हरियाणा में लिंगानुपात में हुआ बड़ा सुधार

चंडीगढ़, 17 फरवरी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा साल 2015 में पानीपत से शुरू किए गए राष्ट्रव्यापी अभियान को हरियाणा ने सरकारी प्रयासों के साथ-साथ सामाजिक संगठनों व खाप पंचायतों के सहयोग से सफल बनाया है, जिसके फलस्वरूप प्रदेश का लिंगानुपात सुधरकर 1000 लडक़ों के पीछे 916 लड़कियों का दर्ज किया गया है।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की एसीएस डॉ. जी. अनुपमा ने चंडीगढ़ में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (बी3पी) पर राज्य स्तरीय हितधारकों की बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में महिला एवं बाल विकास विभाग, हरियाणा की आयुक्त एवं सचिव अमनीत पी. कुमार भी मौजूद थी।

बैठक में बताया गया कि प्रधानमंत्री द्वारा पानीपत, हरियाणा से इस आदर्श वाक्य के साथ लॉन्च किया गया था हमें लड़कियों को मारने का अधिकार नहीं है और हमारा मंत्र बेटा बेटी एक समान होना चाहिए, जिसको हरियाणा ने सफल किया है।

डॉ. जी. अनुपमा ने कहा कि वर्तमान में जन्म के समय लिंगानुपात (एसआरबी) 916 है और हमने हरियाणा में बी3पी कार्यक्रम शुरू होने के बाद से 52,000 से अधिक लड़कियों को बचाया है। पांच जिले एसआरबी-2023 900 से नीचे हैं यानी रोहतक (883) नारनौल (887), सोनीपत (894), चरखी दादरी (897) और रेवाड़ी (897)।  हरियाणा में बी3पी कार्यक्रम को मजबूत करने के लिए डब्ल्यूसीडी, एनएचएम और शिक्षा विभाग मिलकर काम करेंगे और नियमित आधार पर निगरानी करेंगे। पीसी-पीएनडीटी (प्री नेटल डायग्नोस्टिक)/एमटीपी (गर्भ का चिकित्सीय समापन) अधिनियम का कार्यान्वयन।  पीसी-पीएनडीटी/एमटीपी अधिनियम पर पुलिस/अभियोजन/स्वास्थ्य अधिकारियों का नियमित संवेदीकरण।  एमटीपी किट की ऑनलाइन और ओटीसी (ओवर द काउंटर) बिक्री पर अंकुश लगाना।  अवैध एमटीपी/एमटीपी किटों के दुरुपयोग को रोकने के लिए सभी अनुमोदित एमटीपी केंद्रों का ऑडिट किया जाना आवश्यक है।  राज्य मुख्यालय नियमित आधार पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सभी जिलों के साथ मासिक बैठक आयोजित करेगा।

डॉ. जी. अनुपमा ने बताया कि जिला टास्क फोर्स की बैठक हर महीने नियमित आधार पर होगी। जिला स्तर से लेकर ग्राम स्तर तक निगरानी व्यवस्था को मजबूत किया जाए।  जन्म के समय पर पंजीकरण के संबंध में सिविल सर्जन भारतीय चिकित्सा संघों (आईएमए) के साथ बैठकें करेंगे।

महिला एवं बाल विकास विभाग, हरियाणा की आयुक्त एवं सचिव अमनीत पी. कुमार ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा, फील्ड स्टाफ का क्षमता निर्माण नियमित आधार पर किया जाना चाहिए ताकि वे पीसी पीएनडीटी/एमटीपी अधिनियम के बारे में आम जनता को जागरूक कर सकें। पीसी पीएनडीटी/एमटीपी अधिनियम के संबंध में राज्य स्तर पर प्रशिक्षण/अभिमुखीकरण आयोजित किया जाएगा और कैस्केड मॉडल में जिलों में दोहराया जाएगा।  बी3पी अभियान में पहले बेटी को बचाना है और फिर पढ़ाना है।  स्वास्थ्य विभाग प्रत्येक गर्भावस्था का शीघ्र पंजीकरण सुनिश्चित करेगा। पीसी पीएनडीटी/एमटीपी अधिनियम और हमारे समाज पर इसके प्रभाव के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए आशा (मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता) कार्यकर्ता द्वारा गांवों में छोटे समूहों में फोकस समूह चर्चा आयोजित की जाएगी।  हरियाणा राज्य में पीसी पीएनडीटी/एमटीपी अधिनियम का अनुपालन समग्रता से किया जाएगा।

इस अवसर पर महानिदेशक स्वास्थ्य सेवाएं, डॉ. आर.एस.पूनिया, डॉ. उषा गुप्ता, सलाहकार बी3पी, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के निदेशक, डॉ. कुलदीप कुमार, महिला एवं बाल विकास विभाग की निदेशक, सुश्री मोनिका मलिक के अलावा अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे।

नोट: अगर आपको यह खबर पसंद आई तो इसे शेयर करना न भूलें, देश-विदेश से जुड़ी ताजा अपडेट पाने के लिए कृपया News 14 Today के  Facebook  पेज को Like व Twitter पर Follow करना न भूलें...

Related posts