अयोध्या : एक व्यक्ति का न तो शव मिला और ना ही अंतिम संस्कार हुआ। बावजूद इसके एक पत्नी ने अदालत में पति को मृत घषित करने की मांग कर दी। इतना ही नहीं पत्नी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने भी अपना फैसला सुना दिया। जब कोर्ट ने महिला के पति के मृत होने की घोषणा की तो पूरा परिवार चीख उठा। आखिर कौन चाहेगा कि उसका बेटा, भाई या पति मृत घोषित हो जाए? पत्नी और परिवार की ऐसी मज़बूरी जानने के लिए पढ़िए पूरी कहानी…..
आपको बता दें कि शनिवार को यूपी के अयोध्या में कोर्ट ने एक युवक को आधिकारिक रूप से मृत घोषित करना पड़ा। अदालत ने युवक की पत्नी की याचिका पर यह अजीबो-गरीब फैसला सुनाया है। जब कोर्ट ने फैसला सुनाया तो पत्नी समेत सारे परिजनों की आंखें नम हो गईं। यह फैसला सिविल जज जूनियर डिवीजन (हवेली) अभिषेक यादव ने सुनाया।
मजबूर पत्नी की ओर से कोर्ट में अर्जी पेश की गई। जिसमें बताया गया कि अयोध्या जिले के उसरू अमौना गांव निवासी संतोष कुमार पांडेय वर्ष 1998 से बीमार थे। वर्ष 2004 में इलाज के दौरान वह लापता हो गए थे। लापता संतोष पांडेय की पत्नी निर्मला देवी ने उनकी काफी तलाश की। लेकिन, 20 साल तक संतोष का कोई सुराग नहीं लगा। जिसके चलते बेबश पत्नी ने सिविल कोर्ट का सहारा लेना पड़ा।
दरसअल पति के लापता होने के बाद मजबूर पत्नी पति के नाम खतौनी को उत्तराधिकार के आधार पर वारिसों के नाम दर्ज कराने के लिए राजस्व विभाग के चक्कर लगाते-लगाते थक गई। 22 अप्रैल 2023 को पूरा कलंदर थाने में पति के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज कराई। कोई अन्य विकल्प न होने पर पत्नी ने सिविल कोर्ट का सहारा लिया।
साक्ष्यों और गवाहों के बयानों के आधार पर फैसला उसने कोर्ट से पति की सिविल मृत्यु घोषित करने की गुहार लगाई। कोर्ट ने पत्रावली पर मौजूद साक्ष्यों और गवाहों के बयानों के आधार पर संतोष कुमार पांडेय पुत्र दूधनाथ की मृत्यु को विधिक मृत्यु घोषित करने का आदेश पारित किया।
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