नैनीताल : उत्तराखंड हाईकोर्ट ने विधानसभा सचिवालय में अवैधानिक तरीके से की गई नियुक्तियों के खिलाफ दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की। मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने 21 जुलाई की तिथि तय की है। वहीं आज याचिकाकर्ता अभिनव थापर और बैजनाथ की ओर से कहा गया कि इस मामले की कई बार सुनवाई हो चुकी है। राज्य सरकार ने हटाए गए कर्मचारियों से वसूली भी शुरू कर दी है। इसलिए मामले की जल्द सुनवाई होनी चाहिए। जिस पर कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 21 जुलाई की तिथि तय की।
आपको बता दें कि देहरादून निवासी अभिनव थापर ने इस मामले में जनहित याचिका दायर की है। जनहित याचिका में उन्होंने विधानसभा सचिवालय में पिछले दरवाजे से की गई भर्तियों, भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को चुनौती दी है। उन्होंने जनहित याचिका में कहा है कि विधानसभा ने जांच कमेटी बनाकर वर्ष 2016 के बाद विधानसभा सचिवालय में की गई भर्तियों को रद्द कर दिया है, जबकि उससे पहले की नियुक्तियों को नहीं। सचिवालय में यह घोटाला वर्ष 2000 में राज्य गठन के बाद से ही हो रहा है, जिसे सरकार ने नजरअंदाज किया है।
जनहित याचिका में कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि विधानसभा भर्तियों में भ्रष्टाचार के जरिए नौकरी पाने वाले ताकतवर लोगों के खिलाफ हाईकोर्ट के सिटिंग जज की निगरानी में जांच कराई जाए, उनसे सरकारी धन की रिकवरी की जाए और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। तदर्थ नियुक्तियों पर रोक लगाने वाला 6 फरवरी 2003 का सरकारी आदेश संविधान के अनुच्छेद 14, 16 और 187 का उल्लंघन है, जिसमें हर नागरिक को समान अधिकार और नियमानुसार सरकारी नौकरियों में भर्ती का प्रावधान है। साथ ही यह उत्तर प्रदेश विधानसभा की 1974 की सेवा नियमावली और उत्तराखंड विधानसभा की 2011 की नियमावली का भी उल्लंघन करता है।
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