें कि गुरुवार सुबह भीम आर्मी के संस्थापक और नगीना सांसद चंद्रशेखर आज़ाद बरेली कूच करने की तैयारी में थे। देर रात ज़िला प्रशासन को इसकी भनक लग गई। कई थानों की पुलिस छुटमलपुर कस्बे में पहुँची और सांसद चंद्रशेखर आज़ाद के आवास को घेर लिया। पुलिस ने नगीना सांसद को बरेली रवाना होने से पहले ही नज़रबंद कर दिया। सुबह होते-होते पुलिस की तैनाती बढ़ा दी गई और इलाके में बैरिकेडिंग कर दी गई। चंद्रशेखर ने कई बार घर से निकलने की कोशिश की, लेकिन भारी पुलिस बल की मौजूदगी के कारण वे नाकाम रहे।नज़रबंद होने के बाद मीडिया से मुखातिब होते हुए सांसद चंद्रशेखर ने योगी सरकार पर निशाना साधा और कहा कि लोग मस्जिद तक नहीं जा पा रहे हैं। “अगर बरेली में मेरे मुसलमान भाइयों के साथ कुछ ग़लत नहीं हुआ है? अगर उनके साथ कोई अन्याय नहीं हो रहा है? तो फिर योगी सरकार पुलिस बल का इस्तेमाल करके मुझे वहाँ जाने से क्यों रोकना चाहती है?” सांसद चंद्रशेखर के मुताबिक़, वह बरेली की घटना की समीक्षा करने और पीड़ितों से मिलने जा रहे थे। लेकिन पुलिस ने सुरक्षा कारणों का हवाला देकर उन्हें रोक दिया, जिससे उनके समर्थकों में रोष है। उन्होंने कहा, “योगी सरकार और प्रशासन सच को सामने आने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं। यह लोकतांत्रिक अधिकारों का सीधा उल्लंघन है।”
चंद्रशेखर ने कहा कि पीड़ितों की आवाज़ दबाने और समाज के अधिकारों की लड़ाई को कुचलने की कोशिश किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। हम न्याय की लड़ाई जारी रखेंगे और हमेशा समाज के साथ खड़े रहेंगे। चंद्रशेखर ने योगी सरकार से सवाल किया, “सरकार पुलिस का इस्तेमाल करके हमें क्यों रोकना चाहती है?” उन्होंने आगे कहा, “सेना आपकी है, नेता आपके हैं। झूठ को सच लिख सकते हैं, अखबार आपका है। इस दौर के फरियादी कहाँ जाएँ? कानून आपका है, अदालत आपकी है। आप सूरज की तपिश बर्दाश्त नहीं कर सकते, आपका चरित्र मोम के पुतले जैसा है। लोकतंत्र को कुचलने के लिए पुलिस का इस्तेमाल करने वाले तानाशाहों की बात सुनिए। अगर ये तानाशाह हम पर नज़र रखने पर अड़े हैं, तो हम भी इस बहुजन समाज को न्याय दिलाने के लिए दृढ़ हैं।”
अपने बरेली दौरे के बारे में चंद्रशेखर ने कहा, “26 तारीख को एक शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के दौरान स्थिति अराजक हो गई। कोई भी घटना अचानक नहीं होती। इसके पीछे एक योजना होती है। अब, वह योजना आरोपियों की हो सकती है या आरोप लगाने वालों की। निष्पक्ष जाँच होनी चाहिए। बिना जाँच के कोई भी कार्रवाई उचित नहीं है। इस घटना के बाद बरेली में 82 से ज़्यादा लोग जेल में हैं और उनके ख़िलाफ़ 2,000 मुक़दमे दर्ज किए गए हैं। लोग मस्जिदों में नहीं जा पा रहे हैं, नमाज़ नहीं पढ़ पा रहे हैं, न ही अपने धार्मिक विश्वासों का पालन कर पा रहे हैं। वे अपने अधिकारों का प्रयोग नहीं कर पा रहे हैं। कई घरों में ताले लगे हैं और बुलडोज़र चलाए जा रहे हैं। मुझे नहीं लगता कि शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के बाद कहीं और इतनी कठोर कार्रवाई की गई है। अभी तो ऐसा लग रहा है कि आरोपी पूरी तरह से फंस गए हैं।”
