देवबंद : जमीयत उलमा-ए-हिंद ने पहलगाम में हुए कायराना आतंकवादी हमले की न सिर्फ निंदा की है बल्कि मृतकों के परिवारों के दुख भी व्यक्त किया है। जमीयत अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की दुआ की है। मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि कश्मीर में कड़ी निगरानी के बावजूद आतंकवादी हत्या और लूटपाट करके भाग निकले। प्रशासन की विफलता के कारण शांति व्यवस्था को आग लगाने की कोशिश करने वाली ताकतें अपने नापाक इरादों में सफल हो गई हैं।

उन्होंने कहा कि आंतकी हमले को धर्म से ना जोड़ा जाए। आतंकी और दहशतगर्दों का कोई धर्म नहीं होता। जमीयत उलमा-ए-हिंद विशेष रूप से धर्म के आधार पर आपराधिक कार्रवाइयों को देश और देश की शांति के लिए विनाश का कारण मानती है। आतंकवादियों के इस जघन्य कृत्य को लेकर जहां काफी चिंता है, वहीं आम कश्मीरी भी इस आतंकवादी कृत्य के खिलाफ अपनी नफरत और घृणा का इजहार कर रहे हैं। मस्जिदों से ऐसे कृत्यों के खिलाफ घृणा का ऐलान यह दर्शाता है कि कश्मीर का आम मुसलमान कश्मीर में शांति को बढ़ावा देना चाहता है और उसके दिल में धर्म से ऊपर उठकर भाईचारे और सहानुभूति की भावना मजबूत और जिंदा है। यह बात दर्शाती है कि कश्मीरी शांति बनाए रखने में सरकार का पूरा साथ देंगे।
जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि 26 निर्दोष पर्यटकों की नृशंस हत्या एक अमानवीय कृत्य है जिसे किसी भी धर्म से नहीं जोड़ा जा सकता। जो लोग इसे इस्लाम से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं वे इस्लाम की सच्ची शिक्षाओं से अनभिज्ञ हैं। इस्लाम में किसी निर्दोष व्यक्ति की अकारण हत्या को पूरी मानवता की हत्या माना जाता है। मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि जमीयत उलमा-ए-हिंद प्रभावित परिवारों के दुख में बराबर की भागीदार है और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करती है। इस अवसर पर जमीयत उलमा-ए-हिंद सभी नागरिकों से अपील करती है कि वे हर परिस्थिति में शांति, भाईचारा और सहिष्णुता बनाए रखें। ऐसी घटनाओं का उद्देश्य केवल भय, नफरत और सांप्रदायिकता को बढ़ावा देना है, जिसे रोकने के लिए हमें एकजुट होना होगा।
नोट: अगर आपको यह खबर पसंद आई तो इसे शेयर करना न भूलें, देश-विदेश से जुड़ी ताजा अपडेट पाने के लिए कृपया News 14 Today के Facebook पेज को Like व Twitter पर Follow करना न भूलें...