मूल रूप से गोपाल नगर नुमाइश कैंप निवासी राहुल झांब एसी मैकेनिक हैं जो संयुक्त परिवार में रहते हैं। राहुल के मुताबिक कोरोना काल में उनके पिता अशोक कुमार अस्पताल में भर्ती थे, उनकी किडनी खराब थी। उस दौरान उन्हें अपने पिता के साथ तीन-चार महीने अस्पताल में रहना पड़ा। फिर उन्होंने वहां के हालात देखे। कोई एक-दूसरे की मदद करने वाला नहीं था। इसी दौरान उनके पिता का निधन हो गया।
जब वह अपने पिता का शव लेकर श्मशान घाट पहुंचे तो देखा कि वहां कई शव ऐसे थे, जिनका अंतिम संस्कार करने वाला कोई नहीं था। इसके बाद उन्होंने लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने का निर्णय लिया। इसके लिए शुरुआत में उन्होंने अपने परिचितों और दोस्तों आदि के माध्यम से इसका प्रचार-प्रसार किया। मानवता के इस कार्य को देखकर अमित गुप्ता, संचित अरोड़ा, पार्षद अमित त्यागी और गौरव कक्कड़ समेत कई अन्य लोग उनके साथ जुड़ गए। कोरोना के दौरान 189 शवों का अंतिम संस्कार किया गया। Saharanpur News